
Coronavirus: क्या चीन एक बार फिर दुनिया के सामने वैसा ही संकट खड़ा करने वाला है, जैसा उसने तीन साल पहले किया था? ऐसा इसलिए क्योंकि एक ओर चीन में कोरोना की 'सुनामी' आई हुई है, दूसरी ओर वो हर पाबंदी हटाने जा रहा है. जिस वक्त लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाने की जरूरत है, उस वक्त वो सारी बंदिशें हटाने जा रहा है. इससे दुनिया के लिए नई मुसीबत खड़ी हो सकती है.
चीन के अधिकारियों ने बताया कि 8 जनवरी से अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए क्वारंटीन जरूरी नहीं होगा. यानी, चीन आने वाले विदेशी यात्रियों को क्वारंटीन रहने की जरूरत नहीं होगी. इतना ही नहीं, चीन ने अब कोरोना को बहुत ज्यादा संक्रामक बीमारी भी नहीं रही. उसने कोविड को 'A' कैटेगरी से हटाकर 'B' में डाल दिया है.
ये सब बताता है कि चीन अब अपनी उन्हीं करतूतों को दोहरा रहा है, जो उसने तीन साल पहले वुहान में की थी.
तीन साल पुरानी गलती दोहरा रहा
दिसंबर 2019 से ही वुहान में फ्लू जैसे लक्षणों के साथ मरीज भर्ती होने लगे थे. चीन ने भी 31 दिसंबर 2019 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को बताया था कि वुहान में निमोनिया जैसी बीमारी फैल रही है.
इन सबके बावजूद चीन ने उस समय न तो कोई सख्ती बरती और न ही कोई पाबंदी लगाई. कोविड फैलने के बावजूद चीन ने वुहान में लॉकडाउन लगाने में देरी कर दी.
चीन ने वुहान में 23 जनवरी 2020 को लॉकडाउन लगाया. इसका नतीजा ये हुआ कि संक्रमण और दूसरी जगहों पर भी फैल गया. लॉकडाउन के दो-तीन दिन बाद वुहान के मेयर झोऊ शियानवांग ने माना था कि लॉकडाउन से पहले ही 50 लाख लोग वुहान छोड़कर जा चुके थे. ये 50 लाख लोग कहां गए, पता नहीं.
अब फिर से ऐसा ही हो रहा है. पाबंदियां लगाने की बजाय चीन ढील दे रहा है. कुछ दिन पहले अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपने आर्टिकल में लिखा था, 'हो सकता है कि ये नया संकट पूरी दुनिया को हिलाकर रख दे और ठीक वैसा ही हो जैसा तीन साल पहले वुहान में आउटब्रेक ने पूरी दुनिया को ठप कर दिया था. जरूरी नहीं कि जो चीन में हो रहा है, वो वहीं तक सीमित रहे.'
क्यों नई मुसीबत खड़ी हो सकती है?
तीन साल पहले जब वुहान में कोविड फैला था, तो इसके बारे में चीन ने बताने में देरी की थी. न सिर्फ इस बारे में जानकारी देने में देरी की थी, बल्कि और भी कई बातें छिपाई थीं, जिस वजह से संक्रमण पूरी दुनिया में फैल गया था.
साइंस जर्नल लैंसेट में एक स्टडी में दावा किया गया था कि कोरोना से संक्रमित पहला व्यक्ति 1 दिसंबर 2019 को सामने आया था. हैरानी वाली बात ये है कि ये स्टडी चीन के ही रिसर्चर्स ने की थी. लैंसेट की स्टडी के मुताबिक, वुहान के झिंयिंतान अस्पताल में कोरोना वायरस का पहला केस 1 दिसंबर 2019 को आया था.
इतना ही नहीं, कोरोना वायरस के बारे में सबसे पहले बताने वाले चीनी डॉक्टर ली वेनलियांग को भी वहां की सरकार ने न सिर्फ नजरअंदाज किया, बल्कि उनपर अफवाहें फैलाने का आरोप भी लगा दिया. बाद में ली की मौत भी कोरोना वायरस से हो गई थी.
चीन की इस लापरवाही का नतीजा ये हुआ कि कोरोना वायरस थोड़े ही समय में पूरी दुनियाभर में फैल गया. मार्च 2020 में ब्रिटेन की साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में अनुमान लगाया कि अगर चीन तीन हफ्ते पहले कोरोना के बारे में बता देता तो संक्रमण फैलने में 95% तक की कमी आ सकती थी. इतना ही नहीं, अगर कम से कम एक हफ्ते पहले भी बता देता तो भी मामलों को 66% तक कम किया जा सकता था.
एक्सपर्ट्स भी अनुमान लगा रहे हैं कि चीन में कोरोना की बहुत खतरनाक लहर आने वाली है. महामारी विशेषज्ञ एरिक फिगल डिंग का अनुमान है कि अगले 90 दिनों में चीन की 60 फीसदी और दुनिया की 10 फीसदी आबादी के कोरोना संक्रमित होने की आशंका है.
अगर ऐसा होता है तो अगले तीन महीने में ही चीन के लगभग 90 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हो जाएंगे. इस दौरान लाखों की संख्या में मौतें होने की आशंका भी है.
इतना ही नहीं, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने लीक दस्तावेज के हवाले से बताया है कि चीन के नेशनल हेल्थ कमिशन का मानना है कि 1 से 20 दिसंबर के बीच देश में करीब 25 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं.
चीन के शहरों में हर दिन लाखों नए संक्रमित सामने आ रहे हैं. ये सारे आंकड़े बताते हैं कि चीन में कोरोना कितना गंभीर रूप ले चुका है. पर इन सबके बावजूद चीन सबकुछ खोलने जा रहा है, सारी पाबंदियां हटाने जा रहा है. डर है कि इससे संक्रमण की रफ्तार और तेज न हो जाए और दुनिया में फिर नई लहर न आ जाए.
चीन अब क्या करने जा रहा है?
चीन में जहां संक्रमण तेज रफ्तार से बढ़ रहा है, बावजूद इसके वहां सारी पाबंदियां हटने वालीं हैं. चीन में 8 जनवरी से अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए क्वारनटीन रहना जरूरी नहीं होगा. इससे पहले तीन साल तक चीन में आने वाले यात्रियों को दो हफ्ते तक क्वारनटीन रहना जरूरी था.
चीन ने कोविड-19 को 2020 से खतरनाक संक्रामक बीमारी की 'A' कैटेगरी में रखा था. इसे ब्यूबोनिक प्लेग और हैजा के बराबर माना था. लेकिन अब कोविड-19 को 'B' कैटेगरी में डाला जाएगा. यानी, चीन में अब कोविड-19 खतरनाक संक्रामक बीमारी नहीं रहेगी.
इसके पीछे चीन का तर्क है कि कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट ज्यादा खतरनाक नहीं है. चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि ओमिक्रॉन, डेल्टा की तरह जानलेवा और खतरनाक नहीं है.
इतना ही नहीं, चीन अब कोरोना के मामलों का रिकॉर्ड भी नहीं रखेगा. चीन में नए साल कोरोना के नए मामलों का हिसाब-किताब नहीं रखा जाएगा.
तीन महीने, तीन लहरों का खतरा!
चीन के महामारी विशेषज्ञ वू जुन्यो का कहना है कि चीन में तीन महीने में तीन लहरें आ सकतीं हैं. उन्होंने दावा किया कि चीन अभी पहली लहर का सामना कर रहा है और इसका पीक मिड-जनवरी में आ सकता है.
उन्होंने कहा कि 21 जनवरी से चीन का लूनार न्यू ईयर भी शुरू हो रहा है और इस वजह से लोग ट्रैवल करेंगे, जिस कारण दूसरी लहर शुरू होगी. इस दौरान लाखों लोग ट्रैवलिंग करते हैं. इसलिए जनवरी के आखिर से दूसरी लहर शुरू हो सकती है जो मिड-फरवरी तक चलेगी.
जबकि, तीसरी लहर फरवरी के आखिर से शुरू होने का अंदेशा है. वू जुन्यो का कहना है कि हॉलीडे के बाद लोग फिर से ट्रैवल करेंगे और इस कारण तीसरी लहर शुरू हो सकती है. तीसरी लहर फरवरी के आखिर से मिड-मार्च तक चल सकती है.
हाल ही में अमेरिका के एक रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि 2023 में चीन में कोरोना विस्फोट हो सकता है और अगले साल 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो सकती है.