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कोरोना के 3 साल: पहले से 66वें करोड़ मरीज तक... वैक्सीन-वेरिएंट-लॉकडाउन, दुनिया ने क्या-क्या देखा?

चीन से निकला कोरोना एक बार फिर तबाही मचाने लगा है. चीन में कोरोना की अब तक की सबसे बड़ी लहर आई है. इससे दुनिया पर फिर से नया संकट मंडराने लगा है. कोरोना तीन साल से हमारे बीच में है और अभी इसके जाने की कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है. ऐसे में जानना जरूरी है कि तीन साल में कोरोना ने हमें क्या-क्या दिखाया और आगे क्या बाकी है?

चीन के वुहान में कोरोना का पहला मामला सामने आया था. (फाइल फोटो-AFP) चीन के वुहान में कोरोना का पहला मामला सामने आया था. (फाइल फोटो-AFP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:59 PM IST

आज से ठीक तीन साल पहले चीन के वुहान में एक अजीब सी बीमारी फैलने लगी थी. लोगों में निमोनिया और आम सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण थे. 

31 दिसंबर 2019 को चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को जानकारी दी कि उसके यहां निमोनिया जैसी बीमारी फैल रही है. ये कोरोना वायरस था. जिसे कोविड-19 नाम दिया गया. देखते ही देखते कोरोना वायरस चीन से निकलकर दूसरे देशों में फैलने लगा. 

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जब कोरोना वायरस फैलने लगा तो 30 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी डिक्लेयर की. इसके बाद 11 मार्च 2020 को कोविड-19 को 'महामारी' घोषित कर दिया.

30 जनवरी 2020 को ही भारत में भी कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था. भारत में पहला केस केरल में मिला था. तब चीन से लौटी एक छात्रा में ये संक्रमण मिला था. फरवरी में भारत में कोई मामला सामने नहीं आया, लेकिन मार्च से संक्रमण की रफ्तार बढ़ने लगी. 12 मार्च 2020 को भारत में कोरोना से पहली मौत दर्ज की गई. तब कर्नाटक में 76 साल के एक बुजुर्ग की इस वायरस से मौत हो गई थी. 

मार्च 2020 वो समय था, जब दुनिया कोरोना से बुरी तरह जूझ रही थी. अमेरिका, फ्रांस, इटली, ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना तबाही मचाने लगा था. 

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कोरोना को हमारे बीच तीन साल हो गए हैं. अब तक दुनियाभर में 66 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 66 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 

क्या-क्या दिखाया कोरोना ने?

- 66 करोड़ मामलेः कोरोना वायरस की वजह से लोग बीमार पड़ने लगे. शुरुआत में तो इसे सामान्य फ्लू जैसा ही माना गया, लेकिन जब मौतों की संख्या बढ़ने लगी तो ये खतरा बन गया. फ्लू होने पर सर्दी-जुकाम होता है, जबकि कोविड होने पर सांस लेने में तकलीफ भी होती है. 31 दिसंबर को चीन ने कोरोना की जानकारी दी थी और आज की तारीख तक 66 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं.

- 66 लाख मौतेंः 11 जनवरी 2020 को चीन के वुहान में 61 साल के बुजुर्ग की मौत हो गई. ये दुनिया में कोविड से हुई पहली मौत थी. इसके बाद मौतों का सिलसिला बढ़ने लगा. भारत में 12 मार्च को कोविड से पहली मौत हुई. अब तक दुनिया में 66 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. सबसे ज्यादा 11.15 लाख मौतें अमेरिका में हुईं. दूसरे नंबर पर भारत है जहां 5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत कोविड से हो चुकी है.

- सबसे तेजी से वैक्सीनः किसी भी बीमारी की वैक्सीन में सालों और कई बार तो दशकों का समय लग जाता है. एचआईवी एड्स हमारे बीच में चार दशकों से है, लेकिन उसकी वैक्सीन आजतक नहीं बन सकी है. पर कोविड की वैक्सीन बनाने में दुनिया को जल्द ही कामयाबी मिल गई. वैसे तो चीन में वैक्सीनेशन पहले ही शुरू हो गया था. लेकिन अगस्त 2020 में रूस ने दुनिया की पहली कोविड वैक्सीन स्पूतनिक वी का ऐलान किया. 2020 खत्म होने से पहले-पहले भारत में भी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड को एप्रूवल मिल गया.

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- कई सारे वैरिएंट्सः वायरस लगातार म्यूटेट होता रहता है और इस कारण अपने रूप बदलता रहता है. इसे वैरिएंट कहा जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अब तक कोरोना वायरस के कई सारे वैरिएंट सामने आ चुके हैं. अब तक सबसे घातक वैरिएंट डेल्टा रहा है. डेल्टा न सिर्फ संक्रामक था, बल्कि घातक था. डेल्टा वैरिएंट की वजह से ही भारत में दूसरी लहर आई थी. इस लहर में सबसे ज्यादा मौतें हुई थीं, अस्पताल मरीजों से भर गए थे और ऑक्सीजन की कमी पड़ गई थी. इसके बाद ओमिक्रॉन वैरिएंट आया, जो संक्रामक तो डेल्टा से भी ज्यादा है, लेकिन उसकी तुलना में कम गंभीर है.

- लॉकडाउनः जिस वुहान में कोरोना का पहला मामला सामने आया था, वहां 23 जनवरी 2020 को लॉकडाउन लगा दिया गया. सदियों में ऐसा पहली बार हो रहा था जब दुनिया लॉकडाउन देख रही थी. इटली, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका समेत सभी देशों में कोरोना को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाए जाने लगे. भारत में पहली बार 21 दिन के लिए 24 मार्च 2020 को लॉकडाउन लगाया गया. 

अब आगे क्या?

कोरोना वायरस जब आया था, तब उसकी तुलना 1918 में आए स्पैनिश फ्लू से की जा रही थी. लेकिन स्पैनिश फ्लू तीन साल में चला गया था. पर कोविड अभी भी हमारे बीच में बना हुआ है.

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दुनिया में कोरोना के मामले कम होने लगे थे, लेकिन अब फिर से ये बढ़ने लगे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 12 से 18 दिसंबर के बीच दुनियाभर में कोरोना के 37 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं. इस दौरान 10,400 लोगों की मौत भी हुई है.

अब चीन में कोरोना की अब तक की सबसे बड़ी लहर आई है. यहां ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट BF.7 तबाही मचा रहा है. इस सब-वैरिएंट के कुछ मामले भारत में भी सामने आ चुके हैं. ये अब तक का सबसे संक्रामक सब-वैरिएंट है, जिसका रिप्रोडक्शन नंबर 10 से 18 के बीच है. यानी, अगर कोई व्यक्ति BF.7 से संक्रमित होता है तो वो 10 से 18 लोगों को संक्रमित कर सकता है.

चीन के महामारी विशेषज्ञ वू जुन्यो ने तो चीन में तीन महीने में तीन लहर आने की आशंका जताई है. उनका दावा है कि चीन अभी पहली लहर का सामना कर रहा है, जिसका पीक मिड-जनवरी में आ सकता है. इसके बाद जनवरी के आखिर में दूसरी लहर आएगी, जिसका पीक मिड-फरवरी में आ सकता है. वहीं, तीसरी लहर फरवरी के आखिर से मिड-मार्च तक चल सकती है.

हाल ही में अमेरिका के एक रिसर्च इंस्टीट्यूट ने भी अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि चीन में अगले साल यानी 2023 में 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो सकती है.

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हालांकि, भारत के लिए थोड़ी राहत की बात भी है. एक्सपर्ट का मानना है कि BF.7 से भारत में नई लहर आने की गुंजाइश नहीं है. एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि इस वैरिएंट से न तो हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ेगा और न ही मौतों की संख्या क्योंकि हमारी इम्युनिटी अब बहुत ज्यादा हो गई है. हालांकि, फिर भी सावधानी बरतने और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की जरूरत है.

 

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