
कोरोना वायरस का संकट अभी भी पूरी दुनिया में फैला हुआ है. इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से प्लाज्मा थैरेपी को लेकर बड़ा बयान दिया गया है. WHO का कहना है कि प्लाज्मा थैरेपी अभी भी प्रयोगात्मक श्रेणी में ही है, यानी इनके परिणामों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता है.
WHO का ये बयान तब आया है, जब रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इमरजेंसी के वक्त प्लाज्मा थैरेपी को मंजूरी दी थी.
WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन की ओर से कहा गया है कि प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल पिछली सदी में किया जाता था. मौजूदा दौर में कोरोना संकट के वक्त इसका इस्तेमाल सिर्फ प्रयोगात्मक ही है. उन्होंने कहा कि इस तरह का इलाज अभी भरोसे लायक नहीं है क्योंकि हर व्यक्ति अलग प्रकार की एंटीबॉडी जेनरेट करता है.
WHO की ओर से कहा गया कि इस थैरेपी के कई साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. ऐसे में लोगों को बुखार की सम्स्या या फिर लंग से जुड़ी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं. आपको बता दें कि कोरोना वायरस के कारण दुनिया में करीब तीन करोड़ आबादी संक्रमित है और आठ लाख के करीब लोगों की मौत हो चुकी है.
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अगर भारत में प्लाज्मा थैरेपी की बात करें तो कई जगहों पर ये कारगर भी साबित हुई है. दिल्ली, यूपी, बंगाल समेत कई राज्यों ने प्लाज्मा बैंक बनाने पर काम भी किया है और लोगों से अपना प्लाज्मा दान देने की अपील की है.
भारत में ICMR की इजाजत मिलने के बाद ही कोई भी राज्य या फिर अस्पताल अपने यहां प्लाज्मा थैरेपी के तहत इलाज कर सकता है. जबतक वैक्सीन सामने नहीं आती है तबतक कोरोना वायरस का कोई ठोस इलाज मिलना संभव नहीं दिख रहा है.