Advertisement

मदरसों के बच्चों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग दूर की कौड़ी

अंडरकवर रिपोर्टर्स ने पाया कि अनेक मदरसों के संचालक वहां तालीम लेने के लिए आने वाले बच्चों की संख्या को छुपा रहे हैं और लॉकडाउन के दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं.

कोरोना लॉकडाउन के बीच मदरसा में बच्चों की संख्या (प्रतीकात्मक फोटो) कोरोना लॉकडाउन के बीच मदरसा में बच्चों की संख्या (प्रतीकात्मक फोटो)
जमशेद खान/नितिन जैन
  • नई दिल्ली,
  • 10 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 9:53 PM IST

  • लॉकडाउन में मदरसे में बच्चों की संख्या पर सवाल
  • लॉकडाउन के दिशा निर्देशों का कर रहे उल्लंघन

कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान हर बच्चे के पास ऑनलाइन पढ़ने की सुविधा नहीं है. इंडिया टुडे स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) की जांच से सामने आया कि दूर शिक्षा (डिस्टेंस एजुकेशन) किस तरह देश के सप्लीमेंट्री स्कूलों के अनगिनत छात्रों के लिए दूर की कौड़ी बनी हुई है.

Advertisement

अंडरकवर रिपोर्टर्स ने पाया कि अनेक मदरसों के संचालक वहां तालीम लेने के लिए आने वाले बच्चों की संख्या को छुपा रहे हैं और लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं.

बच्चों की संख्या पर पर्दा

दक्षिण पूर्व दिल्ली में दारूल-उल-उलूम उस्मानिया मदरसा चलाने वाले अब्दुल हफीज ने दावा किया कि वहां मौजूद बच्चों की असल संख्या को पुलिस से छुपाकर रखा गया है.

हफीज ने अंडरकवर रिपोर्टर्स से कहा- “पुलिस” को कोई भनक नहीं है. हफीज ने कबूल किया कि बच्चों की संख्या सिर्फ 2 से 3 बता रही है, असल में मदरसे के अंदर दर्जन के करीब बच्चे भरे हुए हैं.

पुलिस को घूस?

दिल्ली के साथ ही लगते मदनपुर खादर एक्सटेंशन में इसाहुल मुमिनीन मदरसा में छोटी सी जगह में 18 बच्चे हैं. यहां सोशल डिस्टेंसिंग या सैनेटाइजेशन किसे कहते हैं, किसी को नहीं पता.

Advertisement

मदरसा प्रमुख मोहम्मद जाबिर कासमी का दावा है कि पुलिस को घूस देकर यहां बच्चों की असल संख्या की जानकारी बाहर नहीं आने दी जाती.

कासमी ने कहा, “अभी 18 बच्चे यहां हैं. 6 से 7 बच्चों को और पड़ोस में छुपा कर रखा गया है. पुलिस बच्चों को यहां से ले जाकर टेस्ट करा सकती थी. मीडिया को बुलाती और उसे यहां बच्चों को दिखाती.”

अंडर कवर रिपोर्टर- “क्या आपने पुलिस को घूस दी?”

कासमी- “मैं उनके (पुलिस) के साथ बैठा और इसे सुलझाया. पुलिस ने कुछ नहीं होने का वादा किया. मैंने उन्हें कुछ पैसे दिए.”

मदरसा ऑपरेटर ने कबूल किया कि वो निजामुद्दीन जमात में कई बार जा चुका है. बता दें कि निजामुद्दीन जमात से ही देशभर में कोविड-19 के कई कलस्टर्स बने.

रिपोर्टर- “तो आप मरकज से जुड़े हैं, निजामुद्दीन जमात?”

कासमी- “हां, हां.”

कासमी ने साथ ही अपने मरकज से जुड़े बच्चों के भी कई बार मरकज में जाने की बात कबूली.

इस बीच, इंडिया टुडे की इंवेस्टीगेशन टीम ने मदरसे के कुछ बच्चों को किसी दावत से खाना खाकर लौटते हुए देखा.

एक बच्चे ने कहा, "हमने दावत में खाना खाया, हम 15 बच्चे थे.”

जगह की किल्लत

उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा भी उन इलाकों में शामिल हैं जिन्हें लॉकडाउन के दौरान सख्त निगरानी जोन्स में रखा गया है. यहां जामिया मोहम्मदिया हलदोनी मदरसे को खचाखच भरा देखा गया.

Advertisement

मदरसा ऑपरेटर मुफ्ती मोहम्मद शाईक कुरेशी के मुताबिक बच्चो को सुरक्षित जगह ले जाने में सरकार की मदद नहीं ली गई.

कुरैशी ने कहा, “ऐसा करते तो बहुत सी दिक्कतें पेश आतीं. हमने देखा कि किस तरह लौटने वाले प्रवासियों के लिए मेडिकल चेकअप और 15 दिन (14 दिन) के आइसोलेशन में रहना जरूरी था. ये लोग बिहार से हैं. ये गरीब इलाकों से आते हैं. उनके बच्चे वहां के साथ-साथ यहां भी महफूज़ हैं. अभी तक अल्लाह की मेहरबानी से यहां कोई दिक्कत नहीं है.”

कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें...

कोरोना पर भ्रम फैलाने से बचें, आजतक डॉट इन का स्पेशल WhatsApp बुलेटिन शेयर करें

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement