
देश में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) की दूसरी लहर कमजोर पड़ गई है और इसी के साथ ही अब कई सारी रियायतें भी मिल गईं हैं. अब क्योंकि थोड़े ही दिनों में फेस्टिव सीजन (Festive Season) भी आने वाला है. ऐसे में तीसरी लहर (Third Wave) को लेकर आशंकाएं भी हैं. ऐसे में इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई (Rajdeep Sardesai) ने एक्सपर्ट से बात की और ये जानने की कोशिश की क्या फेस्टिव सीजन के कारण तीसरी लहर आ सकती है?
सवालः मुंबई में भीड़ जुट रही है. क्या ये समय लोगों के पीछे हटने का नहीं है और ये कहने का नहीं है कि हम बड़े समारोहों का हिस्सा नहीं बनेंगे?
जवाबः तीसरी लहर से बचाव के लिए हमें स्थानीय प्रशासन की सराहना करनी चाहिए और अब लोगों के लिए ये महसूस करने का वक्त आ गया है कि उनके पास दही हांडी मनाने के लिए और भी साल हैं. गणपति उनके दिल में बसते हैं तो उन्हें पंडाल में जाने के जरूरत नहीं है. दूध का जला छाछ भी फूंक फूंककर पीता है. पुलिस को सख्ती करनी होगी. मैं नहीं चाहता कि महाराष्ट्र में केरल जैसे हालात बने. केरल में ओणम और बकरीद के दौरान कोरोना के मामलों (Covid Case in Kerala) में बढ़ोतरी देखी गई.
(डॉ. हेमंत ठाकर, कंसल्टेंट फिजिशियन एंड कार्डियोमेटाबॉलिक स्पेशलिस्ट, ब्रीच कैंडी अस्पताल)
सवालः क्या त्योहारों और कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी के बीच कोई संबंध है? क्या हम इम्युनिटी के लेवल पर पहुंच गए हैं और अब बाहर रहने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा?
जवाबः केरल से हमें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है. ये बात नकारात्मक नहीं है. केरल में हम जो देख रहे हैं और देश के बाकी हिस्सों में जो हम देखेंगे वो वैक्सीनेशन और सीरो प्रिविलांस का कॉम्बिनेशन होगा. अगर तीसरी लहर आती है तो इसका सबसे ज्यादा खतरा उन जगहों पर होगा जहां वैक्सीनेशन और सीरो प्रिविलांस कम है. केरल में सीरो प्रिविलांस कम था, इसलिए वहां संक्रमण का खतरा था. किसी भी भीड़भाड़ वाली जगह से संक्रमण ज्यादा तेजी से फैलने का खतरा है.
(डॉ. गिरधर बाबू, प्रोफेसर एंड हेड, लाइफकोर्ट एपिडेमियोलॉजी, PHFI)
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सवालः क्या हम तीसरी लहर की ओर बढ़ रहे हैं?
जवाबः ये बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आप देश के किस हिस्से की बात कर रहे हैं. उत्तर के राज्यों में देखें तो वहां सीरो प्रिविलांस ज्यादा है, इसलिए वहां एकदम से मामले बढ़ने का खतरा नहीं है. लेकिन महाराष्ट्र और केरल जैसे कम सीरो प्रिविलांस वाले राज्यों में त्योहारों से फर्क पड़ेगा.
(प्रोफेसर गौतम मेनन, रिसर्चर इन मॉडलिंग ऑफ इन्फेक्शियस डिसीज एंड प्रोफेसर ऑफ फिजिक्स एंड बायोलॉजी, अशोका यूनिवर्सिटी)
सवालः क्या केरल देश के लिए सबक है?
जवाबः केरल एक केस स्टडी है, लेकिन निगेटिव सेंस में नहीं. केरल में ओणम के दौरान बाजार खुले लेकिन वहां कोई बड़ा सेलिब्रेशन नहीं हुआ. फिर भी वहां इसी वजह से अतिरिक्त 10 हजार से ज्यादा केस मिल रहे हैं. यही डर भी था.
(डॉ. अनीथ टीएस, एसोसिएट प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन, त्रिवेंद्रम मेडिकल कॉलेज)
सवालः महामारी में धर्म को घसीटने वालों को आप क्या कहेंगे?
जवाबः कोविड हिंदू, मुस्लिम, बूढ़े और युवाओं में फर्क नहीं समझता. वो संक्रमित करता है. सवाल ये है कि क्या आप तीसरी लहर चाहते हैं? और हर कोई नहीं ही कहेगा. हमें दुनिया के दूसरे देशों से सीखना होगा.
(डॉ. सरीन, सीनियर प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलियरी साइंसेस)