
भारत इस कोरोना संकट के दौर में कई देशों को मुफ्त में कोविड-19 वैक्सीन दे रहा है. इसके बावजूद भारत बायोटेक की कोविड-19 वैक्सीन को अंतरराष्ट्रीय खरीदार नहीं मिल रहे हैं. भारत ने कोरोना वायरस संकट से जूझ रहे सात देशों को सहायता के तौर पर 'कोवैक्सीन' की 8.1 लाख खुराक देने की बात कही थी. हालांकि अब तक सिर्फ म्यांमार ने ही 2 लाख खुराक खरीदी है.
कोविड-19 के खिलाफ भारत की तरफ से सद्भावना के तौर पर म्यांमार, मंगोलिया, ओमान, बहरीन, फिलीपीन्स, मालदीव और मॉरीशस को वैक्सीन भेजी जानी थी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, विदेश मंत्री एस जयशंकर और MoS फार्मास्यूटिकल्स मनसुख मंडाविया के बीच 18 जनवरी को हुई उच्च-स्तरीय बैठक के बाद यह फैसला लिया गया था.
इससे पहले कोवैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड को 15 जनवरी को एक ज्ञापन से सूचित किया गया था कि विदेश मंत्रालय द्वारा कोवैक्सीन के 8.1 लाख डोज को खरीदा जाएगा. विदेश मंत्रालय के मुताबिक यह खरीद 22 जनवरी के बाद शुरू होने वाली थी.
विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना टीकों की 64.7 लाख खुराक अन्य देशों को अनुदान के रूप में आपूर्ति की गई हैं. जबकि 165 लाख खुराक की आपूर्ति वाणिज्यिक आधार पर की गई है. 64.7 डोज में से केवल 2 लाख डोज ही कोवैक्सीन की है. बाकी के सभी डोज ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की गई सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड है.
एक महीना बीत जाने के बावजूद कोवैक्सीन लेने में कम ही लोग दिलचस्पी दिखा रहे हैं. कंपनी के अंदर के सूत्रों ने आजतक को बताया है कि वैक्सीन खरीदने का फैसला सभी सरकारों का निजी फैसला है. सच्चाई यह है कि म्यांमार ने अपने सैनिकों को यह वैक्सीन देकर भारत में भरोसा दिखाया है. लेकिन सच्चाई यही है कि कोवैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल अब तक बाकी है. इसी वजह से भारत बायोटेक द्वारा विकसित की गई इस वैक्सीन को खरीदार नहीं मिल रहे हैं.
दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ वैक्सीनेशन का काम तेजी से किया जा रहा है. भारत, अमेरिका और ब्रिटेन में टीका लगवाने वालों की संख्या लगभग एक करोड़ पहुंचने वाली है. लेकिन स्वदेशी वैक्सीन 'कोवैक्सीन' को खरीदने में बहुत कम देश ही दिलचस्पी दिखा रहे हैं.