
कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की दूसरी लहर (Second Wave) का कहर झेल चुके देश के सामने तीसरी लहर (Third Wave) की आशंका मुंह बाए खड़ी है. सवाल सबसे बड़ा है कि तीसरी लहर आ रही है तो कब तक आएगी? आएगी तो कितनी खतरनाक होगी? शुरुआत अगर राजधानी दिल्ली से करें तो 18 जुलाई को दिल्ली में कोविड (Covid-19) से एक भी मौत नहीं हुई. ऐसा करीब चार महीने पहले हुआ था जब 2 मार्च 2021 को कोविड से एक भी जान नहीं गई थी. लेकिन 2 मार्च से ठीक एक महीने बाद यानी अप्रैल के पहले हफ्ते में ही हाहाकार मच गया था. मार्च 2021 के महीने में जब देश पहली लहर के गुजरने का जश्न मना रहा था तभी दूसरी लहर कहर ढाने की तैयारी में थी.
5 महीने बाद फिर उसी मोड़ पर देश
कमोबेश मार्च जैसी स्थिति अभी फिर से बन गई है. दिल्ली समेत उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में कोविड काबू में नजर रहा है. ठीक पिछले मार्च की तरह केरल और महाराष्ट्र में केस लगातार बढ़ रहे हैं. ठीक पिछले मार्च की तरह लोग मास्क से दूरी बना रहे हैं. ठीक पिछले मार्च की तरह मार्केट में भीड़ होने लगी है. कम होते एक्टिव केस के बीच तीसरी लहर की आहट सुनाई नहीं देती लेकिन कुछ राज्यों से आते मामलों की संख्या अत्यधिक चिंताजनक है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार केरल अकेले भारत के कुल कोरोना मामलों का 30.3% हिस्सेदार है, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा मात्र 6.2% का ही था और जून में यह क्रम से बढ़ते हुए 10.6% और 17.1 % हो गया. कुछ ऐसी ही हालत महाराष्ट्र की है. देश के कुल केस का 20.8% महाराष्ट्र में है. अप्रैल में यह 26.7% ही था, जबकि उस समय दूसरी लहर अपने चरम पर थी. इसके साथ ही तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, ओडिशा में भी अप्रैल-मई की अपेक्षा वर्तमान में भारत के कुल केसों में हिस्सेदारी बढ़ गई है. मणिपुर, मिजोरम ,त्रिपुरा ,आंध्र प्रदेश जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में भी कोविड-19 केसों में बढ़ोतरी देखने को मिली है.
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एक्सपर्ट की राय
रॉयटर्स के एक सर्वे में 100% विशेषज्ञों ने माना है कि भारत में तीसरी लहर आएगी ही. 85% ने कहा कि अक्टूबर में तीसरी लहर आएगी. वहीं, कुछ ने अगस्त-सितंबर और कुछ ने नवंबर-फरवरी के बीच तीसरी लहर की आशंका जताई.
AIIMS में 5 राज्यों में 10 हजार की सैम्पल साइज के साथ सीरो प्रिवलेंस स्टडी की गई. 4,500 पार्टिसिपेंट्स का डेटा लिया गया है. जिसके बाद कहा गया कि भारत में तीसरी लहर आई तो उसमें बड़ों-बच्चों में रिस्क बराबरी से रहेगी. ऐसा नहीं कह सकते कि बच्चों को खतरा अधिक होगा.
IIT-कानपुर के विशेषज्ञों ने ससेप्टिबल-इन्फेक्टेड-रिकवर्ड (SIR) मॉडल के आधार पर कहा है कि तीसरी लहर का पीक अक्टूबर-नवंबर तक आ सकता है. प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजय राघवन का कहना है- तीसरी लहर टाली नहीं जा सकती लेकिन यह कब आएगी, इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है लेकिन एहतियात बरत कर इससे कुछ हद तक बचा जा सकता है.
जून के आखिरी हफ्ते में केंद्रीय कोविड-19 वर्किंग ग्रुप के चीफ डॉ. एन.के अरोड़ा ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर इस साल दिसंबर तक आ सकती है. उन्होंने यह दावा ICMR की एक स्टडी के आधार पर किया था.
तीसरी लहर का आतंक
ब्रिटेन में अभी कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है. वहां दूसरी लहर में प्रतिदिन 50 हजार से ज्यादा मामले मिल रहे थे. जबकि अभी तीसरी लहर की शुरुआत में ही 35 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं. बांग्लादेश में पहले सात हजार मामले मिल रहे थे लेकिन अब 13 हजार से अधिक मामले हर दिन मिल रहे हैं.
इसी तरह इंडोनेशिया में 12 से बढ़कर 40 हजार से अधिक मामले रोजाना मिल रहे हैं. इससे पता चल रहा है कि कोरोना की अगली लहर काफी गंभीर है. भारत में यह आंकड़ा और भी बड़ा हो सकता है क्योंकि दूसरी लहर के दौरान यहां कोरोना का पीक चार लाख संक्रमित मरीजों तक पहुंचा था जोकि प्रतिदिन मिल रहे थे. ऑस्ट्रेलिया के भी कई शहरों में लॉक डाउन लगाया जा चुका है.
सबके जरूरी बात
सभी रिसर्च, पूर्वानुमान और विशेषज्ञों की राय में एक बात कॉमन है कि तीसरी लहर आएगी. ये भी कहा जा रहा है कि तीसरी लहर बाकी दो लहरों से ज्यादा भयानक होगी. दूसरी विनाशकारी लहर से भी ज्यादा घातक. यह डेल्टा प्लस वैरिएंट की वजह से आएगी, जिसका देश में पहला केस महाराष्ट्र में मिला था. हेल्थ मिनिस्ट्री में जॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल के मुताबिक जब वायरस में म्यूटेशन होता है. तब उसकी जीवन शक्ति बढ़ जाती है. जब कई केस होते हैं तो उसके म्यूटेशन की आशंका भी अधिक होती है. ऐसे में सावधानी ही हथियार है. मास्क और दो गज दूरी के साथ वैक्सीनेशन भी जरुरी है.
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