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कोरोना के बढ़ते कहर के बीच देश में ऑक्सीजन संकट गहराता जा रहा है. शनिवार को दिल्ली के बत्रा हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से 12 मरीजों की मौत हो गई, जबकि सोमवार को कर्नाटक के अस्पताल में ऑक्सीजन की किल्लत से 24 मरीज जान गंवा बैठे. चारों तरफ ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार का माहौल है.
इंडिया टुडे टीवी के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने ऑक्सीजन की किल्लत की वजह और इसका हल जानने के लिए टॉप एक्सपर्ट्स से बात की. आइए जानते हैं कि उनका क्या कहना है-
सवाल: हमें बताएं कि अस्पताल चलाना कितना मुश्किल है?
दिल्ली के बत्रा हॉस्पिटल के मेडिकल डॉयरेक्टर डॉ. एससीएल गुप्ता- यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी है, मरीज मर रहे हैं क्योंकि हमारे पास ऑक्सीजन नहीं है, कोरोना का इलाज करने के लिए आपको ऑक्सीजन, दवाई और टीकाकरण की आवश्यकता होती है, कुछ भी उपलब्ध नहीं है. सरकार कहती है कि हमारे देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है, लेकिन मरीज मर रहे हैं, न्यायपालिका या कार्यपालिका? मुझे नहीं पता कि यह देश कौन चला रहा है.
पिछले 14 महीनों में सरकार क्या कर रही थी? किसी ने कुछ नहीं सीखा, मेकशिफ्ट अस्पताल कोई विकल्प नहीं हैं, आप वहां ऑक्सीजन भेज रहे हैं, लेकिन बड़े अस्पतालों में नहीं, कृपया हमें ए या बी या सी द्वारा ऑक्सीजन दें, प्रत्येक 10-20 अस्पतालों के लिए एक नोडल अधिकारी होना चाहिए, आपातकालीन स्थिति में 15-20 मिनट के भीतर ऑक्सीजन उपलब्ध होना चाहिए ताकि लोगों की जान बचा सकें.
सवाल: क्या कर्नाटक में भी दिक्कत है? समस्या कहां है?
कर्नाटक सरकार के कोविड टास्क फोर्स के एक्सपर्ट कमेटी के डॉ. विशाल राव यूएस: कर्नाटक में न केवल एक उत्कृष्ट स्वास्थ्य सुविधा है, बल्कि सबसे बड़े ऑक्सीजन निर्माताओं में से एक है. यह पूरे देश में आपूर्ति भेज रहा है, समस्या यह है कि कर्नाटक में ऑक्सीजन की मांग दोगुनी से अधिक हो गई है, यह एक जटिल स्थिति है, लॉजिस्टिक का मुद्दा इसमें जुड़ रहा है, निर्माताओं को सभी राज्यों के लिए आवंटन बढ़ाना होगा, इसके बाद ही यह समस्या दूर होगी, हमें ऑक्सीजन ले जाने वाले वाहनों की आवाजाही के लिए ग्रीन कॉरिडोर की जरूरत है.
सवाल: समाधान क्या है?
मेडिकल एक्सपर्ट अरुण सेठी: छोटे नर्सिंग होम और क्लीनिक में बहुत सारी ऑक्सीजन पड़ी है, डाटा तैयार करना होगा, आवश्यक अस्पतालों की अपनी कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता होनी चाहिए, लोग अपने दरवाजे पर ऑक्सीजन की आपूर्ति क्यों पा सकते हैं? ऐसे लोग हॉस्पिटल क्यों जाएं, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत ही नहीं है?