
दिल्ली में कोरोना से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान आज दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है जिसमें सरकार से पूछा गया कि यह बताएं कि वह द्वारका स्थित इंदिरा गांधी हॉस्पिटल को कब तक पूरी तरह से ऑपरेशनल कर पाएगी. दिल्ली सरकार को अपने हलफनामे में इंदिरा गांधी हॉस्पिटल में बेड की संख्या निर्माण कार्य और सुविधाओं की उपलब्धता को लेकर पूरी पारदर्शिता से कोर्ट को जानकारी देनी होगी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हम इसलिए चिंतित हैं कि एक बड़ा इंदिरा गांधी हॉस्पिटल जैसा अस्पताल लोगों के लिए बनाया गया, जिसमें एक बड़ा निवेश किया गया है, लेकिन आम लोगों के लिए सुविधा को शुरू किया जाना चाहिए. हमें नहीं पता कि हम आगे और किस समस्या का सामना करने वाले हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कहा कि कोविड से पिछले कुछ दिनों में लगातार लोगों की मौत के कड़वे अनुभव से सरकार को कुछ सीखना चाहिए. दिल्ली के लोगों को इस महामारी के वक्त बेहद बुरे दौर से गुजरना पड़ा है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने एक बार फिर कहा कि केंद्र सरकार उन्हें पूरा सहयोग नहीं दे रही है. अस्पताल और बेड को लेकर जिस तरह से हम से सवाल पूछे जा रहे हैं कोर्ट को केंद्र सरकार से भी पूछना चाहिए. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि हम मामले में केन्द्र को भी निर्देश जारी करेंगे. हम 19 अप्रैल से केन्द्र से पूछ ही रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार कोरोना को लेकर हालात अब पहले से बेहतर बता रही है, लेकिन जो कुछ पहले हो चुका है उसे नहीं भूला जा सकता है. गंभीर रोगियों को भी ऑक्सीजन नहीं मिल पाई. अस्पताल में लोगों को बेड नहीं मिल पाया. आईसीयू बेड भी इतने कम थे कि उस कारण से भी लोगों की जान चली गयी.
कोर्ट ने कहा कि अब जबकि दूसरी लहर में हम लोग इतना कुछ गंवा चुके हैं, इसलिए कोरोना की तीसरी लहर को लेकर जारी चेतावनी को बेहद गंभीरता से लेने की जरूरत है. इसीलिए दिल्ली सरकार को अपनी स्वास्थ्य परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अपने सभी संसाधनों का सही उपयोग करना चाहिए, जिससे यह काम जल्दी से जल्दी पूरा हो. वहीं मामले की सुनवाई के दौरान ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी का मुद्दा भी सामने आया और कोर्ट ने कहा के कंसंट्रेटर जैसे जरूरी मेडिकल उपकरणों की कीमत सरकार द्वारा तय नहीं होने के कारण इसे बेचने वाले लोग इसका फायदा उठा रहे हैं.
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महामारी के वक्त में सरकार को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर समेत बाकी और मेडिकल उपकरणों की अधिकतम कीमत निर्धारित करना जरूरी था, लेकिन यह नहीं हो पाया. अगर सरकार इस को लेकर अभी भी गंभीरता से कोई कदम उठाती है तो फिर कालाबाजारी से आम लोगों को बचाया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि हमने 2 मई को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कोरोना के लिए जरूरी दवाओं और उपकरण को इस दायरे में लाने के निर्देश दिए गए थे.
कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने केंद्र पर आरोप लगाया कि पीएसए प्लांट अधिकतर उन अस्पतालों में लगाये गए हैं, जो कोविड रोगियों के लिए नहीं हैं. सरकार का कहना था कि हमारे खाते में तो प्लांट आ तो गए हैं, लेकिन दिल्ली सरकार के किसी भी अस्पताल को ये नहीं मिले हैं. इस पर हाईकोर्ट के जस्टिस सांघी ने कहा कि मदद उन अस्पतालों को मिलनी चाहिए, जहां उसकी सबसे अधिक जरूरत है. हम इस पर कोई आदेश तो पारित नहीं कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार को इस पर गौर करने की जरूरत है. कोर्ट ने पीएसए प्लांट के लिए ऑक्सीजन कंप्रेशर्स की आपूर्ति के मुद्दे पर केन्द्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि आपूर्तिकर्ता के साथ आप लगातार सम्पर्क में रहे और दिल्ली के लिए सप्लाई सुनिश्चित करें. हाईकोर्ट 22 मई को इस मामले पर फिर सनवाई करेगा.