
दुनियाभर में बढ़ते कोरोना केसेस ने सरकारों को सख्ती करने पर मजबूर कर दिया है. अब यूरोपीय देश ऑस्ट्रिया अपने यहां वैक्सीनेशन अनिवार्य करने जा रहा है. वहां के लोअर हाउस में इसके लिए बकायदा बिल भी पास कर दिया गया है. अगर अपर हाउस में भी बिल पास हो जाता है तो 1 फरवरी से यह कानून लागू हो जाएगा.
ये बिल लागू होता है तो ऑस्ट्रिया यूरोप का पहला देश बन जाएगा, जहां वैक्सीनेशन को लेकर इतने कड़े नियम लागू होंगे. कोरोना संक्रमण में लगातार हो रही बढ़ोतरी का सामना कर रहे ऑस्ट्रिया में नवंबर से ही इस बिल को लेकर चर्चा चल रही है. उस समय इसे 14 साल से ऊपर के सभी लोगों पर लागू करने पर सहमति बनी थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया. हालांकि, अपर हाउस से बिल पास होने के बाद भी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वैन बिल डेर के दस्तखत की जरूरत होगी.
ऑस्ट्रिया की करीब 72% आबादी को पहले ही वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं. यूरोपीय देशों के आंकड़ों के हिसाब से देखें तो यह सब से कम है. यहां पिछले महीने ही चौथा लॉकडाउन खत्म हुआ है. कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट के सामने आने के बाद यहां केस तेजी से बढ़े हैं. इसलिए सरकार अगला लॉकडाउन लगाने से बचने के लिए वैक्सीनेशन अनिवार्य करना चाहती है.
हालांकि ऑस्ट्रिया के कुछ नेता सरकार के इस कदम की आलोचना भी कर रहे हैं. विपक्षी दल सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद पामेला रेंडी-वाग्नेर ने इसका विरोध किया है. पेशे से डॉक्टर पामेला कहती हैं कि यह आपातकाल जैसा कदम है. यह सीधे तौर पर आम आदमी के मौलिक अधिकारों हनन है. इसके उलट पामेला की पार्टी के ही कई सांसद सरकार के बिल का समर्थन कर रहे हैं. बिल के मुताबिक जो भी सरकार के इस नियम का पालन नहीं करेगा उस पर 600 यूरो (680 डॉलर या 50,577 रुपए) का फाइन लगेगा. नियम 15 मार्च से लागू किया जाएगा. अगर कोई फाइन भरने से इनकार करता है तो उस पर रकम बढ़ाकर 3,600 यूरो कर दी जाएगी.