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IIT के प्रोफेसर का दावा- ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का अधिक इस्तेमाल मरीजों के लिए हो सकता है घातक

डॉ. प्रीतम सिंह ने घरों में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के उपयोग के बारे में बताया कि इसके इस्तेमाल से घर के एक हिस्से में ऑक्सीजन पर्याप्त तो दूसरे हिस्से में कमी हो जाएगी. इस तरह अगर आप घर में हाई ऑक्सीजन एरिया से लो ऑक्सीजन एरिया में आते जाते हैं तो आपके फेफड़ों को दोगुना दबाव झेलना पड़ेगा और यही दोहरा दबाव आने वाले वक्त में काफी नुकसान पहुंचा सकता है.

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का अधिक उपयोग महंगा पड़ सकता है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का अधिक उपयोग महंगा पड़ सकता है
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी ,
  • 31 मई 2021,
  • अपडेटेड 5:28 PM IST
  • ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से घर में ऑक्सीजन का बैलेंस बिगड़ेगा
  • स्टीम से भाप लेना ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का सही विकल्प
  • ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का एग्जॉस्ट रखें ऊंचाई पर

इन दिनों कोरोना मरीजों की निर्भरता ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर बढ़ती जा रही है. वैज्ञानिकों की मानें तो सही तरीके से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का इस्तेमाल न होना भी काफी घातक साबित हो सकता है. जिसका खामियाजा न केवल मरीज, बल्कि उनके साथ घरों में समय बिताने वाले परिजनों को भी भुगतना पड़ सकता है.

किसी भी नई दवाई या फिर उपकरण का बगैर सोचे-समझे धड़ल्ले से इस्तेमाल जानलेवा और घातक भी साबित हो सकता है. मौजूदा वक्त में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर कोरोना मरीजों की बढ़ती निर्भरता को वैज्ञानिक अच्छा संकेत नहीं मान रहे हैं.

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आईआईटी बीएचयू के सिरामिक इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर और रसायन वैज्ञानिक डॉ. प्रीतम सिंह ने बताया कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की ज्यादा जरूरत उन्हीं को है जो बहुत ज्यादा गंभीर मरीज हैं. सामान्य लोगों के लिए 22 परसेंट ही फेफड़ों में ऑक्सीजन की जरूरत होती है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की जरूरत सामान्य जगहों पर नहीं है. अगर कहीं ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बड़े कोरोना वार्डस में लगाए भी जाएं, जहां काफी संख्या में मरीज हों, तो वहां ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का एग्जॉस्ट काफी ऊपर निकलना चाहिए.

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डॉ. प्रीतम सिंह ने घरों में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के उपयोग के बारे में बताया कि इसके इस्तेमाल से घर के एक हिस्से में ऑक्सीजन पर्याप्त तो दूसरे हिस्से में कमी हो जाएगी. जिसके चलते परिवार के अन्य सदस्यों को कम ऑक्सीजन ही मिल पाएगी.

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इस तरह अगर आप घर में हाई ऑक्सीजन एरिया से, लो ऑक्सीजन एरिया में आते जाते हैं तो आपके फेफड़ों को दोगुना दबाव झेलना पड़ेगा और यही दोहरा दबाव आने वाले वक्त में काफी नुकसान पहुंचा सकता है.

इसलिए घरों में कभी भी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और अगर ऐसा किया भी जा रहा है तो उसका एग्जॉस्ट काफी ऊंचाई पर निकालना चाहिए ताकि आसपास के एरिया में ऑक्सीजन की कमी ना हो पाए.

डाॅ. प्रीतम सिंह बताते है कि घरों में हमेशा वेंटिलेशन अच्छा होना चाहिए, अगर बगैर वेंटिलेशन वाला घर है तो वह ठीक नहीं है और खुली हवा में कुछ देर जरूर टहलना चाहिए. सभी मरीजों के लिए सुबह की मॉर्निंग वॉक बहुत जरूरी है और शरीर पर धूप भी लगना जरूरी है. उससे विटामिन डी की कमी कभी नहीं होगी और वह आपके टॉक्सिक को भी खत्म करेगा.

इससे स्वाभाविक रूप से आपके शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बनी रहेगी, लेकिन आप लगातार 24 घंटे घर के अंदर बंद हैं और सूर्य की रोशनी आपको नहीं मिल रही है, और आप शुद्ध हवा भी नहीं ले पा रहे हैं तो आप मेंटल डिप्रेशन में भी जा सकते हैं और आपको ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की वजह से होने वाली सारी बीमारियां भी हो सकती हैं.

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बजाए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के नेबुलाइजर और स्टीम का प्रयोग फायदेमंद हो सकता है. क्योंकि आपके शरीर के भीतर फेफड़ों तक पहुंचने वाली स्टीम आपकी नाक से लेकर फेफड़े तक के रास्तों को साफ रखेगी. जिससे हवा, आपके फेफड़े तक आसानी से पहुंच सके और ऑब्सर्व भी हो सके.

भाप लेने के दौरान अगर पानी में नींबू के रस का भी प्रयोग किया जाए तो यह और अधिक फायदेमंद होगा. क्योंकि नींबू के रस में सिट्रिक एसिड होता है जो प्रोटीन के साथ बांड कर सकता है. जो कफ को डिसॉल्व कर सकता है और सिट्रिक वॉटर सॉल्युबल भी होता है. शरीर में जमा कफ भाप लेने से बाहर निकल जाएगा. जिससे आपके फेफड़े ऑक्सीजन को ऑब्सर्व करने के लिए खुले रहेंगे. इसलिए भाप का प्रयोग कहीं ज्यादा फायदेमंद और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से ज्यादा उपयोगी साबित होगा.

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