
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि यदि आज भारत कोरोना वैक्सीन विकसित करता है तो सरकार ने कम से कम 3 करोड़ ऐसे लोगों की पहचान की है जिन्हें ये वैक्सीन तुरंत लगाया जा सकता है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि हमने पहली बार में 3 करोड़ ऐसे लोगों की पहचान की है जिन्हें वैक्सीन लगाने की जरूरत है. इनमें से 70 से 80 लाख तो डॉक्टर हैं, जबकि लगभग 2 करोड़ लोग हेल्थकेयर वर्कर हैं.
बता दें कि एक एक्सपर्ट कमेटी एक ड्राफ्ट तैयार कर रही है, जिसमें इस बात की चर्चा है कि अगर वैक्सीन तैयार होता है कि तो इसे दिए जाने की प्राथमिकता क्या होगी?
सरकार की प्राथमिकता उन लोगों को कोरोना वैक्सीन देने की है जो इस बीमारी के खिलाफ जंग में फ्रंटलाइन वर्कर बने हुए हैं. सरकार ने जिन 2 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर की पहचान की है उनमें केंद्रीय और राज्य पुलिस बल, होम गार्ड्स, आर्म्स फोर्सेज, निगम कर्मचारी, आशा वर्कर और सफाईकर्मी, शिक्षक, ड्राइवर शामिल हैं.
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि वैक्सीन अगले साल जनवरी से जून के बीच उपलब्ध हो सकती है और सरकार अपनी प्राथमिकता तैयार कर रही है.
उन्होंने कहा कि अगर वैक्सीन का ट्रायल सफल रहता है तो सरकार अपनी प्राथमिकता सूची को आगे बढ़ाएगी. बता दें कि वैक्सीन पर बनी नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप केंद्रीय और राज्य एजेंसियों से मिले इनपुट पर काम कर रही है.
इस ग्रुप की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल कर रहे हैं जबकि स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण इसके सह अध्यक्ष हैं. इन विशेषज्ञों ने भारत की वैक्सीन प्राथमिकता तैयार करते वक्त अमेरिका और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों का अध्ययन किया है.