दूसरी लहर के दौरान कोरोना ने देश में भारी तबाही मचाई. अस्पतालों में बेड्स की कमी, ऑक्सीजन की कमी की वजह से कितने ही मरीजों की जान चली गई. ऐसे में लोगों को डर सता रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर तो नहीं आएगी? गौतमबुद्ध नगर के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि जब कोरोना आयो तो हम बिल्कुल तैयार नहीं थे. दूसरी लहर आयी, तीसरी लहर आने वाली है. जाहिर सी बात है हमने सबक सीखा. अब बहुत कुछ तैयार कर चुके हैं.
बेस्ट ऑक्सीजन डिलिवरी इनिशिएटिव
कोरोना काल के दौरान शानदार काम करने वाले सेलिब्रेटी
कोरोना काल के दौरान बेस्ट एंबुलेंस सर्विस
कोरोना से मुकाबला करने वाला बेस्ट राज्य
बेस्ट एनजीओ और अन्य हेल्थ केयर सर्विस मुहैया कराने वाला संस्थान
कोविड से मुकाबला करने वाला बेस्ट चैरेटी अस्पताल
कोविड से मुकाबला करने वाला बेस्ट सरकारी अस्पताल
कोविड से मुकाबला करने वाला बेस्ट प्राइवेट अस्पताल
कोविड वैक्सीन के लिए शानादार काम करने वाला संस्थान
स्पेशल अवॉर्ड फॉर एन अनसंग हीरो. ये वे लोग हैं जो चुपचाप कोरोना काल के दौरान काम करते रहे.
कोविड 19 के दौरान स्पेशल अवॉर्ड फॉर असिस्टेंस इन लास्ट राइट्स
कोविड 19 के दौरान बेस्ट चाइल्ड केयर एंड सपोर्ट
कोविड 19 के दौरान बेस्ट मेंटल हेल्थ काउसलिंग
कोविड 19 के दौरान बेस्ट वैक्सीन डिलिवरी प्रोग्राम चलाने वाला प्राइवेट अस्पताल
नारायणा हेल्थ बेंगलुरु और श्री एचएन हॉस्पिटल ट्रस्ट मुंबई
कोविड-19 के दौरान सबसे बढ़िया तरीके से वैक्सीनेशन ड्राइवल चलाने वाला राज्य केरल
कोविड-19 के दौरान सबसे बढ़िया तरीके से वैक्सीनेशन ड्राइवल चलाने वाला राज्य गुजरात
मुंबई के टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज और बीवाईएल चैरिटेबल अस्पताल मुंबई ने कोरोना काल के दौरान बेहतरीन काम किया. यहां पर सबसे कम डेथ रेट देखा गया.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के वैज्ञानिकों पर भरोसा किया. पीएम के लॉकडाउन के फैसले को पूरे देश ने समर्थन दिया. कोरोना संकट में स्वास्थ्य के महत्व को समझा गया. भारत ने दुनिया के कई देशों की मदद की. भारत ने 123 देशों की मदद की. उन्होंने कहा कि हेल्थगीरी अवॉर्ड्स बेहद महत्वपूर्ण प्रयास है. गांधी जी के विचारों से प्रेरित है हेल्थगिरी अवॉर्ड्स. गांधी जी ने स्वास्थ्य को सही संपत्ति करार दिया था.
इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी ने कहा कि हमारे पास जश्न मनाने के लिए और भी बहुत कुछ है. भारत का वैक्सीनेशन कार्यक्रम कोरोना महामारी के खिलाफ दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण सक्सेस स्टोरी में से एक रहा है. एक धीमी शुरुआत के बाद, हमने दुनिया के सबसे व्यापक टीकाकरण अभियानों में से एक को शुरू किया है. 1 मार्च से, हमने कोरोना वैक्सीन की 90 करोड़ से ज्यादा खुराकें दी हैं. यह यूरोप की आबादी से भी ज्यादा है. 17 सितंबर को सिर्फ एक दिन में हमने पूरे देश में 2.5 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लगाया. यह एक विश्व रिकॉर्ड है. विश्व स्तर पर टीकों का सबसे बड़ा निर्माता होने के अलावा, भारत ने दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन विकसित की है, जिसे 12 साल से ऊपर के सभी लोगों को दिया जा सकता है. प्रधानमंत्री ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा को इस बात की जानकारी दी है. आदरणीय स्वास्थ्य मंत्री ने हमें हाल ही में बताया कि कैसे भारत का लक्ष्य इस महीने से कोरोना वैक्सीन के निर्यात को फिर से शुरू करना है, ताकि हम अपने ग्लोबल कमिटमेंट को पूरा कर सकें.
माननीय मंत्री जी, हमने ऑनलाइन पब्लिक नामांकन के माध्यम से हेल्थगीरी पुरस्कारों के विजेताओं को चुना है. सभी 18 कैटेगरी में से प्रत्येक के लिए पांच या छह नामों को चुना गया था. जूरी ने विजेताओं का चयन किया और एक स्वतंत्र रिसर्च एजेंसी, एमडीआरए द्वारा उनकी जांच की, उनका सत्यापन किया. इस जूरी में मनीष सभरवाल, चेयरमैन, टीम लीज सर्विसेज लिमिटेड, डॉ श्रीनाथ रेड्डी, अध्यक्ष, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, डॉ नरेश त्रेहन, चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर, मेदांता, डॉ स्वाति पीरामल, वाइस चेयरपर्सन, पीरामल ग्रुप, और मैं स्वयं शामिल था. मैं अपनी जूरी को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने इस काम के लिए समय निकाला. मैं यहां यह बताना चाहता हूं कि हमने पिछले वर्ष सम्मानित हो चुके लोगों के नाम पर विचार नहीं किया, हालांकि उनका शानदार काम जारी है. मेरा मानना है कि आज के विजेता और हेल्थगीरी अवार्ड्स में भाग लेने वाली शख्सियतें ही न्यू इंडिया के सच्चे हीरो और असली चैंपियन हैं. ये हमारा सौभाग्य है कि हमें उनके उत्कृष्ट कार्य को सम्मान देने का मौका मिला. अब मैं माननीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया से आपका परिचय कराना चाहता हूं. श्री मंडाविया गुजरात से राज्यसभा के सदस्य हैं और हमारे सबसे युवा कैबिनेट मंत्रियों में से एक हैं. उन्होंने 2016 में सड़क परिवहन और राजमार्ग, शिपिंग, रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली थी. 2019 में, उन्हें बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया था. उन्होंने पिछले साल जनवरी में स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच में भारत का प्रतिनिधित्व किया था.
वे स्त्री स्वच्छता, महिला अधिकारों के प्रबल समर्थक हैं. उन्हें 'सुविधा सेनेटरी नैपकिन' की उनकी पहल के लिए Menstrual Hygiene Day पर यूनिसेफ ने 'Men for Menstruation' से सम्मानित किया है. इस साल जुलाई में, उन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बनाया गया, जहां अन्य कार्यों के अलावा, उन्हें महामारी के खिलाफ सरकार की लड़ाई का नेतृत्व करना है. मंडाविया में साइकलिंग को लेकर गजब का जुनून है, वह संसद तक साइकिल की सवारी करने वाले हमारे चुनिंदा राजनेताओं में से एक हैं. यह पूछे जाने पर कि वह ऐसा क्यों करते हैं, उन्होंने कहा, "यह उनके लिए एक जुनून है, फैशन नहीं". मुझे पता है कि वह उसी जुनून के साथ अपनी नई जिम्मेदारियां निभाएंगे. उनकी कड़ी मेहनत और लोगों की सेवा करने के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए मेरा विश्वास है कि इस देश का 'स्वास्थ्य' अच्छे हाथों में है.
मैं माननीय मंत्री जी का हृदय से स्वागत करता हूं और उनसे मुख्य संबोधन देने का अनुरोध करता हूं.
उन्होंने आगे कहा कि यह एक तरह का युद्ध था. और इससे मुकाबले के लिए योद्धाओं (warriors) के एक असाधारण समूह की जरूरत थी. देश भर में, हजारों समर्पित पुरुष, महिलाएं और संगठन; दोनों ही तरफ से सरकार में और निजी क्षेत्रों में, हमारे कोरोना योद्धा थे जिन्होंने संकट में फंसे देश के नागरिकों की मदद की. उन्होंने लोगों की देखभाल की, एम्बुलेंस लेकर गए, जरूरतमंदों को मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई की, बच्चों के लिए मदद कार्यक्रम चलाए, मृतकों का अंतिम संस्कार किया और संकट से निपटने में राज्य का पूर्ण सहयोग किया. मुझे खुशी है कि हम गुमनाम नायकों के प्रतिबद्धता भरे इस निस्वार्थ कार्य को पुरस्कृत कर रहे हैं. हालांकि, हर अंधकार के बाद रोशनी आती है. भारत में लगातार 92 दिनों से रोजाना 50,000 से कम मामले सामने आए हैं, कल तो अपने देश में मात्र 26,727 नए कोरोना केस ही आए. इसके अलावा, साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट, जो कि WHO की सिफारिश के अनुसार 5 प्रतिशत से कम रहना चाहिए, वो भारत में पिछले 94 दिनों से 3% से कम है. और दिल्ली में अब तीन महीने से लगातार 100 से कम पॉजिटिव केस आए हैं.
इसका नतीजा ये हुआ कि अब देश के प्रमुख शहरों में कोविड के लिए बने अस्पतालों में बहुत कम ही बेड मरीजों से भरे हैं. केरल, जहां कि सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं, वहां अस्पतालों में भर्ती सभी लोगों में से केवल 4% में गंभीर लक्षण थे. अब लगता है कि कोरोना की दूसरी लहर को आखिरकार हमने पीछे छोड़ दिया है. लेकिन हम केवल अपनी रिस्क पर ही लापरवाह हो सकते हैं. हमें सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का पालन करने और मास्क लगाने की अपनी सुरक्षा को बनाए रखने की आवश्यकता है.
इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन ने कहा कि जैसा कि हम इस स्वच्छता मिशन को जारी रखे हैं; हम इस तथ्य को नहीं भूल सकते कि कोविड -19 महामारी की काली छाया अभी भी हमारा पीछा कर रही है. ये महामारी वैश्विक स्तर पर बड़े पैमानों पर मौतों और दुखों का कारण बनी है. हाल के इतिहास में ऐसा समय कभी नहीं आया जब इस कदर जीवन आजीविकाएं प्रभावित हुई हों. इस महामारी ने पिछले साल से अबतक दुनिया भर में 47 लाख से अधिक लोगों की जान ली है. अर्थव्यवस्थाओं को तबाह कर दिया गया है. जो बच गए उन्हें अपने जीवन के हर क्षेत्र में अधिक से अधिक आर्थिक असुरक्षा, चिंता और व्यवधान का सामना करना पड़ा है. कई लोगों के लिए मानसिक और शारीरिक चुनौतियां बरकरार हैं. अब तक, भारत में कोविड-19 के 33 मिलियन से अधिक मामले और 4,48,605 मौतें दर्ज की गई हैं. हम देश के स्तर पर कोरोना मामलों की संख्या में अमेरिका के बाद दूसरे और कुल मौतों की संख्या में तीसरे स्थान पर हैं.
हमने इस साल अप्रैल और मई के बीच कोविड -19 महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर देखी, जिसमें एक दिन में 400,000 से अधिक केस रिकॉर्ड किए गए. भारत की कुल कोविड डेथ में से आधी अकेले उन दो महीनों में हुईं. और मुझे विश्वास है कि यहां मौजूद हम में से हर कोई किसी न किसी तरह से इस हेल्थ इमरजेंसी से प्रभावित हुआ है. सहज चलने वाला हमारा हेल्थ सिस्टम संक्रमित रोगियों की अभूतपूर्व संख्या से तेजी से प्रभावित हुआ. बीमार व्यक्तियों को अस्पतालों तक ले जाने के लिए पर्याप्त एम्बुलेंस नहीं थीं. ऑक्सीजन और अस्पताल में बेड की किल्लत हो गई थी और मरीजों को देखने के लिए मेडिकल स्टाफ की कमी हो गई थी. श्मशान भरे पड़े थे और, कई मामलों में, जहां पूरे परिवार कोविड पॉजिटिव थे वहां मृतकों का अंतिम संस्कार करने के लिए भी कोई नहीं था.
इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी ने स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया का स्वागत किया. उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि वास्तव में, इंडिया टुडे सफाईगीरी अवॉर्ड्स के सातवें संस्करण में इस समय बाहर आने के लिए आपका दोहरा स्वागत है, जिसे पिछले साल से हमने हेल्थगीरी शिखर सम्मेलन और अवॉर्ड्स में बदल दिया है. चूंकि महामारी का प्रकोप अभी भी कायम है और यह साल भी मुश्किलों भरा रहा है, हम इसे हेल्थगीरी अवॉर्ड्स के रूप में जारी रख रहे हैं. 2014 से इस अवॉर्ड्स सेरेमनी की मेजबानी करना एक सम्मान और सौभाग्य की बात है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया टुडे ग्रुप और मुझे स्वच्छ भारत के राजदूत के रूप में नॉमिनेट किया था.
कल की ही बात है, माननीय प्रधानमंत्री जी ने स्वच्छ भारत मिशन-अर्बन (SBMU) 2.0 और अटल मिशन फॉर रेजूवेंशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT) 2.0 का शुभारंभ किया.
SBMU 2.0 का उद्देश्य हमारे शहरों को कचरा मुक्त बनाना, सीवेज और सेप्टिक प्रबंधन में सुधार करना, हमारे शहरों को पानी से सुरक्षित बनाना और यह सुनिश्चित करना है कि हमारी नदियों में किसी तरह का सीवेज बहकर न जाए. ये बेहद ही प्रशंसनीय और बहुत जरूरी लक्ष्य हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा और मैं कोट करता हूं, "स्वच्छता एक जीवनशैली है, स्वच्छता जीवन का मंत्र है." मेरा मानना है कि हम सभी को अपने देश की भलाई के लिए इस मंत्र पर समर्पण के साथ कार्य करना चाहिए.
पीएम मोदी ने हेल्थगिरी अवॉर्ड जीतने वाले सभी वॉरियर्स को शुभकामनाएं दी हैं. इसके साथ ही इंडिया टुडे ग्रुप को भी बधाई दी है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि इंडिया टुडे ग्रुप 2 अक्टूबर को जमीनी स्तर पर बदलाव करने वाले कर्मियों को सम्मान देता रहा है. फिर चाहे वो स्वच्छता अभियान को लेकर हो या फिर हेल्थकेयर को लेकर.
इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलिरी साइंसेज के डायरेक्टर डॉ एसके सरिन ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर आएगी. इस साल आएगी या अगले साल लेकिन आएगी जरूर. क्योंकि वायरस है तो उसका म्यूटेंट जरूर बनेगा. कोरोना वायरस बहुत खतरनाक वायरस है और काफी तेजी से अपना रंग रूप बदल लेता है. इसलिए यह बहुत खतरनाक भी हो सकता है और किसी के भी इम्यून सिस्टम को डैमेज कर सकता है.
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ अशोक सेठ ने कहा कि वायरस को तो सर्वाइव करना है. इसलिए म्यूटेंट बनेगा. फेस्टिवल में खतरा रहता है. आप केरल का उदाहरण देख लीजिए या कुंभ का. जहां भी भीड़ है वहां कोरोना का खतरा रहता है. पहले लगता था कि वैक्सीन लगवा ली तो प्रोटेक्टेड रहेंगे. लेकिन ये किसी को मालूम नहीं है कि वैक्सीन की एंटीबॉडी का प्रोटेक्शन कितने समय तक रहेगा. हां ये जरूर मालूम है कि अगर वैक्सीन लग गई तो अगली बार कोरोना से खतरा कम होगा. ICU में कम जाएंगे. छह महीने में एंटीबॉडी कितनी कम होगी, इस बारे में कह नहीं सकते. इसलिए जरूरी है कि फेस्टीव सीजन में भी मास्क लगाए रखें और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें.
मेदांता के चेयरमैन डॉक्टर नरेश त्रेहन ने कहा, किसी को पता नहीं है कि क्या होगा? लेकिन पिछले साल और अब में जो मुख्य अंतर है कि वैक्सीनेशन रेट काफी हाई है. आंकड़े बताते हैं कि सीरो पॉजिटिविटी रेट काफी हाई है. जितने भी सैंपल आए हैं उनमें 65 से 80 प्रतिशत तक सीरो पॉजिटिविटी रेट हैं. दूसरी बात यह है कि 75-80 प्रतिशत लोगों को पहली डोज लग गई है. बच्चों को अभी भी खतरा है. ऐसे में लग रहा है कि इस बार अगर कोरोना की लहर आएगी तो वो पिछली लहर की तुलना में कम खतरनाक होगी. लेकिन यह पूरी तरह से एक अंदाजा है. यह झूठ साबित भी हो सकता है. दूसरे देशों में भी देखें तो वहां के आंकड़े यही बताते हैं. हालांकि उन देशों में डेल्टा वेरिएंट भारत के बाद पहुंचा है, लेकिन फिर भी अस्पतालों में ले जाने की नौबत आई हो या ज्यादा गंभीर लक्षण दिखे हों ऐसा कम दिखते हैं. तो इसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार कोरोना कम खतरनाक हो.
तीसरी लहर जरूर आएगी. इसका समय भी हमलोगों ने अक्टूबर, दिसंबर कैलकुलेट किया है. कहा गया कि बच्चों को लिए ज्यादा खतरनाक हो सकती है, क्यों? इसका कारण है. 16 जनवरी को पहला वैक्सीनेशन लगा था. मैं देश का पहला डॉक्टर सांसद था जिसे पहले वैक्सीन लगी. उस वक्त 28 दिन का शिड्यूल था. एक महीने बाद मैंने दूसरी वैक्सीन लगाई. उसके एक दो महीने बाद मुझे कोविड हो गया. नवंबर अक्टूबर महीने तक बूस्टर लगवाने की जरूरत होगी. क्योंकि तब तक इम्यूनिटी कम हो जाएगी.
डॉ. महेश शर्मा ने कहा ये बात सच है कि पहली लहर के बाद दूसरी लहर के दौरान हम चिकित्सक, ब्यूरोक्रेट्स, शासन प्रशासन मानसिक रूप से तैयार नहीं थे कि ऐसा होगा. अन्यथा रेमडेसिविर जैसी दवाइयों की कमी और ऑक्सीजन की कमी नहीं होती. इन चीजों की कमियां हुईं हमें स्वीकारना चाहिए. लेकिन सही समय पर सरकार ने फैसले लेकर बहुत कुछ बर्बाद होने से बचा लिया. वहीं तीसरी लहर को लेकर बीजेपी सांसद ने कहा कि ईश्वर ना करें कि तीसरी लहर आए. लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि तीसरी लहर जरूर आएगी. इसलिए हमें तैयार रहना चाहिए. वायरस में म्यूटेशन एक नेचुरल प्रोसेस है.
डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि जब कोरोना आयो तो हम बिल्कुल तैयार नहीं थे. दूसरी लहर आयी, तीसरी लहर आने वाली है. जाहिर सी बात है हमने सबक सीखा. अब बहुत कुछ तैयार कर चुके हैं. पूरा देश और देश के साथ साथ 130 करोड़ भारतीय भी अब मानसिक रूप से शारीरिक रूप से तैयार कर चुके हैं. मीडिया के लोग भी आगाह करते रहते हैं. इससे हम तैयारी करने का मौका मिला. अगर हम ध्यान करें 25 मार्च का दिन जब थाली-ताली बजाई गई. कभी दिए जलाए गए, लोग उसपर हंसे थे कि कोरोना आ रहा है और हम दिए जला रहे हैं. लेकिन उसी चीज ने हमें वह मौका दिया है कि हम खुले वातावरण में बैठे हैं. मास्क हटाने की हिम्मत बढ़ गई है. वरना छह महीने पहले मास्क हटाने की कोई हिम्मत नहीं कर पाता था. आज हम बहुत तैयार हैं. पिछली घटनाओं से हमने बहुत कुछ सीखा है.
डॉ महिन्दर धालीवाल ने कहा कि वैक्सीनेशन के बाद रिंग ऑफ प्रोटेक्शन मिलेगा. 12 साल के बच्चे अपने माता पिता से पूछ रहे हैं कि वैक्सीन कब आएगी. मां-बाप भी बेसब्री से बच्चों के लिए वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं. इसके बाद ही उन्हें स्कूल में भेजने का मां बाप में विश्वास आएगा.
डॉ रवि मलिक ने कहा कि बच्चों का वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है. क्योंकि अगर पूरा वैक्सीनेशन नहीं होगा तो हर्ड इम्यूनिटी बढ़ेगी नहीं. बच्चों की आबादी 40 प्रतिशत है. ऐसे में अगर सभी एडल्ट्स को वैक्सीनेट कर भी देते हैं तो भी हर्ड इम्यूनिटी सिर्फ 60 प्रतिशत बच्चों में बनेगी. मां-बाप के दिमाग में डर रहता है कि जब बच्चों में लक्षण ही है नहीं है तो वैक्सीन क्यों दें? ऐसे में समझना जरूरी है कि बच्चों से ग्रांड्स पैरेंट्स को भी कोरोना संक्रमण का खतरा रहेगा.
डॉ महिन्दर धालीवाल ने कहा कि वैसे बच्चे जो हाई रिस्क होते हैं, जैसे कि किडनी की प्रॉब्लम, अस्थमा की प्रॉब्लम उनको पहले वैक्सीन देनी चाहिए. क्योंकि उन्हें इस बीमारी से ज्यादा खतरा है. इससे उन्हें फायदा मिलेगा.
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रवि मलिक ने कहा कि हमारे देश में लगभग 40 प्रतिशत बच्चे 18 साल से कम के हैं. तो लगभग यह आंकड़ा 48 करोड़ का बन जाता है. बच्चे भी सवाल करते हैं कि मुझे कब रक्षा कवच मिलेगा. संभवत: अक्टूबर में ही जायडस कैडिला की वैक्सीन 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए मिलनी शुरू हो जाएगी. कसौली से इस शुक्रवार को डेढ़ लाख के करीब वैक्सीन रवाना हुई है. बच्चों के लिए यह खुशखबरी है कि इसमें बच्चों को इंजेक्शन नहीं देना होगा. समान्यत: अन्य वैक्सीन मांसपेशी के अंदर डालनी होती है तो उसमें इंजेक्शन से करना होता है. लेकिन जायडस कैडिला की वैक्सीन सिर्फ स्किन के अंदर डालनी होती है. वो इंजेक्शन से नहीं दी जाएगी. एक हाईप्रेशर जेट से दी जाएगी. ये कोई भी दे सकता है. नर्स ना भी हो तो चलेगा. इस महीने से बच्चों को वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी. लेकिन इनकी आबादी काफी ज्यादा है तो इसे पूरा करने में समय लगेगा.
अगले सप्ताह से नवरात्र की शुरुआत होने जा रही है. इसके बाद अगले एक दो महीने तक त्योहारों का सीजन है. ऐसे में एम्स निदेशक ने लोगों से अपील की है कि वो सावधानी पूर्वक त्योहारों का आनंद लें. सभी जरूरी कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करें. मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग आदि का ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखें. वहीं पिछले कुछ दिनों में कई स्कूल खोले जा रहे हैं. इसको लेकर गुलेरिया ने कहा कि पिछले दो सालों से स्कूल पूरी तरह बंद है. ऐसे में बच्चों का फिजिकल ग्रोथ रुक गया है. इसलिए जरूरी है कि स्कूल खोले जाएं. लेकिन जरूरी है कि वहां भी सभी जरूरी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें.
क्या आगे फिर से कोई लहर आ सकती है. इस सवाल के जवाब में एम्स निदेशक ने कहा कि बेहतर है कि आप हमेशा तैयार रहें और अपनी तैयारी पूरी रखें. लेकिन दो तीन फैक्टर हैं जो डेथ रेट को कंट्रोल करने के लिए बेहद जरूरी होगी. पहला हमारे यहां वैक्सीनेशन की रफ्तार ठीक है. क्योंकि इससे ही डेथ रेट पर कंट्रोल किया जा सकता है.
अगर लोगों की जान बचानी है तो लोगों को कम से कम एक डोज देना ही होगा. उसके बाद ही हमें बूस्टर डोज की बात करनी चाहिए. अब तक के डाटा के मुताबिक आम स्वस्थ लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत है, इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है. दूसरी बात यह काफी महत्वपूर्ण है कि बूस्टर डेटा कौन सी देनी चाहिए. जो पहले ले चुके हैं या फिर कोई नई वैक्सीन लेनी चाहिए.बेहतर होगा कि अभी इंतजार करें. पक्का डाटा आ जाने के बाद इसपर विचार किया जाएगा.
बूस्टर को लेकर अभी तक कोई ऐसा डेटा नहीं है जो प्रोटेक्शन को लेकर सही जानकारी दे सके. क्योंकि इसमें यह जानना जरूरी होगा कि बूस्टर डोज कब लगना चाहिए. दूसरा जैसे जैसे अन्य वैक्सीन आ रही है. और हम ट्रायल कर रहे हैं. पहले जब वैक्सीन नहीं थी दो ग्रुप पर ट्रायल करते थे. एक को वैक्सीन लगाई, एक को नहीं लगाई. लेकिन अब यह अनैतिक होगा कि किसी को वैक्सीन ना दें और तुलना करें. वैक्सीन ट्रायल के लिए भी आगे हमें तुलना करना होगा कि सेकंड जेनरेशन और थर्ज जेनरेशन के लिए.
इम्यूनिटी को लेकर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना के अलावा भी देखें तो एंटीबॉडी हमेशा नहीं रहती है. वह तीन चार महीने बाद कम होने लगती है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उस व्यक्ति में इम्यूनिटी नहीं है. मेमरी सेल, आपके बोन मेरो आदि में रहती है. वह वायरस के सिग्नेचर को पहचानता है. इसे टी मेंमरी सेल कहते हैं. अगर टी मेमरी सेल ने वायरस को पहचान लिया है तो जब भी शरीर में कोई दिक्कत आएगी. यह अपना काम शुरू कर देगा. इसका ये मतलब है कि अगर शरीर में वायरस आया तो खुद ब खुद एंटीबॉडी बन जाएगी.
कोरोना के अलग अलग वेरिएंट्स देखने को मिल रहे है. मुख्य रूप से जो अभी वेरिएंट हैं वो डेल्टा हैं. इसके अलावा डेल्टा प्लस हैं. कई जगहों पर म्यू, सी-1,2 पाए गए हैं. लेकिन अभी तक इनको लेकर ऐसा कोई डाटा नहीं है कि यह वेरिएंट्स ज्यादा सीरियस या इंफेक्शियस है. या हम देख रहे हैं कि इनकी वजह से मौतें ज्यादा हो रही हैं. अभी तक के हिसाब से देखें तो वैक्सीन से लोगों को प्रोटेक्शन मिला है.
AIIMS के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि वैक्सीनेशन की जो वर्तमान रफ्तार है उससे लगता है कि इस साल के आखिर तक पूरी आबादी को वैक्सीन लग जाएगी. बाकी अगले साल सभी लोगों को दोनों डोज लग जाएगी. कई लोग सवाल करते हैं कि क्या वैक्सीनेशन से इंफेक्शन खत्म हो जाएगी. लेकिन मेरा कहना है कि इससे कोरोना से मौत का डर या गंभीरता कम हो जाएगी.