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कोरोना कवच के ग्रुप इंश्योरेंस को मिली मंजूरी, जानें- कैसे मिलेगा फायदा

बीमा कंपनियों को रेग्युलेट करने वाली संस्था इरडा ने कोरोना कवच को ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी के रूप में पेश करने की अनुमति दे दी है.

5 लाख तक का है बीमा 5 लाख तक का है बीमा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST

  • कोरोना कवच ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी को मिली मंजूरी
  • अब कंपनियां अपने कर्मचारियों को दे सकेंगी पॉलिसी

कोरोना संकट काल के बीच हाल ही में भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने एक अल्पकालीन इंश्योरेंस पॉलिसी लॉन्च किया है. अब इसको ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी के रूप में पेश करने की अनुमति दे दी गई है.

क्या है इसके मायने

इससे सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों और अन्य कारोबारी इकाइयां अपने कर्मचारियों को कोरोना से बचाव के लिए बीमा कवर उपलब्ध करा सकेंगी. इरडा ने एक सर्कुलर में कहा गया है कि कोरोना कवच की ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी भी विभिन्न निजी और सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के लिए काफी उपयोगी साबित होगी.

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इससे कंपनियां अपने कर्मचारियों को कोविड- 19 से संबंधित चिकित्सा जरूरतों को कवर कर सकेंगे. ग्रुप पॉलिसी डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए भी काफी उपयोगी साबित होगी. इन कोरोना वॉरियर्स को पांच प्रतिशत की छूट भी दी जाएगी.

क्या है कोरोना कवच?

हाल ही में इरडा ने 29 बीमा कंपनियों को कोरोना कवच स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी पेश करने की अनुमति दे दी है. शॉर्ट टर्म में पॉलिसी साढ़े तीन महीने, साढ़े छह महीने और साढ़े नौ महीने के लिए हो सकती है. इसमें बीमा राशि 50,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक है.

ये पढ़ें—कोरोना कवच पॉलिसी को मिली मंजूरी, 5 लाख तक का इलाज होगा कवर

नियामक के अनुसार प्रीमियम भुगतान एक बार करना होगा और पूरे देश में प्रीमियम राशि समान होगी. मूल कवर का प्रीमियम 447 से 5,630 रुपये (जीएसटी शामिल नहीं) रहेगा. यह राशि व्यक्ति की उम्र, बीमित राशि और पॉलिसी की अवधि के हिसाब से अलग-अलग होगी.

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क्या होगा दायरे में?

मरीज को अगर कोविड-19 के साथ अन्य बीमारी है तो वायरस संक्रमण के साथ उस पर होने वाले इलाज का खर्च भी पॉलिसी के दायरे में आएगा. इसके अलावा अस्पताल में भर्ती होने पर रोड एम्बुलेंस का खर्च या घरों में 14 दिन के देखभाल का खर्च भी शामिल है. वहीं, आयुर्वेद, होम्योपैथ समेत दूसरे इलाज के विकल्प भी पॉलिसी के दायरे में आएंगे.

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