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Omicron वैरिएंट कितना खतरनाक, कैसे फैल रहा संक्रमण, क्या सावधानी बरतें? टॉप एक्सपर्ट्स से जानें

वैज्ञानिकों ने बताया नया वैरिएंट कितना खतरनाक होगा? इस बारे में अभी सबूत उपलब्‍ध नहीं है. हालांकि, अभी शुरुआत में यही रिपोर्ट है कि इस वैरिएंट के कारण अभी अस्‍पताल में एडमिट होने की जरूरत नहीं आई है. ये कितनी तेजी से फैलता है, इसकी जांच सामने आने में कम से कम 7 से 10 दिन लगेंगे.

Experts on Omicron Variant Experts on Omicron Variant
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 02 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST
  • ओमिक्रॉन पर आई वैज्ञानिकों की राय
  • तीसरी लहर, लॉकडाउन से जुड़े सवालों पर दिए जवाब

Health Experts on Omicron COVID-19 Variant: ओमिकॉन वैरिएंट कितना खतरनाक है, इससे निपटने के लिए क्‍या सावधानी बरतनी चाहिए. इस बारे में दुनिया के हेल्‍थ एक्‍सपर्ट की राय भी सामने आ रही है. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन पहले ही इस लेकर अपनी चिंता जता चुका है. इस बारे में आजतक से WHO की चीफ साइंटिस्‍ट डॉ सौम्‍या स्‍वामीनाथन ने बात की, उन्‍होंने बताया कि डेल्‍टा वैरिएंट के कारण भारत में सबसे ज्‍यादा मौतें हुई थी. अभी इस बात की जानकारी नहीं है कि ये डेल्‍टा वैरिएंट से कितना खतरनाक है. ये कितनी तेजी से ये फैलता है? अभी इस बारे में पुष्टि नहीं हो सकी है. 

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डॉ स्‍वामीनाथन ने बताया दक्षिण अफ्रीका में भी शुरुआत में कॉलेज में ओमिक्रॉन वैरिएंट के केस सामने आए, जिसकी पुष्टि जीनोम सीक्‍वेसिंग के द्वारा हुई. हालांकि, ये अभी जांच का विषय है कि यह वायरस दक्षिण अफ्रीका में ही पैदा हुआ या ये बाहर से आया था. इस बात की जांच चल रही है. ये कितनी तेजी से फैलता है, इसकी जांच सामने आने में कम से कम 7 से 10 दिन लगेंगे. उन्‍होंने कहा कि अब तक के जितने केस मिले हैं, उसमें लोगों को ज्‍यादा  दिक्‍कत नहीं हुई है. कुछ केस जो दक्षिण अफ्रीका में मिले थे, उनमें से कुछ लोग ऐसे भी थे. जिनको वैक्‍सीन लगा हुआ था.

#EXCLUSIVE | ओमिक्रॉन पर WHO की चीफ साइंटिस्ट @doctorsoumya ने कहा, ऑमिक्रॉन के संक्रमण के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं #Omicron #RE pic.twitter.com/nbMI4G0ddC

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— AajTak (@aajtak) December 1, 2021

वहीं एम्‍स के डायरेक्‍टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने समाचार एजेंसियों से बातचीत में बताया कि ओमिक्रॉन इम्‍युनिटी पर असर डाल सकता है, जिससे वैक्‍सीन की प्रभावशीलता कम हो सकती है. वहीं उन्‍होंने ये भी कि भारत में जो भी वैक्‍सीन उपयोग में लाए जा रहे हैं, उनका मूल्‍यांकन करने की जरूरत है. 

वहीं, आईसीएमआर के मुख्‍य वैज्ञानिक डॉ रमन गंगाखेडकर ने बताया कि ये नया वैरिएंट कितना खतरनाक होगा इस बारे में अभी सबूत उपलब्‍ध नहीं है. हालांकि, अभी शुरुआत में यही रिपोर्ट है कि इस वैरिएंट के कारण अभी अस्‍पताल में एडमिट होने की जरूरत नहीं आई है. उन्‍होंने कहा माइल्‍ड लक्षणों को रोका नहीं जा सकता है, ऐसे में वैक्‍सीनेशान जरूर करवाएं. क्‍योंकि वैरिएंट लगातार आते रहेंगे. 

Dr Fauci ने Omicron पर क्‍या कहा था 

अमेरिका के संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ और व्‍हाइट हाउस के चीफ मेडिकल एडवाइजर डॉ फाउसी ने ओमिक्रॉन के लेकर कहा कि लोग वैक्‍सीन जरूर लगवाएं, हर तरह की परिस्थिति के लिए तैयार रहें. वह ये भी बोले थे लोग लॉकडाउन की बात कर रहे हैं.  लेकिन इसके लिए सारे वैज्ञानिकों तथ्‍यों को देखना होगा. सीएनबीसी से बातचीत में उन्‍होंने बताया कि इस वैरिएंट ने म्‍यूटेशन के कारण चिंता बढ़ाई है, हो सकता है कि वैक्‍सीन का प्रभाव कम हो. साथ ही वहीं पहले के जो डेल्‍टा वैरिएंट समेत अन्‍य वैरिएंट आए हैं, उनसे भी ज्‍यादा ओमिक्रॉन खतरनाक हो. अमेरिका के कैलिफोर्निया में भी पहला ओमिक्रॉन वैरिएंट का केस सामने आया है. 

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The first U.S. case of the Omicron variant of COVID-19 has been detected in California, top U.S. infectious disease expert Anthony Fauci said https://t.co/oZaxwy75lk pic.twitter.com/auZiM1A2Xl

— Reuters (@Reuters) December 2, 2021

दक्षिण अफ्रीका में कैसे थे ओमिक्रॉन के लक्षण 

बकौल डॉ सौम्‍या स्‍वामीनाथन , दक्षिण अफ्रीका में जिन युवकों में शुरुआत में ओमिक्रॉन वैरिएंट के केस सामने आए थे, उनमें सिरदर्द, बदन दर्द और थकावट के लक्षण थे. हालांकि जो लक्षण थे उस पर ध्‍यान देने से बेहतर है कि पहले कि जो सावधानियां हैं वह बरतते रहें. वहीं वैज्ञानिक तौर पर अभी ये अनुमान लगाना ठीक नहीं है कि इस वैरिएंट में माइल्‍ड लक्षण ही रहते हैं. डॉ स्‍वामीनाथन बोलीं, वैज्ञानिकों ने जो अब तक की जांच की है, उसके अनुसार कोरोना के इस वैरिएंट में सबसे ज्‍यादा म्‍यूटेशन हुए हैं. जोकि करीब 50 हैं. इनमें 30 म्‍यूटेशन स्‍पाइक प्रोटीन थे. स्‍पाइक प्रोटीन से ही सेल के माध्‍यम से वायरस शरीर में जाता है. TIGS के डायरेक्‍टर राकेश मिश्रा ने बताया इसके लक्षण कितने अलग हैं, ये अभी सामने नहीं आया है. ऐसे में इसके लक्षण पहले की तरह ही हो सकते हैं.  

वैक्‍सीन हर वैरिएंट पर कारगर?

डॉ स्‍वामीनाथन ने बताया कि अभी तक जितने भी वैरिएंट आए हैं, उसमें ये ध्‍यान देने की जरूरत है कि हरेक पर ये काम करते हैं. ऐसे में ये डरने की जरूरत है कि कोई वैक्‍सीन इस वैरिएंट पर काम नहीं करेगा. अभी पूरी दुनिया में जो भी मामले सामने आ रहे हैं उनमें 99 फीसदी कोरोना वायरस के केस में 99 फीसदी डेल्‍टा वैरिएंट से संबंधित है. लेकिन 45 साल के ऊपर के लोग अपना वैक्‍सीनेशन जरूर करवाएं और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्‍सीनेशन करवाने की आवश्‍यकता है. 

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बूस्‍टर की जरूरत क्‍यों 

आखिर बूस्‍टर डोज लगाने की जरूरत क्‍यों हैं, ऐसे में इसकी कितनी आवश्‍यकता क्‍यों है. इस बारे में डॉ स्‍वामीनाथन ने बताया कि 6 सात महीनों के बाद वैक्‍सीन लगवाने के बाद ये सामने आया है कि वैक्‍सीन की प्रतिरोधक क्षमता कम हुई है, लेकिन इसे हर देश को डाटा देखकर इसका उपयोग करना चाहिए. इसके इतर, डॉ रमन गंगा खेडकर ने कहा कि बूस्‍टर डोज उन लोगों को संबधित देशों में दी गई थी, जिनकी उम्र ज्‍यादा थी. या जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम थी. वह बोले- मेरे हिसाब से 18 प्‍लस को भी बूस्‍टर डोज दी जाए, ये फिलहाल ठीक नहीं है. ओमिक्रॉन अभी दक्षिण अफ्रीका और दूसरे देशों में है, ऐसे में यह समझने की जरूरत है कि कुछ दिन रुककर नए विषाणु का टेस्‍ट कर वैक्‍सीन मेकर बनाएं. लेकिन पहले तो ये सबसे जरूरी है कि वैक्‍सीन कि दोनों डोज लगवाएं.

क्‍या आएगी कोरोना की तीसरी लहर

समाचार एजेंसियों से बात करते हुए देश के नामी वायरोलॉजिस्‍ट डॉ टी जैकब ने बताया कि फिलहाल बूस्‍टर डोज से ओमिक्रॉन पर लगाम लगाई जा सकती है. हालांकि उन्‍होंने ये भी कहा कि ये कोरोना की तीसरी लहर नहीं होगी लेकिन इससे कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं. वहीं उन्‍होंने ये भी कि बच्‍चों को वैक्‍सीन की डोज दी जानी चाहिए. वही गर्भवती महिलाओं को दो डोज पहली प्रैगनेंसी में देनी चाहिए. डॉ स्‍वामीनाथन ने बताया कि ट्रैवल बैन करने से ज्‍यादा जरूरी है कि यात्रियों की स्‍क्रीनिंग जरूरत है. वहीं भारत के संदर्भ में उन्‍होंने कहा लॉकडाउन सबसे आखिरी में इस्‍तेमाल होना चाहिए. 

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जिनको कोरोना हुआ उन्‍हें कितना खतरा 

इस बारे में महाराष्‍ट्र कोविड टास्‍क के डॉ शशांक आर जोशी ने बताया जिनको कोरोना हो जाता है उनको नैचुरल इम्‍युनिटी आती है और जिनको कोरोना के साथ वैक्‍सीन भी लगी हुई हैं. उनकी प्रतिरोधक क्षमता और ज्‍यादा होती है. ऐसे में दोबारा कोरोना होने का लक्षण कम रहता है. जो नया वैरिएंट आया है उससे सतर्क आया हैं, ये किसी एक उम्र वाले को अटैक नहीं करेगा. बल्कि जो लोग मधुमेह, श्‍वसन और दूसरी बीमारियों से जूझ रहे हैं. उन्‍हें सावधान रहने की जरूरत है. बूस्‍टर डोज के पीछे भागने की जरूरत नहीं है, लेकिन एन 95 मास्‍क लगाएं. 

 

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