
झारखंड के रांची सदर अस्पताल का हाल बेहाल है. इस अस्पताल को कोविड अस्पताल के रूप में घोषित किया गया है, इसके बाद भी यहां व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं. सैंपल देने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी हुई है. हैरान करने वाली बात ये है कि उन्हें पता नहीं है कि उनकी रिपोर्ट आखिर कब मिलेगी. जानकारी के अनुसार 28 हजार RT-PCR सैंपल की रिपोर्ट पेंडिंग चल रही हैं.
परेशान हैं लोग
यहां जांच कराए आए विष्णु ने बताया कि उन्हें RT-PCR की रिपोर्ट अपनी कंपनी में जमा करानी है, लेकिन वे इतने लंबे इंतजार से परेशान हैं. डर है कि इस चक्कर में कहीं उनका वेतन न कट जाए. हिंदपीढ़ी से आई एक महिला पुलिसकर्मी भी परेशान नजर आईं. उन्हें अवकाश लेकर अपने घर जाना है, इसके लिए आरटी पीसीआर रिपोर्ट की आवश्यकता है, लेकिन उन्हें भी रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है. RT-PCR की रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए ऐसे बड़ी संख्या में लोग यहां दिखाई दिए.
नहीं मिल पा रही रिपोर्ट
वन विभाग की कर्मचारी निशा रानी ने बताया कि उन्हें अपने कार्यालय में RT-PCR की रिपोर्ट जमा करानी है. 8 अप्रैल को सैंपल दिया था, लेकिन रिपोर्ट अभी तक नहीं मिल सकी है. इसके अलावा रामदेव सिंह और उषा मार्टिन ने 10 अप्रैल को सैंपल दिया था, लेकिन उनकी रिपोर्ट भी अभी तक नहीं मिली है. वहीं डीसी रांची छवि रंजन से 28 हजार RT-PCR की रिपोर्ट पेंडिंग होने को लेकर सवाल किया गया, तो वे भड़क गए. हालांकि बाद में उन्होंने बताया कि किस तरह ये मामला लेट लतीफ चल रहा है.
वहीं हाई कोर्ट की फटकार के बाद एक्शन में आई सरकार ने बताया कि टेस्ट के लिए मशीनें खरीदी जाएंगी. तकनीशियन की बहाली भी होगी. वहीं कोर्ट में एफिडेविट दिया गया है कि हर रोज 35 हजार टेस्ट किए जा रहे हैं, हालांकि पेंडिंग सैंपल पर सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया. इस अपर हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है. राज्य में वाकई हालात वैसे ही हैं. संदिग्ध मरीजों की रिपोर्ट अगर 14 में नहीं आएगी, तो तब तक या तो वो सही हो जाएगा या फिर मर्ज बढ़ जाएगी. अगर किसी का सैंपल 8 अप्रैल को लेकर रिपोर्ट नहीं दी जा रही है, तो जाहिर है अगर वो पॉजिटिव है, तो मर्ज बढ़ेगा और इलाज में विलंब जानलेवा भी साबित हो सकता है.