कोरोना: जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत में वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल की इजाजत मांगी

जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत में अपने सिंगल डोज कोरोना वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल की इजाजत मांगी है. कंपनी ने भारत के ड्रग रेगुलेटर के सामने वैक्सीन के ट्रायल के साथ ही इंपोर्ट लाइसेंस की इजाजत के लिए आवेदन किया है.

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जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज कोरोना वैक्सीन जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज कोरोना वैक्सीन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 8:14 AM IST
  • ट्रायल के साथ इंपोर्ट लाइसेंस की मांगी इजाजत
  • भारत में अभी तीन वैक्सीन कंपनी को मिली है इजाजत

मल्टीनेशनल फार्मा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत में अपने सिंगल डोज कोरोना वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल की इजाजत मांगी है. कंपनी ने भारत के ड्रग रेगुलेटर के सामने वैक्सीन के ट्रायल के साथ ही इंपोर्ट लाइसेंस की इजाजत के लिए आवेदन किया है. इस पर फैसला लेने के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के कोविड-19 पर बनी विशेषज्ञ समिति की जल्द बैठक की मांग की गई है.

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दरअसल, पिछले दिनों ही केंद्र सरकार ने फैसला किया था कि अमेरिकी, यूरोपीय संघ, यूके, जापान और WHO की ओर से लिस्टेड इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में शामिल वैक्सीन को भारत में इमरजेंसी यूज अप्रूवल दिया जाएगा. इसके लिए फास्ट ट्रैक अप्रूवल तकनीक अपनाई जाएगी. इस समय अमेरिका में मॉडर्ना, फाइजर के साथ सिर्फ जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को अप्रूवल मिला हुआ है.

सूत्रों के अनुसार, जॉनसन एंड जॉनसन ने 12 अप्रैल को ग्लोबल क्लिनिकल ट्रायल डिवीजन में सुगम ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन किया था, बजाय बॉयोलॉजिकल डिवीजन के जरिए आवेदन करने के, जो कि वैक्सीन और अन्य बॉयोलॉजिकल से संबंधित मामले देखता है. एक सूत्र ने कहा, 'इसमें शामिल तकनीकी कारणों से जॉनसन एंड जॉनसन ने सोमवार को फिर से आवेदन किया है.'

जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच तीन महीने तक स्टोर किया जा सकता है. जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन सिंगल डोज है, जबकि भारत द्वारा अभी तक जिन तीन वैक्सीन को इजाजत दी गई है, वह डबल डोज के टीके हैं. भारत में अभी कोविशील्ड, कोवैक्सीन और रूस की स्पूतनिक-वी को इमरजेंसी ट्रायल की इजाजत मिली है. 

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इस बीच सरकार ने 18 साल से अधिक आयु के सभी लोगों को एक मई से टीका देने की अनुमति देकर अपने टीकाकरण अभियान का विस्तार करने का फैसला किया और राज्य सरकारों, निजी अस्पतालों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को निर्माताओं से सीधे खुराक लेने की अनुमति दी.

 

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