
देश में एक मई से कोरोना वैक्सीन का तीसरा फेज शुरू हो रहा है, जिसके तहत 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी. इससे पहले साइंस जर्नल लैंसेट की एक स्टडी सामने आई है. इसमें लैंसेट ने दावा किया है कि वैक्सीन लगवाने के बाद हर 4 में से 1 व्यक्ति में साइड इफेक्ट्स देखे गए. स्टडी के मुताबिक, चाहे वो ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजैनेका की वैक्सीन हो या फाइजर की, दोनों में ही लोगों को साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजैनेका की वैक्सीन को ही सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा है और इसे ही कोविशील्ड का नाम दिया गया है.
लैंसेट ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स जानने के लिए लंदन के किंग्स कॉलेज में रिसर्च की थी. इसमें उसने पाया कि चाहे कोविशील्ड हो या फाइजर, दोनों ही वैक्सीन को लगाने के बाद लोगों में हल्के साइड इफेक्ट्स देखे गए. इनमें सिरदर्द, वैक्सीन वाली जगह पर दर्द होना, थकान सबसे आम है. हालांकि, ये साइड इफेक्ट्स वैक्सीन लगने के 24 घंटे तक सबसे ज्यादा होते हैं और अगले एक से दो दिन तक बने रहते हैं. हालांकि, कुछ लोगों में कंपकंपी लगना, डायरिया, बुखार, जोड़ों में दर्द जैसे साइड इफेक्ट्स भी नजर आए. लैंसेट ने ये रिसर्च 8 दिसंबर से 10 मार्च के बीच की थी, जिसमें 6,27,383 लोग शामिल हुए थे.
किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर और वैज्ञानिक टिम स्पेक्टर ने बताया कि वैक्सीन लगने के बाद 50 साल से ऊपर के लोगों में बेहद मामूली साइड इफेक्ट्स देखे गए. ये अच्छी बात हैं क्योंकि कोरोना से इन्हें ज्यादा खतरा है. लेकिन 55 साल से कम उम्र के लोगों और महिलाओं में साइड इफेक्ट्स ज्यादा देखे गए.
स्टडी में ये भी सामने आया कि कोविशील्ड का पहला डोज लगने के 12 से 21 दिन के भीतर इंफेक्शन रेट में 39% तक कमी आई. हालांकि, इसी दौरान फाइजर में इंफेक्शन रेट 58% तक कम हो गया. वहीं, 21 दिन से ज्यादा वक्त गुजर जाने पर कोविशील्ड में इंफेक्शन रेट 60% और फाइजर में 69% तक कम हो गई.
टिम स्पेक्टर ने कहा कि "हमारे नतीजे बताते हैं कि वैक्सीन लगने के बाद लोगों में सामान्य साइड इफेक्ट्स दिखते हैं. इसलिए लोगों को वैक्सीन से घबराने की जरूरत नहीं है."