
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को कंटेनमेंट जोन और बफर जोन को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के नए दिशा-निर्देशों के तहत अब राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ही स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा साझा किए गए मापदंडों को ध्यान में रखते हुए रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन का सीमांकन करेंगे. इस दौरान राज्य कोरोना मामलों के भौगोलिक विस्तार, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का ध्यान रखेंगे.
ये जोन दरअसल एक जिला या एक नगर निगम/नगर पालिका या यहां तक कि इससे भी छोटी प्रशासनिक इकाइयां जैसे कि उप-मंडल (सब-डिवीजन) इत्यादि हो सकते हैं, जैसा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा तय किया जाएगा.
एक बार जोन को कैटेगरी में बांटने के बाद कोरोना को कंट्रोल करने के लिए प्लान ऑफ एक्शन लागू करना अहम होगा. इसके लिए राज्य सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
बफर जोन को लेकर विशेष सावधानी
कंटेनमेंट जोन के भीतर, केवल आवश्यक गतिविधियों या कार्यों की ही अनुमति होगी. तय परिधि या दायरा संबंधी सख्त नियंत्रण को बनाए रखा जाएगा, और चिकित्सा आपात स्थिति और आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति को बनाए रखने के अलावा यहां लोगों की आवाजाही की अनुमति नहीं दी जाएगी. बफर जोन दरअसल प्रत्येक कंटेनमेंट जोन से सटे हुए ऐसे क्षेत्र हैं, जहां कोविड के नए मामले सामने आने की अधिक संभावना है. बफर जोन में कहीं अधिक सावधानियां बरतने की जरूरत है.
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बफर जोन में कोरोना मामलों की विस्तृत निगरानी की जाए. इलाके में मौजूद स्वास्थ्य सेवाओं की पहचान की जाए, जैसे आशा वर्कर, एएनएम और डॉक्टर. फील्ड में मौजूद सभी लोग कोरोना के मामलों की जानकारी मिलते ही रियल टाइम पर कंट्रोल रूम को सूचित करें.
मेडिकल इमरजेंसी के अलावा सभी तरह के मूवमेंट पर रोक
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ध्यान में रखने की जरूरत है कि ये वैसे क्षेत्र हैं जहां लगातार काम करने की जरूरत है ताकि कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सके.
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कंटेनमेंट जोन का निर्धारण किये जाने के बाद चिकित्सा आपात स्थिति और आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति के अलावा किसी तरह के मूवमेंट की इजाजत नहीं होगी. जोन के अंदर लोगों की आवाजाही को रिकॉर्ड किया जाएगा और उसे तकनीक के जरिए फॉलो किया जाएगा.
घर-घर जाकर मामलों का पता लगाएं
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इन जोन्स में विशेष टीम द्वारा घर-घर जाकर कोरोना मामलों का पता लगाया जाए. कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जानकारी ली जाए. इसके अलावा इस काम के लिए स्थानीय वॉलंटियर्स की पहचान की जाए जो इस काम में सरकार की मदद कर सकें. सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन किया जाए. हाथ धोने, मास्क पहनने, फेस कवर लगाने को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाए.
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28 दिन के बाद सफल माना जाएगा ऑपरेशन
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि एक कंटेनमेंट जोन में ऑपरेशन को तभी सफल माना जाता है जब कंटेनमेंट घोषित करने की तारीख से अगले 28 दिनों तक कोई नया केस सामने न आए. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि सभी राज्य इन दिशा-निर्देशों के मुताबिक काम करें और रेड/ऑरेंज/ग्रीन जोन के अलावा कंटेनमेंट जोन और बफर जोन को निर्धारित करने की ओर प्रभावी कदम उठाए.