
मध्य प्रदेश में कोरोना टीकाकरण के लिए एक लाख, 37 हजार से ज्यादा फ्रंटलाइन वर्कर्स ने जो अपने मोबाइल नंबर दिए थे वो गलत निकले. राज्य सरकार ने टीकाकरण अभियान की शुरुआत से पहले जो डेटा तैयार किया, उसमें ये मोबाइल नंबर गलत पाए गए. इसका पता तब चला, जब जिनका टीकाकरण होना था उन्हें टेक्स्ट मैसेज के जरिए तारीख और समय की सूचना दी जानी थी कि कब उन्हें टीका लगना है.
आजतक की पहुंच में वो सरकारी आतंरिक दस्तावेज है जिसमें उन विभागों का ब्रेक अप है जिन्होंने ऐसी लिस्ट तैयार की जिसमें एक से ज्यादा लोगों ने समान मोबाइल नंबर दिया हुआ है. मध्य प्रदेश के मेडिकल शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने स्वीकार किया कि लिस्टिंग में 1,37,000 से ज्यादा फ्रंटलाइन वर्कर्स के नामों के साथ समान मोबाइल नंबरों की समस्या पाई गई, जैसे एक ही मोबाइल नंबर पर कई लोगों के नाम दर्ज थे.
सारंग के मुताबिक इससे टीकाकरण कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा. सारंग ने कहा, “हमें इसका पता कार्यक्रम के बीच में चला क्योंकि जिन्हें टीका लगना था उनमें से कई तक मैसेज पहुंच ही नहीं पा रहे थे. ऐसे में SOP के तहत और केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के तहत जो जरूरी है हमने हार्ड डेटा को समन किया, ये प्रक्रिया अब भी जारी है. बता दें कि पहले फेज की पहली डोज मध्य प्रदेश में 20 फरवरी तक पूरी होनी हैं. वहीं अधिकतर राज्यों में दूसरी डोज दिए जाना भी शुरू हो चुका है.
सारंग ने बताया, “केंद्र सरकार ने पहली डोज की डेडलाइन 19 फरवरी तक बढ़ा दी. 20 फरवरी को उन्हें मौका दिया जाएगा जो किसी कारणवश निर्धारित तारीख पर टीका नहीं लगवा सके. 22 फरवरी से दूसरी डोज देने का कार्यक्रम शुरू किया जाएगा. दूसरी डोज पहली डोज के 28 दिन पूरी होने के बाद छह हफ्ते तक कभी भी दी जा सकती है. इससे पहले ये नहीं दी जा सकती.”
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने राज्य सरकार के तरीके पर सवाल उठाने के साथ सावधानी नहीं बरतने के आरोप लगाए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, सरकार की कोताही लॉकडाउन के दौरान देखी गई, वही अब टीकाकरण में भी दिखाई दे रही है. मुख्यमंत्री या किसी मंत्री को अभी टीका नहीं लगा है. कुछ वर्गों में भय जताने की वजह से ऐसा है. अगर मुख्यमंत्री और मंत्री टीका लगवाते तो इससे लोगों में टीकाकरण को लेकर विश्वास जगता.