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ब्लैक फंगस का कहर, मुंबई में 3 बच्चों को गंवानी पड़ी आंख, एक लड़की डायबिटीज की शिकार

मुंबई में ब्लैक फंगस के शिकार हुए तीन बच्चों की आंख निकालनी पड़ी है. जानकारी के मुताबिक, तीनों ही बच्चे कोरोना से रिकवर हो चुके थे, लेकिन बाद में ब्लैक फंगस का शिकार हो गए.

Mucormycosis के मामलों ने बढ़ाई चिंता (फाइल फोटो: PTI) Mucormycosis के मामलों ने बढ़ाई चिंता (फाइल फोटो: PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2021,
  • अपडेटेड 11:01 AM IST
  • कोरोना संकट के बीच ब्लैक फंगस का कहर
  • मुंबई में तीन बच्चों को गंवानी पड़ी आंख

कोरोना वायरस के संकट के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में ब्लैक फंगस के मामले चिंता बढ़ा रहे हैं. मुंबई में ब्लैक फंगस के शिकार हुए तीन बच्चों की आंख निकालनी पड़ी है. जानकारी के मुताबिक, तीनों ही बच्चे कोरोना से रिकवर हो चुके थे, लेकिन बाद में ब्लैक फंगस का शिकार हो गए.

मुंबई के प्राइवेट अस्पतालों में आए इन केसों में तीनों बच्चों की उम्र 4, 6 और 14 साल है. डॉक्टर्स के मुताबिक, 4 और 6 साल के बच्चों में डायबिटीज़ के लक्षण नहीं हैं, जबकि 14 साल वाले बच्चे में हैं. इसके अलावा एक 16 साल का लड़की भी है, जो कोरोना से रिकवर होने के बाद डायबिटीज़ का शिकार हो गया, लड़की के पेट में ब्लैक फंगस पाया गया था.  

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मुंबई के एक प्राइवेट अस्पताल की डॉ. जेसल सेठ के मुताबिक, इस साल उनके पास ब्लैक फंगस के 2 केस आए, दोनों ही बच्चे नाबालिग थे. 14 साल की बच्ची जो कि डायबिटीज़ का शिकार थी, उसकी हालत ठीक नहीं थी. अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर ही लड़की के अंदर ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने लगे. 

डॉक्टर के मुताबिक, लड़की की आंख को हटाना पड़ा, उसके बाद करीब 6 हफ्ते तक उसकी देखभाल की गई. गनीमत की बात थी कि इन्फेक्शन उसके दिमाग तक नहीं पहुंचा, लेकिन उसे अपनी आंख गंवानी पड़ी. 

'आंख ना निकालते तो मुश्किल में थी जान'
डॉक्टर के मुताबिक, 16 साल की बच्ची में पहले से डायबिटीज़ के लक्षण नहीं थे, लेकिन कोरोना से रिकवर होने के बाद उसमें कुछ दिक्कतें आईं. ब्लैक फंगस उसके पेट तक जा पहुंचा था, हालांकि बाद में उसे रिकवर किया गया. वहीं, 4 और 6 साल के बच्चों का इलाज एक अन्य प्राइवेट अस्पताल में हुआ. अस्पताल के मुताबिक, अगर बच्चों की आंख को नहीं निकाला जाता तो उनकी जान बचाना काफी मुश्किल हो जाता.

आपको बता दें कि कोरोना संकट के बीच ब्लैक फंगस के हजारों मामले देश के अलग-अलग हिस्सों में दर्ज किए गए हैं. कई ऐसे केस हैं, जहां पर मरीजों की आंख या नाक को हटाना पड़ा है या उनके चेहरे पर बुरा असर पड़ा है. 

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