
कोरोना की दूसरी लहर के बाद विशेषज्ञों की ओर से इसी साल देश में तीसरी लहर की आशंका भी जताई जा रही है. ऐसे में मोदी सरकार के सामने दो सबसे बड़ी चुनौतियां हैं. पहली चुनौती है कि कोरोना संक्रमित लोगों को किसी भी तरह की दवाई की कमी का सामना ना करना पड़े. दूसरी बड़ी चुनौती है कि वैक्सीनेशन मुहिम को युद्ध स्तर पर लोगों तक पहुंचाया जाए. सरकार का पूरा जोर इन्हीं दोनों परिस्थितियों को संभालने पर है. देश में अभी तक लगभग 19 करोड़ 14 लाख लोगों को वैक्सीनेशन डोज दी चुकी है.
सूत्रों के मुताबिक, सरकार का फिलहाल पूरा फ़ोकस वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने और उसे ग्रामीण स्तर तक आसानी के साथ पहुंचाने पर है. भारत में 16 जनवरी को कोविड-19 वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू हुआ, तब सिर्फ़ दो वैक्सीन ही देश में उपलब्ध थीं. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को ही मंजूरी मिली थी. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को कोविशील्ड वैक्सीन के कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत हिस्सा विदेशी करार के तहत विदेश भेजना है.
वैक्सीन का उत्पादन बड़े पैमाने पर करने की कोशिश
कोवैक्सीन का उत्पादन
पिछले कुछ दिनों से लगातार इस बात की मांग उठ रही है कि कोवैक्सीन के प्रोडक्शन को भारत में बढ़ाया जाए. लिहाजा प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भारत बायोटेक के साथ कुछ भारतीय और विदेशी कंपनियों-लैब के साथ करार की कोशिश की जा रही है. कुछ कंपनियो के साथ फ़ाइनल स्टेज पर बात हो चुकी हैं, ताकि कम समय में कोवैक्सीन का उत्पादन कई गुणा बढ़ाया जा सके.
मिली जानकारी के अनुसार वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत बायोटेक ने Indian Biotech, Haffkine GOM, BIB COL-DBT और Gujrat Biotechnology research Centre व Hetser Bio science के साथ टेक्नॉलोजी शेयरिंग के साथ रॉयल्टी शेयरिंग के तहत करार किया हैं, ऐसा भारत सरकार की जानकारी में ला कर किया गया है. इसके अलावा एक खबर ये भी है कि जर्मनी की 5 बड़ी कंपनियो ने भारत बायोटेक के साथ कोवैक्सीन के उत्पादन के लिए करार को सैद्धांतिक मंजूरी दी है. ये कंपनियां अपने कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत भारत को देंगी. इसके अलावा 4 अन्य विदेशी कंपनियो ने भारत बायोटेक के साथ वैक्सीन उत्पादन के लिए करार की इच्छा जताई हैं.
रसायन और उर्वरक मंत्रालय के मुताबिक भारत बायोटेक ने जनवरी से अप्रैल तक कोवैक्सीन की हर महीने 90 लाख डोज यानी कुल 3 करोड़ 60 लाख डोज सरकार को दी हैं.
इसी तरह मई में 3 करोड़, जून में 3 करोड़ 50 लाख, और जुलाई में 5 करोड़ डोज की उपलब्धता का अनुमान है. सहयोगी उत्पादन कंपनियों के साथ मिलकर अगस्त में 6 करोड़ 20 लाख, सितम्बर में 11 करोड़ 20 लाख, अक्टूबर में 11 करोड़ 20 लाख, नवंबर में 13.50 करोड़ और दिसम्बर में 13.50 करोड़ कोवैक्सीन की डोज उपलब्ध होने की उम्मीद है. इसके मायने ये निकलते हैं कि दिसम्बर तक भारत बायोटेक और उसकी सहयोगी प्रोडक्शन कंपनियों की ओर से कुल मिलाकर कोवैक्सीन की 80 करोड़ 70 लाख डोज उपलब्ध कराई जाएंगी. इनमें Indian IMM LTD की ओर से अगस्त से दिसम्बर तक 1करोड़ 80 लाख डोज मिलेंगी. Haffkine GOM नवम्बर से दिसम्बर में 2 करोड़ 80 लाख डोज उपलब्ध कराएगी. इसी तरह BIBCOL-DBT नवम्बर से दिसम्बर में 2 करोड़ डोज का उत्पादन करेगी. इसके अलावा Gujrat research Centre की ओर से 2 करोड़ डोज का उत्पादन किए जाने का अनुमान है.
स्पूतनिक का भी उत्पादन करेंगी 5 कंपनियां
इस बीच, केंद्र सरकार ने रूसी वैक्सीन स्पूतनिक को भी भारत के लिए मंजूरी दे दी है. रसायन और उर्वरक मंत्रालय के मुताबिक स्पूतनिक वैक्सीन की भारत में सबसे पहली टेक्नॉलोजी शेयरिंग पार्ट्नर Dr Reddy लैब बनी है. इसके अलावा पांच अन्य कंपनियो Panacea Biotech, Hetero Biopharma, Virchow Biotech, Stelis Biopharma और Shilpa Medicare ने वैक्सीन के उत्पादन के लिए टेक्नॉलोजी शेयरिंग के आधार पर रॉयल्टी करार किया है. इन सभी कंपनियो का उत्पादन जून महीने के बाद शुरू हों जायेगा. स्पूतनिक अपनी सहयोगी कंपनियो के साथ मिलकर दिसम्बर तक 25 करोड़ 81 लाख वैक्सीन डोज देगी. मई महीने के लिए इस वैक्सीन के 60 लाख डोज मिल चुके हैं. इसके बाद जून में 1 करोड़, जुलाई में 2 करोड़ 81 लाख, अगस्त में 1 करोड़ 60 लाख, सितम्बर में 1 करोड़ 70 लाख, अक्टूबर में 3 करोड़ 10 लाख, नवम्बर में 6 करोड़ 5 लाख और दिसम्बर में 8 करोड़ 5 लाख डोज मिलने का अनुमान है.
कोविशील्ड की कितनी उपलब्धता?
रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अनुसार सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की ओर से कोविशील्ड वैक्सीन का जनवरी से अप्रैल तक हर महीने 6 करोड़ यानी अब तक कुल 24 करोड़ डोज का उत्पादन किया जा चुका है. मई और जून में SII की ओर से 6.5-6.5 करोड़ यानी कुल 13 करोड़ डोज का उत्पादन होगा. इसके बाद SII जुलाई से दिसम्बर तक हर महीने 11.5-11.5 करोड़ कोविशील्ड वैक्सीन यानी इन छह महीने में कुल 69 करोड़ डोज उपलब्ध कराई जाएंगी यानी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया साल के अंत तक इस वैक्सीन की 106 करोड़ डोज उपलब्ध करा चुका होगा.
इसके अलावा DNA ZYDUS CADILA की ओर से अगस्त से दिसम्बर तक 5 करोड़ उपलब्ध कराई जाएगी. Protein Subunit vaccine Bio-E की ओर से अगस्त से दिसम्बर तक हर महीने 10 करोड़ यानि कुल 50 करोड़ डोज उपलब्ध कराई जाएगी. M RNA Vaccine Gennova से सितम्बर से दिसम्बर तक एक करोड़ प्रति माह यानि कुल 4 करोड़ डोज मिलेंगी. इसके अलावा Intranasal vaccine BBlL सितम्बर से दिसम्बर तक हर माह 10 करोड़ यानि कुल 40 करोड़ डोज़ देगा.
साल के अंत तक वैक्सीन की 311 करोड़ डोज
इस तरह देखा जाए तो इस साल के अंत तक भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की 80 करोड़ 70 लाख डोज, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से कोविशील्ड वैक्सीन की 106 करोड़, स्पूतनिक से 25 करोड़ 81 लाख, DNA ZYDUS CADILA से 5 करोड़, Protein Subunit Vaccine Bio-E से 50 करोड़, M RNA Vaccine Gennova से 4 करोड़ और Intranasal vaccine BBlL से 40 करोड़ वैक्सीन की डोज उपलब्ध होंगी. इस तरह करीब 311 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन का उत्पादन होगा.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के मुताबिक भारत सरकार इस साल के अंत तक 267 करोड़ कोविड-19 वैक्सीन की डोज खरीदेगी. इसके बाद देश की कम से कम अपनी पूरी वयस्क आबादी को दोनों डोज लगाने की स्थिति होगी. स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के मुताबिक 51 करोड़ वैक्सीन की खुराक जुलाई तक और 216 करोड़ अगस्त से दिसंबर के बीच उपलब्ध कराई जाएंगी.
डॉ हर्षवर्धन का कहना है कि कोरोना महामारी ने जब देश में दस्तक दी थी तब सिर्फ एक कोविड टेस्टिंग लैब थी. वहीं आज देश भर में 2000 से अधिक टेस्टिंग लैब हैं. आज भारत के पास 25 लाख लोगों का हर दिन कोविड-19 टेस्ट करने की क्षमता है,