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कोरोना वैक्सीन बनाने की रेस में जुटा विश्व, भारत पर कई देशों की है निगाह

कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी दवाई उत्पादक कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने एस्ट्राजेनेका की 50 मिलियन यानी कि 5,0000000 डोज भंडार कर ली गई हैं.  

भारत सभी देशों की जरूरत कर सकता है पूरा (फाइल फोटो) भारत सभी देशों की जरूरत कर सकता है पूरा (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:52 AM IST
  • भारत पर टिकी है विश्व की निगाहें
  • दुनिया की जरूरत पूरी कर सकता है भारत

कोरोना महामारी के बीच भारत विश्व के सबसे अधिक वैक्सीन उत्पादन करने वाले देश के रूप में उभरने वाला है. फार्मासूटिकल कंपनी और उनके पार्टनर अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा रहे हैं और दवाई खरीदने वाले फर्म के ऑर्डर के बिना ही धड़ल्ले से वैक्सीन के उत्पादन में लग गए हैं. इसे इस तरह से भी समझा सकता है कि दुनियाभर में बिकने वाली कुल कोरोना वैक्सीन का 60 प्रतिशत भारत में ही उत्पादित होगा. भारतीय दवाई कंपनी आने वाले समय में कोरोना से लड़ने के लिए आठ और सस्ती वैक्सीन लाने वाली हैं, जिनमें से एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड भी एक महत्वपूर्ण वैक्सीन है.   

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ऑस्ट्रेलियाई राजनयिक बैरी ओ फैरेल ने भारत में कोरोना वैक्सीन के उत्पादन को लेकर कहा है कि दुनिया के कई देशों में कोरोना की वैक्सीन बनाई जा रही है. लेकिन सिर्फ भारत ही ऐसा देश है जो पूरी दुनिया की वैक्सीन की जरूरत को पूरा कर सकता है. 

कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी दवाई उत्पादक कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने एस्ट्राजेनेका की 50 मिलियन यानी कि 5,0000000 डोज भंडार कर ली हैं.  

भारत सरकार वॉल्यूम के हिसाब से दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पर बड़े पैमाने पर आपूर्ति के लिए अपनी उम्मीदें जता रही है, जिसने सोमवार को एस्ट्राजेनेका के कोरोना वायरस वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए पहला औपचारिक आवेदन दिया है.

हाल ही में, Pfizer ने भारत में अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए आवेदन किया था. सीरम इंस्टीट्यूशन ने भी वैक्सीन की आपातकालीन स्वीकृति के लिए आवेदन किया है. सोमवार को, भारत बायोटेक ने एक आवेदन दायर कर अपने कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए प्राधिकरण से आपातकालीन उपयोग की मांग की थी. 

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सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बॉयोटेक जैसी कंपनियां वैक्सीन को अंतिम रूप देने में जुटी हैं और अब सभी निगाहें भंडारण और वितरण प्रणाली पर हैं. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) और वैज्ञानिकों की ओर से वैक्सीन निर्माताओं को हरी झंडी मिलने के बाद भारत 30 करोड़ नागरिकों के पहले समूह को टीका लगाने के लिए एक विशाल अभ्यास शुरू करेगा. 

बूथ लेवल ऑफिसर्स की ली जाएगी मदद

वैक्सीन वितरण में बूथ स्तर के अधिकारियों की मदद ली जाएगी. बूथ स्तर के अधिकारी सरकारी/अर्ध-सरकारी कर्मचारी होते हैं, जो स्थानीय निर्वाचकों से परिचित होते हैं. वे स्थानीय जानकारियों का उपयोग करके रोल को अपडेट करने में सहायता करते हैं. BLO जमीनी स्तर पर चुनाव आयोग का एक प्रतिनिधि होता जो रोल संशोधन की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नीति आयोग के अधिकारियों का मानना ​​है कि बीएलओ में रोपिंग से टीके का वितरण आसान हो जाएगा, क्योंकि वे गांवों/टोलों के निवासियों की सूचना (नाम, निवास, आयु) से लैस होंगे.

बीएलओ गांव के बुजुर्गों और जमीनी स्तर के चुने हुए प्रतिनिधियों को जानते हैं. वे मृत/स्थानांतरित मतदाताओं के नामों की पहचान करते हैं. ये जानकारी रोल और टीका वितरण में काम आएगी.

प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों के साथ की थी चर्चा

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बता दें कि बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वैक्सीन वितरण पर चर्चा की थी, साथ ही सर्वदलीय बैठक भी बुलाई गई थी. पीएम मोदी ने राज्यों से अपील की थी कि वो अपने यहां कोल्ड स्टोरेज समेत अन्य तैयारियों पर काम शुरू कर दें, साथ ही अपनी-अपनी ओर से विस्तृत प्लान केंद्र को भेजें.

इसके अलावा सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी ने संकेत दिए थे कि कुछ हफ्तों में ही वैक्सीन आ सकती है. जिसे सबसे पहले बुजुर्गों, गंभीर बीमारी वाले लोगों और कोरोना वॉरियर्स को दिया जाएगा. उसके बाद अलग-अलग फेज में वैक्सीन को आम लोगों तक पहुंचाया जाएगा.

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