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दुनिया में कहर बरपाने वाला Omicron किस इंसान के शरीर में पैदा हुआ?

Omicron HIV South Africa: कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट का सबसे पहला पता दक्षिण अफ्रीका में ही लगा था. यहां के वैज्ञानिक लगातार इस वैरिएंट के बारे में मंथन कर रहे हैं. वैज्ञानिक ये भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कहीं इसका संबंध उन मरीजों से तो नहीं, जिनका एचआईवी का इलाज पूरा न हुआ हो.

ओमिक्रॉन और HIV को लेकर वैज्ञानिक कर रहे अध्‍ययन (गेटी) ओमिक्रॉन और HIV को लेकर वैज्ञानिक कर रहे अध्‍ययन (गेटी)
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली/ केपटाउन ,
  • 21 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST
  • दक्षिण अफ्रीका में मिला था पहला ओमिक्रॉन का केस
  • एचआईवी और ओमिक्रॉन के लिंक का हो रहा अध्‍ययन

Omicron HIV AIDS Link: दुनिया के साथ भारत में भी ओमिक्रॉन अपने पैर पसार रहा है, अब तक भारत (Omicron India cases) में 200 से ज्‍यादा मामले इस वैरिएंट सामने आ चुके हैं. सबसे ज्‍यादा इस वैरिएंट के केस दिल्‍ली (Omicron Delhi) और महाराष्‍ट्र (Omicron Maharashtra) में 54-54 रिपोर्ट हो चुके हैं. इस बीच दुनिया के कुछ वैज्ञानिक ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि Omicron आखिर किस इंसान के शरीर में पैदा हुआ?

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कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट का सबसे पहला पता दक्षिण अफ्रीका में ही लगा था. यहां के वैज्ञानिक लगातार इस वैरिएंट के बारे में मंथन कर रहे हैं. वहीं इस वैरिएंट के बारे में ये भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ये वैरिएंट कहीं उन लोगों में तो नहीं फैला रहा है, जिनकी इम्‍युनिटी कमजोर है. इसके अलावा वैज्ञानिक ये भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कहीं इसका संबंध उन मरीजों से तो नहीं, जिनका एचआईवी का इलाज पूरा न हुआ हो.

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बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ता फिलहाल ये दावा कर रहे हैं कि कोरोना  वायरस उन मरीजों में कई महीनों तक रहता है, जो एचआईवी पॉजिटिव हैं. लेकिन इसके कई कारण भी हैं. एक बड़ा कारण ये भी है कि एचआईवी पॉजिटिव दवाई नहीं लेते हैं. 

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दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में स्थित डेसमंड टुटु एचआईवी फाउंडेशन  के प्रमुख प्रोफेसर लिंडा गेल बेकर  (Linda-Gayle Bekker) कहती हैं, ' सामान्‍यत: किसी का भी शरीर वायरस को बहुत ही जल्‍दी बाहर निकाल देता है, अगर शरीर ठीक से काम कर रहा हो. अगर किसी की इम्‍युनिटी कम हो जाती है तो ये देखा जाता है कि वायरस कैसे बन रहा है? अगर ये अंदर मौजूद नहीं होता है और इसकी प्रतिकृति म्‍यूटेशन के रूप में होती है. कई बार इम्‍युनिटी को खत्‍म करके कई बार महीनों तक शरीर के अंदर ही रहता है, म्‍यूटेशन होता रहता है.' 

दक्षिण अफ्रीका में इस समय ऐसे 2 केस सामने आए हैं. जहां एक महिला लगातार 8 महीनों से कोविड पॉजिटिव है. जबकि कोरोना वायरस 30 बार आनुवाशिंक तौर अपने रूप बदल चुका है. दक्षिण अफ्रीका में 80 लाख लोग इस समय एचआईवी से ग्रस्‍त हैं. लेकिन इनमें से करीब 1 तिहाई लोग दवाई नहीं ले रहे हैं.  

वैज्ञानिकों की अलग है राय 
प्रोफेसर तुलियो डि ओलिविएरा (Tulio de Oliveira), जिन्‍होंने ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाया था. उन्‍होंने कहा कि इसी तरह के 10 से 15 केस दुनिया के दूसरे हिस्‍सों में भी पाए गए हैं, इनमें यूके भी शामिल है.  उन्‍होंने कहा ये बहुत ही दुर्लभ घटना है.

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हालांकि एचआईवी और कोविड वैरिएंट को लिंक करने को प्रोफेसर सलीम करीम पूरी तरह काल्‍पनिक मानते हैं. सलीम करीम दक्षिण अफ्रीकी सरकार की कोविड-19 एडवाइजरी कमेटी के सदस्‍य रह चुके हैं, साथ ही एचआईवी विशेषज्ञ भी हैं. उन्‍होंने कहा कि अभी ये सिद्ध नहीं हुआ है, हमने अभी केवल 5 वैरिएंट ही चार महाद्वीपों में देखें हैं.

वहीं केपटाउन के ग्रूट शू हॉस्पिटल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर मार्क मेंडलशन कहते हैं, डायबिटीज, कैंसर, भूख, ऑटो इम्‍यून डिसीज, टीबी, मोटापा से ग्रस्‍त लोगों की इम्‍युनिटी खत्‍म दूसरे कारणों से होती है. 

गड़बड़ा रही है कोरोना के सामने इम्‍युनिटी 
वैज्ञानिकों का एक धड़ा ये भी मानता है कि अल्‍फा वैरिएंट जब सामने आया था तो जो लोग कैंसर का यूके में इलाज करवा रहे थे, उनकी इम्‍युनिटी पर इसका असर ज्‍यादा नजर आया था. 
 

 

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