
देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अब घातक होती जा रही है. अस्पतालों में जगह कम पड़ गई है. ऑक्सीजन कम पड़ गई है. आलम ये है कि मरीजों को बेड ही नहीं मिल रहे हैं. और अगर बेड मिल भी जा रहे हैं, तो ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है.
नतीजा ये हो रहा है कि ऑक्सीजन की कमी से लोग बेमौत ही मारे जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश में तो हालात और भी भयावह होते जा रहे हैं. महामारी तो जान ले ही रही है, लेकिन ऑक्सीजन की किल्लत से हालात बद से बदतर हो गए हैं.
मेरठ में हालात इस कदर खराब है कि अस्पतालों के बाहर लोगों का रोना बिलखना और चीखना ही दिखाई सुनाई दे रहा है. जिसके अपने इस अस्पताल में इलाज के लिए आए हैं वो अपनों के लिए 20 मिनट की जिंदगी मांग रहे हैं. अपनी बात कहते कहते गले में रूखापन और आंखों में आंसू आ जाते हैं.
मेरठ के मनोज की पत्नी केएमसी अस्पताल में भर्ती हैं. हर पल जिंदा रखने के लिए उन्हें ऑक्सीजन चाहिए और अपनी पत्नी के लिए वो हाथ जोड़कर गुहार लगा रहे हैं...कोई मेरी बीवी को बचा लो, कोई 20 मिनट की जिंदगी दे दो...हताश होकर यहां वहां भाग रहे हैं. समझ नहीं आता करें तो करें क्या?
केएमसी अस्पताल में हालत इस कदर हो गए हैं कि अस्पताल ने नोटिस बोर्ड लगा दिया है कि उनके पास ऑक्सीजन नहीं है और किसी भी विषम परिस्थिति के लिए वो जिम्मेदार नहीं होंगे. अस्पताल में पिछले 24 घंटों में 8 लोगों की मौत ऑक्सीजन की कमी के चलते हो गई. केएमसी नर्सिंग कॉलेज की प्रिंसिपल संध्या चौहान ने खुद आजतक से इसकी पुष्टि की है.
संध्या कहती हैं कि 170 मरीजों का इलाज चल रहा है और हर किसी को ऑक्सीजन चाहिए, लेकिन प्रशासन से उन्हें उतनी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही जितनी जरूरत है. अस्पताल ने हाथ खड़े कर दिए हैं क्योंकि प्रशासन से मदद मिल नहीं पा रही है. वहीं, मेरठ के सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन ने आश्वासन दिया कि किसी भी हाल में ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी जाएगी.
अपनों की खातिर ब्लैक में खरीद रहे सिलेंडर
दिल्ली के रहने वाले सुरेंद्र कुमार के पिता इसी केएमसी अस्पताल में भर्ती हैं. लेकिन उनकी मां जो कि कोविड-19 से पॉजिटिव हुई हैं उन्हें अस्पताल में बेड नहीं मिल पा रहा है. सुंदर कुमार कहते हैं कि मां का ऑक्सीजन लेवल 90 से 92 के बीच में है. लेकिन अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं है. सुरेंद्र कुमार कहते हैं, "मेरी मां दिल्ली में है. लेकिन दिल्ली में तो बेड ही नहीं है. इसलिए मैं उन्हें यहां लेकर आया और यहां अब ऑक्सीजन ही नहीं है, लेकिन लोग खुद खरीदकर ला रहे हैं. अगर अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं है तो लोगों को बाहर कहां से मिल रही है. लोग 18,000 से लेकर 20,000 रुपये तक में ऑक्सीजन खरीद कर ला रहे हैं.
इस आपदा में काले बाजार ने कैसे कमाई का अवसर खोज लिया, ये अस्पताल में नम आंखें और ढूंढा हुआ गला लेकर आइ एक महिला बताने लगी. इस महिला का कहना है कि सोनीपत से 70,000 रुपये का ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद कर लाई हैं, ताकि अस्पताल में भर्ती अपने भाई अमित की जान बचा सकें. अमित की बहन का कहना है कि कल से अस्पताल में सिर्फ कुछ देर के लिए ऑक्सीजन दिया, इतनी डेड बॉडी यहां से निकल रही है. कौन जिम्मेदार है उसका? 20 लीटर का सिलेंडर 70,000 रुपये में बिक रहा है. अस्पताल कह रहा है अपने मरीज को ले जाओ. आखिर हम करें तो करें क्या?
रविंद्र की बहन भी इसी अस्पताल में भर्ती हैं. वो कहते हैं कि काले बाजार से दिल्ली से अपनी बहन के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आए हैं. इनका आरोप है कि लोग ऑक्सीजन सिलेंडर को रिफिल करने के लिए 4,000 रुपये ले रहे हैं. एक के बाद एक लोग कैमरे के सामने आकर अपना दर्द बयां करने लगे. संजीव कुमार कहते हैं कि 600 रुपये वाला ऑक्सीमीटर बाजार से 5,000 रुपए में खरीदना पड़ रहा है. इस हद तक कालाबाजारी हो रही है. संजीव कुमार का कहना है कि बीती रात को अस्पताल से घोषणा तक की गई कि लोग अपने-अपने मरीजों को यहां से शिफ्ट करवा लें.
अस्पताल ने भी माना, ऑक्सीजन की किल्लत है
डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ कैमरे पर कुछ भी कहने से बचते नजर आए, लेकिन दबी जुबान ऑक्सीजन की किल्लत की बात जरूर मानी. अंदर दाखिल मरीजों के परिजनों ने हमें बताया कि तमाम सिलेंडर वो खुद लेकर आए हैं, ताकि अपनों को जिंदा रख सकें. अमित कुमार की मां अस्पताल में भर्ती हैं. वो कहते हैं कि मेरठ के पास मोदीनगर में सबसे बड़ी ऑक्सीजन फैक्ट्री है, लेकिन मेरठ में ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पा रही है. आखिर कहां है प्रशासन?
यहां हम लोगों का दर्द सुनते रहे और इस बीच अचानक एक पिता अपने बेटे के साथ ऑक्सीजन का सिलेंडर लेकर दौड़ते-भागते इमरजेंसी वार्ड में जाते दिखाई दिए. इनकी पत्नी अस्पताल में भर्ती हैं और ऑक्सीजन की जरूरत थी इसलिए दिल्ली से ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर मेरठ पहुंच गए. केएमसी नर्सिंग कॉलेज के प्रिंसिपल संध्या चौहान ने कैमरे पर ये कबूल किया कि ऑक्सीजन की दिक्कत है, जिसके चलते मरीजों को ट्रांसफर करने की व्यवस्था की जा रही है.
ऑपरेशन थिएटर की इंचार्ज बिंदु हर मरीज के परिजन के आगे हाथ जोड़ती दिखाई दे रही हैं. जब हमने उनसे पूछा कि हालात कैसे हैं? तो उन्होंने कहा कि "सब कुछ आप खुद देख लीजिए कि आखिर यहां क्या हो रहा है. यहां लगातार ऑक्सीजन की किल्लत है." मरीज के परिजन लड़ने लगते हैं तो ये उनके आगे हाथ जोड़ लेती हैं. कैमरे पर ये जरूर कह दिया कि शासन अगर साथ देता तो ऐसी नौबत नहीं आती. तमाम मरीजों के परिवार वालों ने कह दिया कि सारे अधिकारी आना जाना लगा रहे हैं, लेकिन मदद कोई नहीं कर रहा. सबकी शिकायत है कि प्रशासन सुध नहीं ले रहा.
मेरठ की तस्वीरें लोगों का दर्द और शासन प्रशासन की चुप्पी बताती है कि छोटे शहरों का हाल इस त्रासदी में कितना भयावह है. हालात अभी से नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं. अगर जल्दी ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो न जाने अंजाम आगे क्या होगा?