
कोविड अस्पतालों में हताश, निराश और परेशान लोग. कोई डॉक्टर का पर्चा लेकर तो कोई फोन पर लगातार लगा हुआ है. कोई ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए तो कोई अस्पताल में बेड के लिए, कोई वेंटिलेटर के लिए, तो कोई जीवन रक्षक दवा रेमडेसिविर के लिए. कोरोना से लड़ाई में यह आलम किसी गांव या कस्बे का नहीं, बल्कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का है, जहां 3 सरकारी और डेढ़ दर्जन से ज्यादा गैर सरकारी कोविड अस्पताल हैं, लेकिन किसी की हालत बेहतर नहीं है. कहीं ऑक्सीजन है तो बेड नहीं, बेड है तो ऑक्सीजन नहीं, कहीं वेंटिलेटर नहीं तो रेमडेसिवीर इंजेक्शन न होने पर ब्लैक तक लोगों को खरीदना पड़ रहा है.
वाराणसी के मैदागिन इलाके में एक निजी कोविड अस्पताल के बाहर भटकती हुई डॉ. रमा गुप्ता जो वाराणसी के सीएचसी चौकाघाट पर तैनात हैं, कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनके सरकारी डॉ. पति जो भर्ती हैं, उनके लिए जरूरी रेमडेसिविर के लिए उन्हे घंटों इंतजार करना पड़ेगा. प्राइवेट अस्पताल में भी डॉ. विजिट करने से डर रहें हैं और मरीजों को संतुष्ट नहीं कर रहें हैं. हैरान करने बाली बात ये है कि वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के बाद उनके पति की ऐसी हालत हुई है. 15 फरवरी को वैक्सीन की सेकंड डोज लगवाई थी.
वहीं बीएचयू के कोविड अस्पताल की दशा भी बहुत अच्छी नहीं है. वाराणसी के महमूरगंज के रहने वाले रवि कोरोना संक्रमित अपनी पत्नी साक्षी को लेकर मंगलवार की रात से अस्पताल के गेट पर बैठे हैं, लेकिन जगह न होने के चलते उन्हे भर्ती नहीं किया जा रहा है. एक दूसरे पिशाचमोचन इलाके में स्थित निजी कोविड अस्पताल की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है. संसाधनों के अभाव में डॉक्टरों ने हांथ खड़े कर लिए हैं. इसलिए तीमारदारों को बाहर से रेमडेसिविर इंजेक्शन 15-15 हजार रुपए तक ब्लैक में खरीदना पड़ रहा है. वहीं इसी इंजेक्शन के लिए किसी मरीज को 24 घंटे तक दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं, लेकिन इंजेकशन नहीं मिल पा रहा है. कहीं इंजेक्शन मिल भी रहा है, तो उसकी परमिशन नहीं मिल पा रही है.
एक अन्य परिजन लोहता के शमीम नोमानी ने बताया कि उनके पिता के मित्र की हालत बीती रात 8 बजे खराब हो गई. डॉक्टर ने वेंटिलेटर पर रखने को कहा तभी से वे भी भटक रहे हैं. सीएमओ और जिलाधिकारी को भी दर्जनों बार फोन करने के बाद फोन नहीं उठा और तमाम जारी किए हुए नंबर पर भी कोई रिस्पॉस नहीं मिला. उन्होंने सरकार से भी सवाल किया कि जब सभी को पता है कि महामारी दोबारा आ सकती है तो सरकार ने पहले से इंतमाज क्यों नहीं किया. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में श्मशान से लेकर कब्रिस्तान सभी भरे हुए हैं.
वहीं वाराणसी के जिलाधिकारी के दावों और वादों को भी सुन लीजिए. वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि संसाधन कम हैं और उसी में काम किया जा रहा है. वाराणसी में 1300 बेड चल रहे हैं. अधिकतर लोगों को ऑक्सीजन वाले बेड की ही जरूरत है. बगैर ऑक्सीजन वाले बेड तो मौजूद हैं, लेकिन उनकी जरूरत नहीं है. बड़े ऑक्सीजन स्रोत वाले बीएचयू के ट्रामा सेंटर वाले आधे अस्पतालों को कोविड में बदल दिया गया है, तो कैंसर अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट में भी 40 बेड का अस्पताल चालू हो गया है. इस तरह 1300 से बढ़ाकर बेड को 1450 किया जायेगा. इसके अलावा DRDO के जरिये एक हजार बेड का अस्थाई अस्पताल बीएचयू स्टेडियम में बनाने का काम शुरू हो गया है. 15 दिन में अस्पताल शुरू हो जाएगा और वहां ऑक्सीजन की भी प्रचुरता रहेगी.
उन्होंने बताया कि दीनदयाल अस्पताल में नया ऑक्सीजन प्लांट 200 बेड के लिए आर्डर प्लेस हो रहा है. कबीरचौरा अस्पताल के लिए भी आर्डर प्लेस कर रहे हैं. आने वाले 15 दिनों में ये काम हो जायेगा. रेमडेसिविर भी काफी मात्रा में लाने की कोशिश की जा रही है. अस्पतालों में प्रशासनिक अधिकारी भी नियुक्त कर दिए गए हैं. कंट्रोल रूम भी पूरी तरह काम कर रहा है और वाट्सएप ग्रुप के जरिये तीन-तीन डॉक्टर भी उसी में हैं और नोडल अधिकारी भी जुड़े हैं. उसी आधार पर लोग भर्ती हो रहें हैं और अब आम लोगों के लिए भी वाट्सएप नंबर जारी कर रहे हैं. जिसमें लोग अपनी डिटेल भेजकर लाइन में लग जाएगे और आगे जगह होने पर उन्हे भर्ती कराया जा सके. उन्होंने बताया कि दिक्कत भर्ती होने की नहीं, बेड की है. क्योंकि पेशेंट डिस्चार्ज नहीं हो रहे हैं.