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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा एवं जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने वकील और अभिभावक पंकज चांदगोठिया द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा करते हुए ये आदेश दिया है.
हाईकोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा 18 मई को जारी निर्देश के क्लॉज 4 में कहा गया है कि किसी भी अभिभावक द्वारा स्कूल ट्यूशन फीस का भुगतान न करने पर न तो स्कूल से बच्चे का नाम काटा जाएगा और न ही उसे शिक्षा से वंचित किया जाएगा,
अगर कोई अभिभावक फीस देने में असमर्थ है तो वह पहले स्कूल को लिखित में इसके बारे में सूचित करे. अगर इसके बावजूद स्कूल उस पर कोई जवाब नहीं देता है तो प्रशासन द्वारा निजी स्कूलों के मामले में गठित और शिक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली फीस रेगुलेटरी अथॉरिटी को लिखित शिकायत दें.
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अथॉरिटी इस पर 15 दिनों में कार्रवाई करेगी. बावजूद इसके अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो इसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है.
वकील चांदगोठिया ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद हैं. ऐसे में स्कूल प्रबंधन का यह कहना कि बिना फीस वह स्कूल नहीं चला सकते बिलकुल गलत है क्योंकि लॉकडाउन से पहले इन निजी स्कूलों ने बच्चों से एडमिशन फीस ली है.
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ऐसे में स्कूलों के पास काफी फंड है बल्कि लॉकडाउन के चलते अधिकतर अभिभावकों को भी नुकसान उठाना पड़ा है. ऐसे में अभिभावकों को राहत दी जाए और लॉकडाउन के दौरान जब स्कूल बंद पड़े हैं, तो उस दौरान की फीस वसूली पर रोक लगाई जाए और सिर्फ ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस न वसूली जाए.
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का ये निर्देश फिलहाल चंडीगढ़ के स्कूलों के लिए है लेकिन माना जा रहा है कि इसका असर आने वाले दिनों में पंजाब और हरियाणा के स्कूलों पर भी पड़ेगा और चंडीगढ़ के साथ ही पंजाब और हरियाणा के अभिभावकों को भी बड़ी राहत मिलेगी.