
कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में वैक्सीनेशन एक अहम हथियार है. लेकिन देश में टीकाकरण की रफ्तार अभी धीमी है, साथ ही अब वैक्सीन वेस्टेज का मसला भी बढ़ गया है. भारत सरकार और कई राज्य सरकारों के बीच इस वक्त वैक्सीन वेस्टेज को लेकर रार छिड़ी है. इसी जंग के बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश को लेकर केंद्र के दावे को गलत बताया है, साथ ही विस्तार से वैक्सीन वेस्टेज के आंकड़ों पर बात की है.
शुक्रवार को किए अपने एक ट्वीट में अशोक गहलोत ने लिखा कि प्रदेश में कोविड वैक्सीन की 11.5 लाख डोज़ बर्बाद होने की खबर झूठी है. BJP ऐसे झूठे आरोप लगाकर 14 महीने से मेहनत कर रहे हमारे कोरोना वॉरियर्स का मनोबल तोड़ने का काम कर रही है जो निंदनीय है. मैं विपक्ष के नेताओं से अपील करूंगा कि महामारी के समय ऐसी नकारात्मक राजनीति ना करें.
वैक्सीन वेस्टेज में राजस्थान का औसत बेहतर: अशोक गहलोत
वैक्सीन वेस्टेज के आंकड़ों को लेकर अशोक गहलोत ने समझाया कि कोविन के मुताबिक राजस्थान में 26 मई तक 1.63 करोड़ वैक्सीन की डोज़ लगी हैं, इसमें 3.38 लाख डोज़ खराब हुई हैं. जो कुल 2 फीसदी है, ये वैक्सीन वेस्टेज के राष्ट्रीय औसत 6% और भारत सरकार द्वारा निर्धारित 10 फीसदी के औसत से काफी कम है.
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करीब 3 लाख डोज़ की हुई डबल एंट्री: CM
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया कि वैक्सीन ट्रेकिंग के सॉफ्टवेयर eVIN पर शुरुआत में तकनीकी दिक्कत थी, जिसमें 2.95 लाख डोज़ की एंट्री दो बार हुई थी, इसलिए eVIN पर कुल वैक्सीन की संख्या 1.63 करोड़ की बजाय 1.70 करोड़ दिखा रहा है.
इसके अलावा अशोक गहलोत ने बताया कि पहले कोविन सॉफ्टवेयर पर सिर्फ केंद्र द्वारा ही लाभार्थी का नाम दिया जाता है, जिससे अगर वो व्यक्ति नहीं आया तो दूसरे को डोज़ नहीं लग सकती थी. ऐसे में वैक्सीन के खराब होने की मात्रा ज्यादा थी. अशोक गहलोत के मुताबिक, इसी वजह से केंद्र से हमने ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के ऑप्शन की मांग की थी.
छत्तीसगढ़ और झारखंड के लिए भी यही तर्क
राजस्थान के अलावा अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों पर लगे आरोप का भी जवाब दिया, जहां कांग्रेस सत्ता में है. अशोक गहलोत ने कहा कि केंद्र ने झारखंड में 37.3 और छत्तीसगढ़ में 30.2 फीसदी वेस्टेज की बात कही है, जबकि राज्य सरकारों के मुताबिक ये संख्या छत्तीसगढ़ में 1 फीसदी से कम और झारखंड में पांच फीसदी से कम है, ऐसे में इतना अंतर कैसे हो सकता है.
इतना ही नहीं, अशोक गहलोत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के एक बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने स्वीकारा की केंद्र के पोर्टल में दिक्कत है, जिससे वैक्सीन की खराबी का प्रतिशत बढ़ जाता है.
कहां कितनी वैक्सीन की डोज़ लगी? (डाटा: mygov.in)
राजस्थान: 1,64,26,346
छत्तीसगढ़: 69,54,350
झारखंड: 40,52,889
एक तरफ वैक्सीन की कमी और दूसरी ओर राजनीतिक बयानबाजी
भारत में कोरोना वैक्सीनेशन के अभियान को शुरू हुए चार महीने हो गए हैं, लेकिन अबकई राज्यों में वैक्सीन की किल्लत होने के कारण टीकाकरण अभियान धीमा हो गया है. इस बीच केंद्र ने कई राज्यों में वैक्सीन वेस्टेज के आंकड़े जारी कर राज्य सरकारों के मैनेजमेंट पर सवाल खड़े किए, जिसके बाद केंद्र और राज्य सरकारों में तलवारें खिंच गई.
विपक्ष पहले ही केंद्र सरकार की वैक्सीन नीति पर सवाल खड़े कर रहा है और देश में वैक्सीन की किल्लत के लिए केंद्र को ही जिम्मेदार मान रहा है. कई राज्यों में अभी वैक्सीन नहीं है, वहीं जिन राज्यों ने ग्लोबल टेंडर निकाले हैं उन्हें विदेशी कंपनी सीधे वैक्सीन देने से इनकार कर रही हैं.