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कोरोना रोगी का किया लंग्स ट्रांसप्लांट, US में भारतीय मूल के डॉक्टर का कमाल

कोविड-19 संक्रमण के कारण एक महिला का फेफड़ा खराब हो गया था. लेकिन ऑपरेशन के जरिए डॉक्टर्स, लंग्स का ट्रांसप्लांट करने में सफल रहे. निश्चित तौर पर यह एक बड़ी उपलब्धि है.

भारतीय मूल के डॉक्टर ने किया कमाल भारतीय मूल के डॉक्टर ने किया कमाल
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2020,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST

  • कोविड-19 संक्रमण से फेफड़ा हो गया था डैमेज
  • डबल लंग ट्रांसप्लांट कर बचाई गई जान

अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टर अंकित भारत के नेतृत्व में कई सर्जनों ने मिलकर फेफड़े के प्रत्यारोपण यानी कि लंग्स ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया है. निश्चित तौर पर यह एक बड़ी उपलब्धि है. कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से अमेरिका में यह इस तरह की पहली सर्जरी मानी जा रही है. दरअसल कोविड-19 संक्रमण के कारण एक महिला का फेफड़ा खराब हो गया था. लेकिन ऑपरेशन के जरिए डॉक्टर्स, लंग्स का ट्रांसप्लांट करने में सफल रहे.

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शिकागो स्थित नार्थवेस्टर्न मेडिसिन अस्पताल ने कहा कि जिस महिला की सर्जरी हुई है उसकी उम्र 20 साल के करीब है. मरीज ने कोविड आईसीयू में छह सप्ताह वेंटिलेटर पर बिताए थे. जून के शुरुआती दिनों में मरीज के फेफड़े में भारी क्षति देखी गई थी जिसके बाद ट्रांसप्लांट टीम ने अगले 48 घंटे में फेफड़ों के दोहरे प्रत्यारोपण के लिए ऑपरेशन किया और मरीज को बचाने में कामयाब रहे.

नार्थवेस्टर्न मेडिसिन फेफड़ा प्रतिरोपण कार्यक्रम के थोरेसिक (वक्ष से संबंधित) सर्जरी प्रमुख एवं सर्जिकल निदेशक अंकित भारत ने कहा, 'फेफड़ा का प्रतिरोपण किया जाना ही उसके जीवित रहने का एकमात्र विकल्प था.'

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उन्होंने आगे कहा, 'हमलोग पहले हेल्थ सिस्टम हैं जिन्होंने कोविड-19 मरीज (जिसका फेफड़ा पूरी तरह से खराब हो गया था) में लंग्स ट्रांसप्लांट को कामयाबीपूर्वक अंजाम तक पहुंचाया है . हमलोग चाहते हैं कि दूसरे ट्रांसप्लांट सेंटर्स भी इस तकनीक को समझे. जिससे की दूसरे गंभीर मरीजों को भी बचाया जा सके. इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सकता है.'

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अंकित भारत ने कहा, 'मैंने अब तक का यह सबसे कठिन प्रतिरोपण किया. यह सचमुच में एक सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण मामला था.'

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भरत ने बताया कि डबल लंग ट्रांसप्लांट करने से पहले यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी था कि मरीज के भीतर कोरोना वायरस पूरी तरह से समाप्त हुआ है या नहीं. हमने कुछ-कुछ दिनों तक मरीज का लगातार कोविड टेस्ट किया. जब वह पूरी तरह ठीक हो गई तभी हमने ऑपरेशन शुरू किया. बाद में मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया ताकि उसके दिल और फेफड़े को सपोर्ट मिल सके.

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