कुंभ नगरी हरिद्वार के अखाड़ों में फैला कोरोना, 50 से अधिक साधु-संत संक्रमित

हरिद्वार में 14 अप्रैल के मुख्य शाही स्नान के बाद अखाड़ों की छावनियों में कोरोना का कहर तेजी से अपना असर दिखाने लगा है. पिछले 24 घंटे में जूना निरंजनी और आह्वान अखाड़े में 9 संत कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

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हरिद्वार कुंभ में संत-संन्यासी (फाइल फोटो-PTI) हरिद्वार कुंभ में संत-संन्यासी (फाइल फोटो-PTI)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 16 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST
  • हरिद्वार में पिछले 24 घंटे में 629 कोरोना केस
  • जूना निरंजनी और आह्वान अखाड़े में 9 संत संक्रमित

कुंभ नगरी हरिद्वार में 14 अप्रैल के मुख्य शाही स्नान के बाद अखाड़ों की छावनियों में कोरोना का कहर तेजी से अपना असर दिखाने लगा है. अब कोरोना संक्रमित संत-संन्यासियों की लिस्ट सामने आने लगी है. पिछले 24 घंटे में जूना निरंजनी और आह्वान अखाड़े में 9 संत कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

संन्यासी अखाड़ों और बैरागी शिविरों में अब तक 50 संत कोरोना से संक्रमित मिले हैं, जबकि एक महामंडलेश्वर का कोरोना संक्रमण बढ़ने की वजह से निधन भी हो चुका है. हरिद्वार जिले में पिछले 24 घंटे में 629 कोरोना से संक्रमित मिले हैं, जिसमें 153 श्रद्धालु भी शामिल हैं. इन श्रद्धालुओं की पहचान स्क्रीनिंग सेंटर्स में ही कर ली गई.

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हरिद्वार के सीएमओ डॉ एसके झा ने बताया कि शाही स्नान के बाद रेंडम सेंपलिंग में तेजी लाई जा रही है, टीम भी बढ़ा दी गई है और रफ्तार भी. हालांकि, इसका किसी के पास जवाब नहीं है कि आखिर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन क्यों नहीं कराया जा रहा है. कुंभ मेले के आईजी कहते हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने से भगदड़ मच सकती है.

इस बीच पंचायती श्रीनिरंजनी अखाड़ा और तपो निधि श्रीआनंद अखाड़ा ने कुंभ मेले में अपनी छावनियां बंद करने का निर्णय लिया है. दोनों अखाड़ों ने 17 अप्रैल से अपनी-अपनी छावनियां बंद करने का निर्णय किया है. दोनों अखाड़ों ने देशभर के साथ ही हरिद्वार में भी कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बाद यह फैसला लिया है.

हरिद्वार के कुंभ मेले में मध्य प्रदेश से आए निर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर कपिल देव की कोरोना से मौत हो गई है. जानकारी के मुताबिक हाल ही में महामंडलेश्वर के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उन्हें देहरादून के कैलाश हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था. बताया जा रहा है कि महाकुंभ मेले के दौरान होने वाली यह किसी संत की पहली मौत है.

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