
कोरोना की दूसरी लहर का पीक अब ढलान की ओर है. हर रोज पॉजिटिव केस की संख्या कम होती जा रही है, लेकिन मौत का आंकड़ा अभी भी बढ़ रहा है. इस बीच देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार को और बढ़ा दिया गया है. जैसे-जैसे वैक्सीन की सप्लाई हो रही है, वैसे-वैसे लोगों को टीका लगाया जा रहा है. कोरोना से जंग के लिए वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है.
देश में वैक्सीनेशन की शुरुआत 16 जनवरी से की गई थी. वैक्सीनेशन के बीच आई कोरोना की दूसरी लहर से साफ हो गया है कि जिन राज्यों ने वैक्सीनेशन को प्राथमिकता दी और अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन की डोज दी, वहां पर मौत का आंकड़ा कम रहा है. हालांकि, कुछ राज्यों में वैक्सीनेशन की तेज रफ्तार के बावजूद मौत का आंकड़ा काफी रहा है.
गुजरात और केरल में वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज की गई. इसका फायदा ये हुआ है कि दूसरी लहर के दौरान मौत का आंकड़ा यहां कम रहा. दोनों राज्यों के करीब 18 फीसदी लोगों को अब तक कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक डोज दी जा चुकी है. इसका फायदा हुआ कि गुजरात में एक लाख पर 14 लोगों की मौत हुई, जबकि केरल में यह आंकड़ा 17 रहा.
गुजरात और केरल में प्रति लाख मौत का आंकड़ा राष्ट्रीय औसत 20 से कम रहा. हालांकि, दिल्ली और गोवा में भी वैक्सीनेशन की रफ्तार बहुत तेज रही. गोवा की करीब 22 फीसदी आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक डोज दी जा चुकी है. बावजूद इसके यहां पर एक लाख आबादी पर 126 लोगों की मौत हुई है.
इसी तरह दिल्ली की करीब 19 फीसदी आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक डोज दी जा चुकी है, बावजूद इसके यहां एक लाख आबादी पर 112 लोगों की मौत हुई है. महाराष्ट्र से ही कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत हुई थी, लेकिन दिल्ली और गोवा की तुलना में यहां मौत का आंकड़ा काफी कम है. महाराष्ट्र में अब तक 13 फीसदी आबादी को वैक्सीन लगी है.
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान महाराष्ट्र में एक लाख आबादी पर 64 लोगों की मौत हुई है. महाराष्ट्र, दिल्ली और गोवा उन राज्यों में शामिल हैं, जहां 15 मई तक मृत्यु दर अधिक है. स्वास्थ्य मंत्रालय और यूआईडीएआई की 2020 की अनुमानित राज्य जनसंख्या के डेटा के आधार पर डीआईयू ने यह आंकड़े जुटाए हैं.
देश के सभी राज्यों में अप्रैल के मध्य से मरने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. दिल्ली में एक महीने (15 अप्रैल से 15 मई) के भीतर एक लाख आबादी में 62 लोगों की मौत बढ़कर 112 हो गई. इसी दौरान गोवा में मौतों में दो गुना से अधिक (54 से 126 तक) वृद्धि देखी गई, लेकिन महाराष्ट्र में टीकाकरण की रफ्तार धीमी होने के बावजूद मौत का आंकड़ा मामूली बढ़ा.
उत्तर प्रदेश और बिहार का मामला अलग है. इन प्रदेशों में टीकाकरण कम होने के बावजूद मौतों का आंकड़ा काफी कम रहा. उत्तर प्रदेश में एक लाख आबादी में 5 और बिहार में एक लाख आबादी में 6 लोगों की मौत हुई है. हालांकि, माना जा रहा है कि इन दोनों प्रदेशों में समय से कर्फ्यू लगाने का फायदा हुआ है.
इस बीच प्रमुख रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि भारत में टीकाकरण की धीमी गति का मतलब है कि कोरोना के कम केस के बावजूद देश महामारी की और लहरों की चपेट में रह सकता है.