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कोरोना: आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा- वेंटिलेटर्स से कमाई में जुटे 'मुनाफाखोर गिद्ध''

वेंटिलेटर्स की जमाखोरी और अधिक कीमत ऐंठने का गंदा खेल भी शुरू हो गया है. इंडिया टुडे इंवेस्टिगेशन टीम ने अपनी जांच में इस खौफनाक हकीकत का खुलासा किया है. वेंटिलेटर फेफड़ों के नाकाम रहने पर ऑक्सीजन को मरीज के शरीर में पहुंचाता है. Covid19 के गंभीर मरीजों को ज़िंदा रहने के लिए इसकी ज़रूरत पड़ सकती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
मो. हिज्बुल्लाह/जमशेद खान/नितिन जैन
  • नई दिल्ली/गाजियाबाद,
  • 30 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 12:29 AM IST

  • इंडिया टुडे SIT ने किया जमाखोरों को बेनकाब
  • पिछले एक सप्ताह में तेजी से बढ़ी वेंटिलेटर की मांग

कोरोना वायरस केसों की संख्या देश में जैसे-जैसे बढ़ रही है वैसे ही वेंटिलेटर्स की जमाखोरी और अधिक कीमत ऐंठने का गंदा खेल भी शुरू हो गया है. इंडिया टुडे इंवेस्टिगेशन टीम ने अपनी जांच में इस खौफनाक हकीकत का खुलासा किया है. वेंटिलेटर फेफड़ों के नाकाम रहने पर ऑक्सीजन को मरीज के शरीर में पहुंचाता है. Covid19 के गंभीर मरीजों को ज़िंदा रहने के लिए इसकी ज़रूरत पड़ सकती है.

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जमाखोरी से बढ़ी मांग

इंडिया टुडे की जांच के दौरान दिल्ली स्थित मेडिकेम एंटरप्राइजेज के बिजनेस प्रमुख कमलेश मौर्या ने कबूला कि बढ़ती मांग उसके जैसे वितरकों को पोर्टेबल मरम्मत किए रेस्पिरेटर्स के दाम बढ़ाने के लिए उकसा रही है.

मौर्या ने इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स से कहा, ‘मांग ऊंची है. वेंटिलेटर्स उपलब्ध नहीं है. अगर आप अलग अलग ब्रैंड्स खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अधिक (नियमित कीमत से) भुगतान करना होगा. अगर डीलरशिप से प्राइस कुटेशन के लिए मैं कहूं तो ये 6 लाख (रुपये) की रेंज में होगा.’ मौर्या ने माना कि सामान्य परिस्थिति में इस डिवाइस की कीमत अमूमन आधी होती है.

मौर्या ने दावा किया कि कोरोना वायरस की आंशका से जो आपाधापी मची है उसकी वजह से कीमतें बीते एक हफ्ते में बढ़ी हैं- इसके पीछे कोई मेडिकल इमरजेंसी जैसी बात नहीं है. मौर्या ने कहा, कम्पनियों के पास अब स्टॉक खत्म हो गया है. लोग मशीन (मरम्मत की हुई हर मशीन) के लिए 6 से 7 लाख रुपये देने के लिए तैयार हैं. पैसे से जान ज्यादा कीमती है. पहले बिल्कुल नया पीस 7 लाख रुपये का होता था.

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वेंटिलेटर्स की जमाखोरी

दिल्ली स्थित तीर्थंकर महावीर ट्रेडर्स के नमन जैन ने खुलासा किया कि किस तरह कुछ टॉप रैंक वाले अधिकारी और हाउसिंग सोसाइटीज पोर्टेबल वेंटिलेटर्स का स्टॉक जमा कर रही हैं. जैन ने बताया कि एक ‘असिस्टेंट कमिश्नर, पुलिस’ ने हाल में प्रीमियम दाम पर तीन मशीनें खरीदी हैं.

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रिपोर्टर- ‘इसके मायने कि उसने बिना किसी तात्कालिक इस्तेमाल के इन्हें खरीदा?’

जैन- “ऐसा कुछ नहीं (तात्कालिक इस्तेमाल जैसा), उसने बस सुरक्षा के मकसद से मशीन खरीदी हैं. हम वेंडर्स के पास करीब 6,000 वेंटिलेटर्स थे, जिनमें से 700-740 ट्राइलॉजी (पोर्टेबल फिलिप्स वेंटिलेटर्स) थे, अब सिर्फ़ 11 से 12 बचे हैं.”

जैन ने बताया कि किस तरह हाउसिंग सोसाइटी में अपार्टमेंट्स ने पूल मनी कर 10 से 12 डिवाइस खरीदीं. जैन के मुताबिक अधिकतर ऐसी सोसाइटी नोएडा में हैं. 100 मकान 10 डिवाइस खरीद रहे हैं.

एक नई BiPap मशीन (वेंटिलेटर की एक किस्म) अमूमन 2.25 लाख रुपए की आती है. जैन ने बताया कि अब पुरानी डिवाइस ही डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा की बिक रही है.

रिपोर्टर- वैसे पुरानी डिवाइस कितने में मिल जाती थी?

जैन- करीब 60,000 से 85,000 रुपये में

दिल्ली के कोटला में इम्पीरियल सर्जिकल प्रा लि से जुड़े गुरशऱण ने कबूल किया कि कंपनी की ओर से वेंटिलेटर्स भारी मांग को देखते हुए प्रीमियम दामों पर बेचे जा रहे हैं.

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मास्क पहने हुए गुरशरण ने कहा, जिन्हें निजी तौर पर इन्हें लेना है, उन्हें पहले ही ले लेना चाहिए था. वो निजी इस्तेमाल के लिए अब पूछताछ कर रहे है जबकि मांग पहले ही बहुत ऊंची है. जैसे ही हमारा स्टॉक खत्म होना शुरू होगा, हम दाम बढ़ा देंगे.’

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गुरशरण ने कहा कि उपलब्धता की कोई गारंटी नहीं है, अब जब हम बात कर रहे हैं तो वो शायद बिक गए हो सकते हैं. गुरशरण ने जीवन-रक्षक मशीनों की आपूर्ति करने के लिए नगद में भुगतान की मांग की.

सरकार के बैन का उल्लंघन

दिल्ली से सटे गाजियाबाद में अंडर कवर रिपोर्टर्स ने वाईएमजी हेल्थकेयर से जुडे गजेंद्र सिंह का रुख किया. गजेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार ने जमाखोरी रोकने के लिए निजी संस्थाओं या लोगों को वेंटिलेटर्स की बिक्री पर रोक लगा रखी है. सिंह ने फिर भी प्रीमियम दाम पर डिवाइस उपलब्ध कराने की पेशकश की.

सिंह ने कहा, “मेरे पास 20 (वेंटिलेटर्स) मॉनीटर्स थे, मैंने उनके लिए पूछताछ करने वाले अपने मौजूदा ग्राहकों को तरजीह दी. ये डिमांड और सप्लाई का खेल है. ज्यादा डिमांड और कम सप्लाई पर दाम बढ़ते हैं.”

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सिंह के मुताबिक कंपनी को 84,000 रुपए प्रति पीस के हिसाब से पांच मिनी वेंटिलेटर्स की सप्लाई के ऑडर मिले थे.

सिंह- “आप उन्हें नांगलोई (दिल्ली) से 3.70 लाख (रुपये) में उठा सकते हैं.”

मोटे अनुमान के मुताबिक भारत में फिलहाल 40,000 वेंटिलेटर्स उपलब्ध हैं.

केंद्र सरकार ने इसी महीने ICU मेडिकल डिवाइस के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. इनमें भारी मांग वाले वेंटिलेटर्स और सैनिटाइजर्स शामिल हैं.

सिंह ने कहा, “अगर कोरोना वायरस फैलता है तो वेंटिलेटर्स की डिमांड दो लाख तक बढ़ जाएगी. ये सरकार के लिए युद्ध जैसी स्थिति है. अगर उन्हें पता चलता है कि मेरे पास स्टॉक है और मैंने बिक्री की है तो वो मुझे किसी को भी इन्हें बेचने की इजाज़त नहीं देंगे.”

वितरक ने माना कि वेंटिलेटर्स के निर्माण और बिक्री में लगी सारी कंपनियों से कहा गया है कि वे सिर्फ सरकार को आपूर्ति करें. सिंह ने कहा, “इन्हें निजी संस्थान या व्यक्ति को नहीं बेचा जा सकता. गाजियाबाद प्रशासन ने मुझसे कहा है कि सारी आपूर्ति उसे ही मिलनी चाहिए.”

अंडरकवर रिपोर्टर- लेकिन हमें तो (सप्लाई) मिल जाएगी ना?

सिंह- सर मैं आपको नहीं बुलाता या बात करता (अगर मैं बिक्री नहीं करना चाहता तो).

जमाखोरी को उकसावा दे रहे वितरक

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दिल्ली के नजफगढ़ स्थित यूएम हेल्थकेयर इंडिया के डायरेक्टर मनीष धनखड़ ने भविष्य में घर पर इस्तेमाल के लिए नए वेंटिलेटर्स की सप्लाई का भरोसा दिलाया.

धनखड़ ने कहा- “लोग हालात का फायदा उठाते हैं. सरकार समर्थन मांग रही है. लेकिन कल सरकार क्या समर्थन देने के लिए आगे आएगी?”

अंडरकवर रिपोर्टर- “लेकिन क्या निजी इस्तेमाल के लिए वेंटिलेटर्स की जमाखोरी गलत नहीं है?”

धनखड़- “नहीं, आपको पहले खुद को बचाना चाहिए. कोई सरकार आपको मदद नहीं करेगी.”

धनखड़ ने बिना किसी मेडिकल जरूरत निजी खरीदारों की ओर से वेंटिलेटर्स की खरीद को जायज ठहराया.

धनखड़ ने पांच पोर्टेबल यूनिट्स के लिए 3.92 लाख रुपये की मांग की, जिसमें आधी रकम एडवांस में देने की शर्त भी रखी.

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