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स्वाति मालीवाल से विभव कुमार ने क्यों की बदसलूकी... ये है सीएम हाउस में हुई मारपीट की Inside Story

आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल की शिकायत के बाद दिल्ली पुलिस ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पीएस विभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि विभव ने स्वाति को बुरी तरह से मारा-पीटा है. लेकिन बड़ा सवाल विभव ने स्वाति के साथ ऐसा क्यों क्या? इसके पीछे का मकसद क्या है?

दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल के पीएस विभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया है. दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल के पीएस विभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 मई 2024,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट के मामले में पुलिस पूरी तरह सक्रिय है. इस मामले में मारपीट के आरोपी सीएम केजरीवाल के पीएस विभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है. सिविल लाइन पुलिस स्टेशन में पूछताछ के बाद पुलिस उनको कोर्ट में पेश कर सकती है. दूसरी तरफ विभव द्वारा दाखिल की गई जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील अनुज त्यागी की कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिल पाई है. 16 मई की शाम को स्वाति ने विभव के खिलाफ केस दर्ज कराया था.

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आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल द्वारा दिल्ली पुलिस को दी गई शिकायत में कहा गया कि 13 मई की सुबह वो सीएम अरविंद केजरीवाल के घर उनसे मिलने पहुंची थी. वो ड्राइंग रूम में बैठी हुई थीं. उसी वक्त विभव कुमार आए और उन पर बुरी तरह टूट पड़े. उन्होंने ना सिर्फ स्वाति के साथ बदसलूकी की है, बल्कि उन्हें बुरी तरह मारापीटा भी. यहां तक कि उन्होंने उनके सीने और पेट पर लात से मारा. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर विभव कुमार ने स्वाति के साथ ऐसा क्यों किया? ऐसा करने के पीछे का मकसद क्या है? सच में उस रोज सीएम हाउस में क्या हुआ था?

13 मई की सुबह आखिर केजरीवाल हाउस में हुआ क्या था?

इन सभी सवालों के जवाब जानने के साथ ही सबसे पहले ये समझ लेते हैं कि 13 मई की सुबह आखिर सीएम हाउस में हुआ क्या था? स्वाति की ओर से दर्ज करवाई गई एफआईआर के मुताबिक वो सीएम अरविंद केजरीवाल से मिलने सुबह सवेरे उनके घर पहुंची थी. वो सबसे पहले सीएम के कैंप ऑफिस में गईं. इसके बाद उन्होंने सीएम के पीएस विभव कुमार को कॉल किया, लेकिन बात नहीं हो सकी. इसके बाद उन्होंने विभव के मोबाइल नंबर पर व्हाट्स एप मैसेज भी भेजा, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. चूंकि विभव वहां मौजूद नहीं था. इसके बाद वो हमेशा की तरह ही मेन डोर से सीएम हाउस में चली गईं.

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वहां उन्हें ड्राइंग रूम में बैठने को कहा गया और बताया गया कि मुख्यमंत्री घर में ही मौजूद हैं और वो जल्द उनसे मिलने आएंगे. लेकिन इससे पहले कि सीएम उनके पास आते, उनके पीएस विभव कुमार धक्के के साथ कमरे में घुस आए और बिना किसी उकसावे के उनके साथ गाली गलौज की शुरुआत कर दी. यहां तक कि बगैर किसी उकसावे के उन पर हमला कर दिया और उनके साथ मारपीट भी शुरू कर दी. उन्होंने पहले उन्हें लगातार 7-8 थप्पड़ मारे, जिससे वो बुरी तरह घबरा गईं और मदद के लिए चीखने चिल्लाने लगीं. उन्होंने किसी तरह अपने पैरों से विभव को खुद से दूर करने की कोशिश करने लगीं.

इसके बाद विभव कुमार फिर उन पर झपट पड़ा और उन्हें घसीटने लगा. उसने जानबूझ कर उसकी शर्ट ऊपर कर दी, जिससे शर्ट के बटन खुल गए. स्वाति इस मारपीट में जमीन पर गिर पड़ीं और उनका सिर ड्राइंग रूम में रखे सेंटर टेबल में जाकर लगा. वो मदद के लिए चिल्ला रही थी, लेकिन वहां उनकी मदद के लिए कोई नहीं था. विभव ने स्वाति के सीने, पेट, पेट के निचले हिस्से में लातों से मारा. बकौल स्वाति उन्हें इस मारपीट से भयानक दर्द हो रहा था और वो विभव को बार-बार रुकने के लिए कह रही थीं, लेकिन वो इसके लिए तैयार ही नहीं था. वो तो लगातार उन्हें बुरी तरह से मारता जा रहा था.

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दिल्ली पुलिस को 112 पर फोन कर स्वाति ने क्या कहा था?

इसके बाद में किसी तरह स्वाति खुद को विभव के कब्जे से छुड़ाने में कामयाब रही और जमीन पर गिर चुके अपने चश्मे को उठा कर वो सोफे पर ही बैठ गईं और उन्होंने वहीं से बैठे-बैठे दिल्ली पुलिस को 112 पर फोन कर इस वारदात की शिकायत की. लेकिन विभव ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी. इसी के साथ जब उसने देखा कि स्वाति ने पुलिस को फोन कर दिया है, तो फिर वो कमरे से बाहर चला गया. इसे खौफ कहें या फिर कुछ और इतना सबकुछ होने के बावजूद स्वाति ने उस रोज़ पुलिस में इसकी कोई शिकायत ही दर्ज नहीं करवाई. यहां तक कि वो पुलिस स्टेशन भी गई, लेकिन वहां से वापस लौट आईं.

तीन दिन बाद जाकर उन्होंने दिल्ली पुलिस को अपना बयान दिया और तब पुलिस ने इस मामले में विभव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. फिलहाल इस एफआईआर में पुलिस विभव कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या की कोशिश), 323 (मारपीट करना), 341 (गलत तरीके से रोकना), 354 (शीलभंग की नीयत से हमला), 354B (महिला को निर्वस्त्र करने की कोशिश), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (महिला के शील हरण की कोशिश) लगाई है. सुप्रीम कोर्ट के वकील अनुराग किशोर की मानें तो ये आपराध गंभीर हैं. इसमें जुर्म साबित होने पर कड़ी सजा मिलनी तय है. 

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स्वाति को विभव ने क्यों मारा, क्या है केजरीवाल की चुप्पी का राज?

फिलहाल स्वाति ने अपने साथ हुई ज्यादती को लेकर अदालत में मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी 164 के तहत अपना बयान भी दर्ज करवा दिया है और ये भी मुल्जिम के खिलाफ ताबूत में कील वाली एक बात है. हालांकि एक महिला सांसद के साथ सीएम हाउस में हुई इस आपत्तिजनक और हिंसक बर्ताव के पीछे का मकसद क्या है, ये अब भी साफ नहीं है. क्योंकि ना तो इस मामले पर स्वाति ने अपना मुंह खोला है और ना ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने. सवाल ये है कि आखिर विभव कुमार को स्वाति मालीवाल से ऐसी क्या शिकायत थी कि उसने सारे कायदे कानून तो ताक पर रख कर एक अकेली महिला के साथ बंद कमरे में इतनी शर्मनाक हरकत की? जाहिर है, इस सवाल का जवाब या तो स्वाति दे सकती है, विभव कुमार या फिर उसके करीबी लोग. लेकिन इतना तो तय है कि इस मारपीट के पीछे की वजह बहुत गंभीर है.

इस वारदात के बाद दोनों पक्ष बेशक बचते-बचाते हुए चल रहे हों, दिल्ली पुलिस तफ्तीश को लेकर पूरी तरह से एक्शन में है. पुलिस ने साफ कर दिया है कि इस मामले के हर पहलू की बारीकी से जांच की जाएगी. पुलिस केजरीवाल के घर में लगे सीसीटीवी कैमरों की तमाम फुटेज भी जांचेगी, ताकि वारदात के पूरे सिक्वेंस को समझा जा सके. इसके लिए दिल्ली पुलिस सीसीटीवी लगाने वाली कंपनी से संपर्क साधने में लगी है. पुलिस इस मामले में मौका-ए-वारदात पर मौजूद दूसरे लोगों से भी बातचीत कर मामले की तह तक जाने की कोशिश करेगी. सीएम हाऊस के कर्मचारियों से भी पूछताछ की गई है.

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इस केस की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस कितनी सीरियस है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस ने इस केस की पड़ताल के लिए दस अलग-अलग टीमें बना दी हैं... इनमें चार टीमें विभव कुमार की लोकेशन पता लगाने में जुटी थी, तब जाकर उनको सीएम हाऊस से शनिवार को गिरफ्तार किया गया है. इससे पहले शुक्रवार की शाम को दिल्ली पुलिस की टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स के साथ इस मामले की जांच के सिलसिले में सीएम हाउस में पहुंची थी. इस मामले की जांच के सिलसिले में पुलिस ने स्वाति की मेडिकल जांच भी करवाई है. इसकी शुरुआती रिपोर्ट में मारपीट की बात सच निकली है.

13 मई का सच पता करना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है?

दूसरी तरफ विभव कुमार ने भी स्वाति मालिवाल के खिलाफ काउंटर एफआईआर दर्ज कराई है. इसमें उन्होंने कहा है कि स्वाति बगैर किसी अप्वाइंटमेंट के सीएम हाउस के अंदरुनी हिस्से में घुसने की कोशिश कर रही थी और स्वाति ने ही उसे धक्का दिया था. इसके बाद उसने स्वाति को बाहर निकालने के लिए सिक्योरिटी स्टाफ को बुलाया था. एक वीडियो भी जारी किया गया है, जिसमें स्वाति सीएम हाउस में सोफे पर आराम से बैठी हैं. उल्टा विभव और पुलिसवालों को धमका रही हैं. जाहिर है, मामला इतना सीधा भी नहीं जितना दिख रहा है. ऐसे में 13 मई का सच पता करना दिल्ली पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है.

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दिल्ली पुलिस को दी गई तहरीर में स्वाति मालिवाल ने लिखा है...

''मैं दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने गई उनके कैंप ऑफिस गई थी.ऑफिस जाने के बाद सीएम के पीएस विभव कुमार को फोन किया, लेकिन मुझसे संपर्क नहीं हो सका. फिर मैंने उसके मोबाइल नंबर पर (वॉट्सएप के जरिए) एक मैसेज भेजा. हालांकि कोई जबाब नहीं आया. उसके बाद मैं घर के मुख्य दरवाजे से अंदर गई, जैसा कि मैं पिछले सालों से हमेशा से करती आई हूं. चूंकि विभव कुमार वहां मौजूद नहीं थे, इसलिए मैं घर के अंदर दाखिल हुई और वहां मौजूद कर्मचारियों को सूचित किया कि वो सीएम से मिलने के बारे में बताएं. मुझे बताया गया कि वा घर में मौजूद है और मुझे ड्राइंग रूम में जाने के लिए कहा गया. मैं ड्राइंग रूम में जाकर सोफे पर बैठ गई और मिलने का इंतजार करने लगी. एक स्टाफ ने आकर मुझे बताया कि सीएम मुझसे मिलने आ रहे हैं. इतना कहने के बाद सीएम के पीएस विभव कुमार कमरे में घुस आए. वो बिना किसी उकसावे पर चिल्लाने लगा और यहां तक ​​कि मुझे गालियां भी देने लगा. मैं इस अचानक घटना से स्तब्ध रह गई. मैंने उससे कहा कि वो मुझसे इस तरह बात करना बंद करे और सीएम को फोन करे. उसने कहा तू कैसे हमारी बात नहीं मानेगी? इसके बाद उसने मुझे थप्पड़ मारना शुरू कर दिया. उसने मुझे कम से कम 7-8 बार थप्पड़ मारे. मैं चिल्लाती रही. मैं बिल्कुल सदमे में थी और बचाव के लिए उसे धकेलने की कोशिश की. वो मुझ पर झपटा और बुरी तरह मेरी शर्ट को ऊपर खींच लिया. मेरी शर्ट के बटन खुल गए और मैं नीचे गिर गई और सेंटर टेबल पर मेरा सिर मार दिया. मैं लगातार मदद के लिए चिल्लाती रही. विभव कुमार नहीं माना और अपने पैरों से मेरी छाती, पेट और शरीर के निचले हिस्से पर लात मारकर मुझ पर हमला किया. मुझे पीरियडस हो रहे थे. मैंने उससे कहा कि मुझे जाने दें. क्योंकि मैं बहुत दर्द में हूं. हालांकि, उसने बार-बार पूरी ताकत से मुझ पर हमला किया. मैं कोशिश कर रही थी कि किसी तरह से बाहर निकल जाऊं. फिर मैं ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठ गई और हमले के दौरान चश्मा नीचे गिर गया. इस हमले से मैं भयानक सदमे की स्थिति में थी. मुझे गहरा सदमा लगा और मैंने 112 नंबर पर फोन किया और घटना की सूचना दी. विभव ने मुझे धमकी देते हुए कहा, कर ले, जो तुझे जो करना है. तू हमारा कुछ नहीं कर पाएगी. ऐसी जगह गाड़ देंगे किसी को भी पता नहीं चलेगा. फिर जब उसे एहसास हुआ कि मैं 112 नंबर पर हूं तो वो कमरे से बाहर चला गया. कुछ देर बाद विभव सीएम कैंप कार्यालय के मैन गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों के साथ वापस आ गया. विभव के कहने पर सुरक्षाकर्मियों ने मुझसे चले जाने के लिए कहा. मैं उनसे कहती रही कि मुझे बेरहमी से पीटा गया है और उन्हें मेरी हालत देखनी चाहिए और पीसीआर पुलिस के आने तक इंतजार करना चाहिए. हालांकि, उन्होंने मुझे कैंपस छोड़ने के लिए कहा. मुझे सीएम आवास के बाहर ले जाया गया और मैं कुछ देर के लिए उनके घर के बाहर फर्श पर बैठी, क्योंकि मैं गहरे दर्द में थी. बाद में पीसीआर पुलिस आई. मैं ऑटो में बैठकर जाने के लिए निकली. क्योंकि मुझे बहुत दर्द था और पूरी तरह से सदमे में थी और टूट गई थी. किसी तरह मैंने हिम्मत जुटाई और ऑटो को वापस जाने के लिए कहा और मामले की रिपोर्ट करने के लिए सिविल लाइंस थाने पहुंची. मैंने एसएचओ को घटना के बारे में बताया. मुझे भयानक दर्द था और मेरे मोबाइल पर भी मीडिया के खूब कॉल आने लगे. दर्द और घटना का राजनीतिकरण ना करने की वजह से मैं लिखित शिकायत दर्ज किए बिना पुलिस स्टेशन से चली गई. मेरे हाथ-पैर और पेट में हमले के कारण बहुत दर्द हो रहा था.''

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