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चीन-अमेरिका के बीच बढ़ा तनाव, जंग के नतीजे पर पेंटागन की चौंकाने वाली रिपोर्ट

अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में अगर एशिया पेसिफिक रीजन में अमेरिका-चीन में तनाव की स्थिति पैदा होती है और फिर उस तनाव के बीच दोनों देशों के बीच जंग होती है, तो इस जंग में अमेरिका को हार का सामना करना पड़ सकता है.

कोरोना को लेकर चीन और अमेरिका एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं कोरोना को लेकर चीन और अमेरिका एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं
शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 05 जून 2020,
  • अपडेटेड 6:16 PM IST

  • पेंटागन की रिपोर्ट में युद्ध को लेकर खुलासा
  • चीन से जंग में हार सकता है अमेरिका

एक तरफ दुनिया कोरोना से जंग लड़ रही है. तो वहीं दूसरी तरफ इसी कोरोना को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव इस कदर बढ़ गया है कि दोनों देशों के बीच जंग की नौबत आ गई है. मगर क्या कोरोना की इस तबाही के बीच अमेरिका और चीन जंग का जोखिम उठा पाएंगे? खास कर अमेरिका. जहां कोरोना ने सबसे ज्यादा कहर ढहाया है और जो फिलहाल घरेलू हिंसा का भी शिकार है. ऊपर से अमेरिका के लिए अब एक और बुरी खबर खुद उसके अपने रक्षा विभाग से आई है.

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अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में अगर एशिया पेसिफिक रीजन में अमेरिका-चीन में तनाव की स्थिति पैदा होती है और फिर उस तनाव के बीच दोनों देशों के बीच जंग होती है तो इस जंग में अमेरिका को हार का सामना करना पड़ सकता है.

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एक लाख से ज़्यादा लोग कोरोना वायरस से मर चुके हैं. अरबों डॉलर की संपत्ति अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद गृहयुद्ध में तबाह हो गई. ट्रॉपिकल तूफान से मध्य अमेरिका के हिस्सों में खौफ बना हुआ है. मगर अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी एक आंख बंद कर के निशाना सिर्फ चीन पर लगाए हुए हैं. ट्रंप ने पहले समंदर में चीन को घेरने की कोशिश की. फिर उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाएं. संयुक्त राष्ट्र पर कोरोना के मामले में चीन की जांच के लिए दबाव बनाया. हॉन्गकांग और ताइवान को चीन के खिलाफ भड़काने की कोशिश की और अब आमने-सामने की जंग की बाते हो रही हैं.

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लेकिन खुद अमेरिका के अंदर से ही जो रिपोर्ट बाहर निकली है वो अमेरिका के लिए अच्छी नहीं है. क्योंकि खुद अमेरिकी रक्षा विभाग ये मान कर चल रहा है कि चीन के साथ जंग घाटे का सौदा है. तो क्या अपने ही रक्षा विभाग की सोच के खिलाफ जाकर अमेरिका इस वक्त चीन से युद्ध करने का जोखिम उठाएगा या फिर चीन को सबक सिखाने के लिए दूसरा रास्ता अपनाएग? जिसकी उम्मीद ज्यादा नजर आती है.

पहले अमेरिका ने चीन पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए और अब उसने चीन आने जाने वाली सभी उड़ानों को रोकने का एलान कर दिया है. हालांकि चीन की तरफ से इस फ़ैसले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. अमेरिका की दलील ये है कि चीन ने अमरीकी एयरलाइनों को फिर से उड़ानें शुरू करने की अनुमति नहीं दी. जो दोनों देशों के बीच 1980 में हुए हवाई यात्रा समझौते का उल्लंघन है. जबकि फिलहाल चीन में सभी तरह की अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर रोक है.

कोरोना वायरस से अमेरिका में मची तबाही और दुनियाभर में आर्थिक रूप से मज़बूत हो रहे चीन को कमज़ोर करने के लिए ट्रंप लगातार बीजिंग के लिए आक्रामक रवैया अपनाए हुए हैं. ट्रंप चीन पर गलत तरीके से दुनिया की अर्थव्यवस्था को कंट्रोल करने का आरोप तो लगाते ही रहे है. साथ ही हांगकांग-वियतनाम और भारत के साथ सीमा विवाद के मुद्दे पर भी चीन के खिलाफ खड़े होने की तमाम कोशिशें की है.

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ताइवान की तरफ बढ़ रहा चीनी पंजा अमेरिकी हितों के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है. पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो अमेरिका भी उसे नहीं बचा पाएगा. यही नहीं प्रशांत महासागर में अमेरिका का बहुत अहम सैन्य अड्डा गुआम भी खतरे में पड़ जाएगा. गुआम अमेरिका के लिए सामरिक नज़रिए से बहुत अहम है. क्योंकि अमेरिका के सबसे खतरनाक और आधुनिक लड़ाकू विमान B2बॉम्बर तैनात रहते हैं. मगर ये गुआम द्वीप चीन की बैलेस्टिक मिसाइलों की रेंज में भी आता है. और चीन ने तो ताइवान पर दबाव बढ़ाना भी शुरू कर दिया है. और तो और चीन ताइवान के पास की समुद्री सीमा में अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास भी कर रहा है.

उधर, चीन को काबू में रखने और उसे ताइवान पर हमला करने से रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सुपर-डुपर मिसाइल तैयार करने की धमकी दी है. दरअसल मौजूदा हालात को देखते हुए अमेरिकी रक्षा विभाग अपने सबसे महत्वाकांक्षी सैन्य प्रोजेक्ट यानी हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी पर काम शुर कर दिया है. ट्रंप की ये सुपर-डुपर मिसाइल.

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कैसी है ट्रंप की सुपर-डुपर मिसाइल?

ट्रंप की मिसाइल आवाज़ की रफ्तार से भी 17 गुना ज्यादा तेज़ी से हमला कर सकती है. ये अब तक की दुनिया की सबसे तेज़ हाइपरसोनिक मिसाइल होगी. ये मिसाइलें क्रूज़ और बैलिस्टिक मिसाइल दोनों के फीचर्स से लैस होगी. लॉन्चिंग के बाद पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाकर टारगेट को निशाना बनाती है. हाइपरसोनिक मिसाइल की तेज रफ्तार की वजह से रडार इन्हें पकड़ नहीं पाते. ये बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइलों से उलट अपनी दिशा में बदल सकती है. रूस के पास 5 गुना और चीन 6 गुना तेज़ मिसाइल पर काम कर रहा है.

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मगर बिना तैयार किए इस हाइपरसोनिक का ऐलान करना अमेरिका की ताकत को नहीं बल्कि उसके डर को दिखा रहा है. क्योंकि उसे लगता है कि चीन ने पिछले दिनों चोरी छिपे अपनी ताकत में काफी इज़ाफा कर लिया है. पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक एशिया पेसिफिक रीजन में मौजूदा वक्त में जंग करना अमेरिका के लिए हार को दावत देने के बराबर है. इसलिए जानकार मान रहे हैं कि एक हद तक ही अमेरिका चीन पर दबाव बनाएगा. ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे.

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