
24 मई की दोपहर को अमेरिकी राष्ट्रपति के घर व्हाइट हाउस से एक लेटर जारी होता है. ये खत उत्तर कोरिया के तानाशाह मार्शल किम जोंग उन के नाम था. खत डोनल्ड ट्रंप की तरफ से था. खत में लिखा था कि 12 जून को सिंगापुर में होने वाली मुलाकात फिलहाल रद्द की जा रही है. इधर किम को खत मिलता है. उधर कुछ ही घंटे बाद उत्तर कोरिया में मौजूद दुनियाभर के पत्रकारों को एक खास जगह पर ले जाया जाता है. फिर उन पत्रकारों के सामने एक के बाद एक कई धमाके होते हैं. पर ट्रंप और किम के ब्रेकअप के बाद हुए ये धमाके पहले के तमाम धमाकों से बिल्कुल अलग थे.
किम ने निभाया वादा
उत्तर कोरिया की न्यूक्लियर साइट पर धमाके हुए. एक तरफ ये धमाके थे. दूसरी तरफ वो लेटर बम. एक तरफ उत्तर कोरिया का अपना वादा पूरा करना और दूसरी तरफ अमेरिका का अपने वादे से मुकरना. कमाल का इत्तेफाक था ये. 24 मई यानी गुरूवार को पहले अमेरिका का ये खत सामने आता है. और फिर उसके कुछ ही घंटे बाद उत्तर कोरिया के बमों की फैक्ट्री को बारूद से उड़ाती तस्वीरें सामने आती हैं.
नष्ट की न्यूक्लियर साइट
जिन धमाकों की बात हम कर रहे हैं, ये बम के धमाके नहीं हैं. बल्कि परमाणु बम बनाने वाली न्यूक्लियर साइट को तबाह करने के लिए किए जा रहे धमाके हैं. 24 मई की शाम को दुनिया भर के पत्रकारों की मौजूदगी में उत्तर कोरिया ने वादे के मुताबिक अपने न्यूक्लियर साइट को नष्ट कर दिया. लगा अब सब ठीक हो जाएगा. पर ऐसा नहीं हुआ.
टल गई मुलाकात
बस हाथ और गले मिलने ही वाले थे. बमों का झग़ड़ा सुलझने ही वाला था. तीसरे विश्व युद्ध का खतरा टलने ही वाला था. मगर तभी. जी हां. तभी ऐन वक्त पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का ये खत आता है और सब कुछ फिलहाल के लिए खत्म हो जाता है. विश्व शांती के लिए 12 जून को सिंगापुर में होने वाली ट्रंप और किम की मुलाकात टल जाती है.
ट्रंप ने रद्द की मीटिंग
किम जोंग उन और डोनाल्ड ट्रंप फिलहाल नहीं मिलेंगे. 12 जून को सिंगापुर में होने वाली मीटिंग रद्द हो गई है. मीटिंग रद्द होने से गुस्से में हैं किम जोंग उन. सिंगापुर में किम जोंग उन के साथ होने वाली मीटिंग को रद्द करने के पीछे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दलील ये दी है कि किम अब भी भड़काऊ बातें कर रहे हैं. ऐसे में इस वक्त बातचीत का कोई मतलब नहीं है.
अमेरिकी उप-राष्ट्रपति को कहा था बेवकूफ
जानकारों के मुताबिक ट्रंप अमेरिकी उप-राष्ट्रपति माइक पिंस को 'बेवकूफ' बोले जाने पर किम से नाराज थे. किम ने हाल ही में माइक को बेवकूफ कहा था. दरअसल, अमेरिकी उप-राष्ट्रपति माइक पिंस ने पिछले दिनों एक बयान दिया था कि अगर उत्तर कोरिया परमाणु बमों के परीक्षण से बाज़ नहीं आएगा, तो उसके खिलाफ अमेरिका गद्दाफी वाली नीति अपनाने से भी गुरेज़ नहीं करेगा. इस बयान के बाद किम ने अमेरिकी उप-राष्ट्रपति को बेवकूफ बोला था.
किम के मंत्री ने दिया था बयान
दोनों देशों के बीच इस नई तल्खी की शुरूआत उत्तर कोरिया के मंत्री चो सोन-हुई के बयान से हुई थी. जिन्होंने अमरीकी उप-राष्ट्रपति माइक पेंस को ट्रंप का बयान दोहराने को लेकर उन्हें सियासी कठपुतली करार दिया था. दरअसल अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बॉल्टन ने पद संभालने से पहले ही कहा था कि जब तक उत्तर कोरिया अपने सारे परमाणु और रासायनिक हथियारों को तबाह नहीं कर देता, उसके साथ बातचीत का कोई मतलब नहीं है. और ट्रंप किम से मिलकर अपना वक्त ज़ाया करेंगे.
ट्रंप ने बदला रुख
इसी के बाद ट्रंप ने तेजी से अपना रुख बदला और ये चिट्ठी लिखकर साफ कर दिया कि आप अपने परमाणु क्षमता की बात करते हैं लेकिन हमारे परमाणु हथियार बहुत बड़े और ताकतवर है, मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनका इस्तेमाल कभी न करना पड़े.
लीबिया मॉडल पर विवाद
अब अमेरिका को लगता है कि किम को बातचीत के लिए लीबिया मॉडल अपनाना चाहिए. आपको बता दें कि 2003 में हुई डिन्यूक्लियराइज़ेन की प्रक्रिया के बाद लीबियाई नेता मुअम्मार गद्दाफ़ी को अपना परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से रोक देना पड़ा था. बस इसी बात पर उत्तर कोरिया भड़क गया था. उसने अमेरिका को अपने अंदाज़ में धमका दिया.
लीबिया से तुलना पर भड़का किम
उत्तर कोरिया एक परमाणु ताक़त है जिसके पास इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल हैं, जिन्हें थर्मोन्यूक्लियर हथियारों पर फिट कर इस्तेमाल किया जा सकता है. इसकी तुलना में लीबिया ने सिर्फ़ थोड़े-बहुत उपकरणों का जुगाड़ किया था. किम ने साफ कहा कि वो वो अपने सारे परमाणु हथियारों को कभी खत्म नहीं करेगा. न आज न कल. और अगर परमाणु हथियारों को खत्म ही करना है तो अकेले उत्तर कोरिया क्यों करे. अमेरिका भी क्यों ना करे. जिसने सैकड़ों की तादाद में परमाणु हथियार बना रखें हैं. हालांकि दोनों तरफ की इस तल्खी के बावजूद बातचीत की उम्मीद पूरी तरह से अभी खत्म नहीं हुई है.
अगर आप इस अहम मुलाकात को करने के लिए अपना मन बदलें तो मुझे फोन करने या चिट्ठी लिखने में संकोच न करें. उत्तर कोरिया ट्रंप की बदली हुई चाल से बेहद गुस्से में है. लेकिन बावजूद इसके उसने दोहराया है कि वो अमरीका के साथ कूटनीतिक प्रक्रिया कहीं भी और कभी भी शुरू करने को तैयार है.