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अमेरिकाः जब 'लेडी अल कायदा' को छुड़ाने के लिए बंधक बनाए गए 4 लोग, फिर हुआ ऐसा..

प्रार्थना स्थल पर क़ब्ज़ा करने वाला शख़्स अब कॉन्ग्रेगेशन बेथ इज़रायल नाम के फ़ेसबुक पेज पर भी क़ब्ज़ा कर लेता है. वो चिल्लाते हुए सबसे पहले ये ऐलान करता है कि उसके पास गन है और उसका बैकपैक विस्फोटकों से भरा है.

आफिया सिद्दिकी को छुड़ाने के लिए उस संदिग्ध ने इस वारदात को अंजाम दिया आफिया सिद्दिकी को छुड़ाने के लिए उस संदिग्ध ने इस वारदात को अंजाम दिया
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 6:19 PM IST

अमेरिका की जेल में एक पाकिस्तानी महिला आफ़िया सिद्दिक़ी बंद है. उसे लेडी कायदा के नाम से भी जाना जाता है. एक अमेरिकी अदालत ने उसे 86 साल कैद की सजा सुनाई है. उसी आफिया को छुड़ाने के लिए एक बंदूकधारी शख्स टेक्सास में मौजूद यहूदियों के एक प्रार्थना स्थल में दाखिल हुआ और उसने वहां 4 लोगों को बंधक बना लिया. फिर उसने प्रार्थना में ऑनलाइन हिस्सा ले रहे लोगों को अपनी मांग बताई. ये खबर मिलते ही FBI की टीम मौके पर पहुंच जाती है. फिर शुरु होता है एक्शन.  

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अमेरिका के टेक्सास में एक जगह है कॉलीविले. वहां यहूदियों का पूजा स्थल है सायनागॉग. बीते शनिवार की सुबह 11 बजे का वक्त था. यहूदियों के पूजा स्थल में शबथ की सर्विस चल रही थी. शबथ की सर्विस यानी हफ़्ते की प्रार्थना सभा. तभी दरम्यानी उम्र का एक शख़्स उस पूजा स्थल में दाखिल हुआ. उसके पास एक बैकपैक है. अंदर आते ही उसने अपने बैग से एक गन निकली और पूजा स्थल में मौजूद रब्बी यानी पुजारी समेत वहां मौजूद कुल चार लोगों को सीधे गन प्वाइंट पर ले लिया. पूजा स्थल में अचानक हुए इस बदलाव से वहां मौजूद तमाम लोग बुरी तरह घबरा गए. 

हालांकि अब तक कॉन्ग्रेगेशन बेथ इज़रायल नाम के एक फेसबुक पेज पर ऑनलाइन प्रॉर्थना में हिस्सा ले रहे सैकड़ों लोग पूजा स्थल में हुए इस डेवलपमेंट से अंजान थे. लेकिन थोड़ी ही देर के बाद जो कुछ होता है, वो ऑनलाइन प्रार्थना में भाग ले रहे लोगों के लिए किसी सदमे से कम नहीं था.

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प्रार्थना स्थल पर क़ब्ज़ा करनेवाला शख़्स अब कॉन्ग्रेगेशन बेथ इज़रायल नाम के फ़ेसबुक पेज पर भी क़ब्ज़ा कर लेता है. वो चिल्लाते हुए सबसे पहले ये ऐलान करता है कि उसके पास गन है और उसका बैकपैक विस्फोटकों से भरा है. इसलिए कोई भी चालाकी दिखाने की कोशिश ना करे, वो जैसा-जैसा कह रहा है, वैसा-वैसा करते जाएं. इसके बाद उस शख़्स ने बग़ैर देर किए सीधे टेक्सास की फोर्ट-वर्थ जेल में बंद पाकिस्तान मूल की महिला आतंकी आफ़िया सिद्दीकी को फ़ौरन जेल से रिहा करने की मांग कर दी.

उसने कहा "अगर मेरी बहन आफ़िया सिद्दीकी को रिहा नहीं किया गया और किसी ने कोई भी चालाकी करने की कोशिश की या फिर इस पूजा स्थल में घुसने की ग़लती की, तो मैं साफ़ कहता हूं कि यहां सब के सब मारे जाएंगे. मैं आप सबको ये बताना चाहता हूं कि मैं तो मरूंगा ही, इसलिए मेरे लिए किसी को रोने की ज़रूरत नहीं है. लेकिन मैं अपने इरादों को पूरा करके दम लूंगा. क्या आप सब सुन रहे हैं? मैं मरने जा रहा हूं. मैं फिर कहता हूं, मैं मरने जा रहा हूं. मेरे के लिए किसी को रोने की ज़रूरत नहीं है."

अब प्रार्थना स्थल में घुसा वो अजनबी किसी मामूली बंदी का नहीं, बल्कि एक ऐसी महिला आतंकी की रिहाई की मांग कर रहा था, जिसे न्यूयॉर्क की अदालत ने अमेरिकी फ़ौजी कमांडर पर हमले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था और 86 साल की सज़ा सुनाई थी.

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पाकिस्तानी आतंकी आफ़िया सिद्दीकी का आपराधिक इतिहास कैसा है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उसे लेडी अल क़ायदा के नाम से जाना जाता है और पूजा स्थल में घुसा ये शख्स ना सिर्फ़ उसे छोड़ने की अजीबोग़रीब मांग कर रहा था, बल्कि खुद को आफ़िया का भाई भी बता रहा था. ऐसे में तमाम एजेंसियों का और भी ज़्यादा सतर्क हो जाना लाज़िमी था. 

इसी के साथ टेक्सॉस पुलिस से लेकर एफबीआई और दूसरी सारी एजेंसियां हरकत में आ जाती हैं. किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए फ़ौरन स्विफ्ट एक्शन टीम यानी स्वाट मौक़ा-ए-वारदात की ओर रवाना कर दिया है और अगले चंद मिनटों के अंदर इस पूरे के पूरे पूजा स्थल को कमांडोज़ और स्नाइपर्स चारों ओर से घेर लेते हैं. लेकिन चूंकि सीधे इस पूजा स्थल के अंदर जाना और श्रद्धालुओं को बंधक बनानेवाले शख्स से दो-दो हाथ करना ख़तरे से ख़ाली नहीं था, इसलिए स्वाट की टीम फिलहाल अपना ऑपरेशन संभल कर आगे बढ़ाने का फ़ैसला करती है. 

असल में शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक पूजा स्थल पर क़ब्ज़ा करनेवाले शख्स के पास गन के साथ-साथ दूसरे विस्फोटक भी होने की खबर आई थी, ऐसे में उससे आमने-सामने की गन फ़ाइट में उलझने का मतलब था कि पूजा स्थल में बंधक बनाए गए बेगुनाह लोगों की ज़िंदगी ख़तरे में डालना. लिहाज़ा, टेक्सास की पुलिस और एफबीआई ने उस शख्स से उसी फेसबुक पेज के ज़रिए बातचीत करने का फ़ैसला किया. ताकि उसके साथ संवाद कायम हो और उसे सरेंडर करने के लिए राज़ी किया जा सके. 

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इस दौरान पुलिस की अलग-अलग टीमें इस शख्स के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही थी. ताकि उसके आगे-पीछे का पता लगाया जा सके. और इसे किसी और ज़रिए से हथियार डालने के लिए राज़ी करना मुमकिन हो. उससे बातचीत के दौरान ही पुलिस उसकी बातचीत के लहजे और तरीक़े से ये अंदाज़ा लगा लेती है कि वो अमेरिकी नहीं, बल्कि ब्रिटिश मूल का कोई नागरिक हो सकता है, क्योंकि जिस तरह से वो येह, ब्रो, मैन जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहा था, वैसा ब्रिटिश लोग आपसी बातचीत के दौरान अक्सर करते हैं.

इन कोशिशों में कई घंटे गुज़र गए और इसी बीच पूजा स्थल के अंदर से एक शख़्स बाहर निकलने में कामयाब हो गया. या हूं कहें कि उसे बंधक बनानेवाला शख़्स एक श्रद्धालु को आज़ाद कर देता है. लेकिन अब भी अंदर पुजारी समेत तीन लोग मौजूद थे. इस बीच कई दूसरे तरीक़ों से भी उससे बातचीत करने की कोशिश चलती रही. लेकिन एक लंबा वक़्त गुज़रने के बावजूद वो संदिग्ध ना तो बंधकों को आज़ाद करने को तैयार होता है और ना ही खुद सरेंडर करने को.

क़रीब 10 घंटे गुजर चुके थे. रात के क़रीब 9.15 बजे थे. अब हर कोई थकने लगा था. लेकिन बंधकों का संकट ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था. तभी अचानक पूजा घर में एक ड्रामाई मंज़र सामने आता है. दो बंधक सायनागॉग यानी पूजा घर से भागते हुए दिखाई देते हैं. और वो अजनबी आतंकी गन लेकर उनका पीछा करता है, लेकिन फिर जैसे ही उसकी नज़र दरवाज़े के बाहर मौजूद स्वाट कमांडोज़ पर पड़ती है, तो वो फ़ौरन फिर से पूजा घर के अंदर जाने की कोशिश करता है, लेकिन यही उसकी ज़िंदगी की आख़िरी घड़ी साबित होती है. 

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अब दरवाज़ा तोड़ कर सीधे एक के बाद एक कमांडोज़ पूजा घर में दाखिल होते हैं और ताबड़तोड़ गोलियों की आवाज़ सुनाई देने लगती है. कुछ ही देर में सबकुछ शांत हो गया, बंधक बनानेवाला एफबीआई की गोलियों का शिकार बन गया. और इसके साथ ही बंधक संकट ख़त्म हो गया. बंधक बनाए गए सारे के सारे लोग आज़ाद करा लिए गए.

उधर, पूजा घर में दस घंटे तक बंधक संकट की वजह बने शख़्स के बारे में जब तफ्तीश की गई, तो उसे लेकर चौंकानेवाली जानकारी सामने आई. पता चला कि 44 साल वो शख्स अमेरिकी नहीं, बल्कि एक ब्रिटिश नागरिक था. जो इंग्लैंड के ब्लैकबर्न से वहां दो हफ्ते पहले ही वहां पहुंचा था. वहां आने के बाद मलिक फैसल अकरम नाम के इस शख़्स ने एक रैन बसेरे में शरण ली. वहीं उसने अपने नापाक इरादों के लिए बंदूक का इंतज़ाम भी किया. 

लेकिन अपने घर यानी लंकाशायर से टेक्सास तक 4 हज़ार 700 मील की दूरी उसने कैसे और किन हालात में पूरी की? इस काम में किन किन लोगों ने उसका साथ दिया? फिलहाल, पुलिस इन सारी बातों का पता लगाने में जुटी है. इत्तेफ़ाक से पुलिस ने इस सिलसिले में दो नाबालिगों को हिरासत में लिया है और मामले की जांच जारी है.

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कौन है आफिया सिद्दिकी
अमेरिका में आफ़िया सिद्दिक़ी को लेडी क़ायदा के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि उस पर दुनिया के सबसे ख़तरनाक आतंकी संगठन अल क़ायदा से रिश्ता रखने और उस संगठन के लिए काम करने का ना सिर्फ़ संगीन इल्ज़ाम लगा बल्कि अमेरिकी अदालत में ये जुर्म साबित भी हो चुका है. पाकिस्तान की रहने वाली आफ़िया सिद्दिक़ी पढ़ाई लिखाई में बेहद तेज़ है. उसकी क़ाबिलियत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका समेत दुनिया की सबसे आला यूनिवर्सिटी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और ब्रैंडीज़ यूनिवर्सिटी से उसने अपनी पढ़ाई पूरी की. वो पाकिस्तान की सबसे चर्चित और सबसे मशहूर न्यूरो सांइटिस्ट रह चुकी है.

लेकिन साल 2008 में उसका असली चेहरा तब सामने आया, जब अमेरिकी सेना ने आफ़िया को अफग़ानिस्तान के गज़नी शहर से गिरफ़्तार किया था. उस पर अमेरिकी सेना के एक कर्नल रैंक के अफसर की हत्या की कोशिश का इल्ज़ाम लगा था. और इल्ज़ाम ये भी था कि उसका ताल्लुक अल क़ायदा जैसे आतंकी संगठन के टॉप सरगनाओं से भी है. जिनमें ओसामा बिन लादेन और अल जवाहिरी भी शामिल हैं. FBI के सबूतों के मुताबिक 2004 में ही जांच एजेंसी को आफ़िया सिद्दिक़ी की तलाश थी, क्योंकि उसके बारे में पहले ही सबूत मिल चुके थे. 

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अमेरिकी खुफ़िया एजेंसियों के मुताबिक 2008 में जब आफ़िया सिद्दिक़ी को अफ़ग़ानिस्तान से गिरफ़्तार किया गया था, उस वक़्त उसके पास से एक लेटर मिला था, जिसमें एक ख़तरनाक़ डर्टी बम का ज़िक़्र था. जिसे डी कोड करने के बाद अमेरिका के सैन्य अधिकारियों ने अंदाज़ा लगाया था कि ये एक गहरी साज़िश का हिस्सा है, जिसके तहत अफ़ग़ानिस्तान में आतंकियों के ख़िलाफ चल रही अमेरिकी मुहिम को झटका देना था. साल 2010 में आफ़िया को न्यू यॉर्क की अदालत ने दोषी करार दिया था. हालांकि अदालत में ये बात तो साबित नहीं हो सकी कि आफ़िया सिद्दिक़ी खुद आतंकवादी है. लेकिन अलकायदा से उसके रिश्तों के साथ-साथ इस बात के सबूत ज़रूर मिल गए कि उसके न्यू यॉर्क वाले घर में कुछ ऐसे ख़तरनाक रसायन और दस्तावेज़ थे, जो उसके पास नहीं होने चाहिए थे.

अमेरिकी जज रिचर्ड बेरमन ने अपने फ़ैसले में लिखा था कि बेशक शक़्ल ओ सूरत और शरीर देखकर ये अंदाज़ा न मिले कि आफ़िया ख़तरनाक आतंकी गतिविधियों में शामिल हो सकती है लेकिन जो सबूत और सुराग़ मेरे सामने आए हैं, उसके आधार पर मैं ये फैसला करता हूं कि डॉक्टर सिद्दिक़ी को 86 साल तक जेल के भीतर रखा जाना चाहिए. हालांकि पाकिस्तान में अमेरिका के इस फ़ैसले का जमकर विरोध हुआ और कई दफ़ा पाकिस्तान की तमाम मानवाधिकार संगठन और कुछ सियासी पार्टियों ने भी आफ़िया सिद्दिक़ी के समर्थन और अमेरिका के विरोध में प्रदर्शन भी किए थे.

(आज तक ब्यूरो)

 

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