
Cyanide Serial killer: सीरियल किलिंग एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनकर कई लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं और कई लोग दहशत से भर जाते हैं. भारत में में अगर जुर्म की तारीख के पन्नों को खंगाला जाए तो सीरियल किलिंग के कई ऐसे मामले मिलते हैं, जिन्हें जानकर किसी भी इंसान की रूह कांप जाए. ऐसी वारदातों को अंजाम देने वाले किसी हैवान से कम नहीं होते. इस वहशी काम को केवल मर्दों ने ही अंजाम नहीं दिया, बल्कि कुछ महिलाएं भी सीरियल किलिंग की दुनिया में मौत का दूसरा नाम बन गईं. ऐसा ही एक नाम था डी कमपम्मा का. जिसे साइनाइड मलिका के नाम से जाना जाता था. वो भारत की पहली सीरियल किलर थी.
कौन थी डी कमपम्मा?
डी कमपम्मा का जन्म 1970 में कर्नाटक के कगलीपुरा गांव में हुआ था. उसका ताल्लुक एक बेहद मामूली परिवार से था. घर के आर्थिक हालात भी बहुत खराब थे. कभी मामूली ज़रूरतें भी उसके घरवालों के लिए बड़ी चुनौती बन जाती थीं. उसके परिजन कड़ी मेहनत मशक्कत करते थे, तब जाकर उसके परिवार का गुजारा होता था. उसके पड़ोसी भी मामूली और गरीब लोग ही थे. छोटी उम्र में ही घरावालों ने उसकी शादी कर दी. उसका पति एक टेलर था. शादी के बाद उसके तीन बच्चे भी हो चुके थे. जिंदगी यूं ही गुजरती जा रही थी. वो अपनी शादीशुदा जिंदगी से बेजार थी. लेकिन उसके सपने बड़े थे.
फिल्मों में जाना चाहती थी कमपम्मा
उसका जन्म भले ही गरीब परिवार में हुआ था, लेकिन वो सपने बड़े लोगों जैसे देखा करती थी. सच तो ये था कि उसे फिल्मों का बड़ा शौक था. वो फिल्मों में काम करना चाहती थी. वो हीरोइन बनने का सपना देखती थी. वो इस बारे में अपनी सहेलियों को भी बताया करती थी. उसने ठान रखा था कि जिस भी दिन उसे मौका मिलेगा वो अपना सपना पूरा करने के लिए कुछ भी करेगी. चाहे उसे गलत रास्ता ही क्यों ना अख्तियार करना पड़े.
ऐसी बदली जिंदगी
कमपम्मा अपने सपने पूरे करने के लिए मौका तलाश रही थी. इसी दौरान उसकी जिंदगी में एक अहम मोड़ आया. 90 के दशक में वो अपनी मलिन बस्ती से निकलकर शहर जा पहुंची और एक अमीर परिवार के घर में नौकरानी के तौर पर काम करने लगी. वो घर एक ऐसे परिवार का था, जहां किसी लक्ष्मी की कृपा बरसती थी. पैसे की कोई कमी नहीं थी. वो परिवार शाही अंदाज में जीता था. उस घर में जाकर जैसे कमपम्मा के सपनों को पंख मिल गए थे. अब वो अमीर बनने का ख्वाब देखने लगी थी. उसके भीरत पैसे की हवस जन्म ले चुकी थी.
घरों में करने लगी थी चोरी
वो भी अमीरों जैसी शानदार जिंदगी बस करना चाहती थी, लिहाजा उसने अमीर लोगों के घरों से कीमती सामान चुराना शुरू कर दिया. वो गरीब और ज़रूरतमंद बनकर अमीरों के घर में काम तलाशती थी और मौका देखकर वहां से चोरी करती थी. मगर चोरी के काम से भी उसका मकसद पूरा होता नहीं दिख रहा था. वो इसी उधेड़-बुन में लगी थी कि आगे क्या किया जाए?
शुरू किया था चिट फंड का काम
रातों रात अमीर बनने के ख़्वाब को पूरा करने की जद्दोजेहद के बीच उसे एक आइडिया आया. वो आइडिया था अपने इलाके में चिट फंड कंपनी शुरू करने का. उसने अपने प्लान को अमली जामा पहनाते हुए यह काम शुरू कर दिया. वो लोगों को छोटी रकम जमा करके बड़े सपने दिखाने लगी. लोग भी उसकी बातों में आने लगे. नतीजा ये हुआ कि बहुत जल्द उसने अच्छी खासी रकम जमा कर ली.
पति ने घर से निकाला
इससे पहले कि कमपम्मा कुछ कर पाती, 1998 में उसकी चिट फंड कंपनी का दिवाला निकल गया. उसे इस काम में बहुत नुकसान हुआ. उसने जो रकम जमा की थी, वो भी खत्म हो चुकी थी. वो बड़ी परेशान थी. लोग उसके घर तकादा लेकर पहुंच रहे थे. इसी वजह से उसके घर में भी कलेश हो रहा था. एक दिन कमपम्मा का उसके पति के साथ बहुत झगड़ा हुआ. बात हाथापाई तक जा पहुंची और इसी बात से खफा होकर उसके पति ने उसे घर से निकाल कर बाहर कर दिया.
लोगों के साथ करने लगी थी ठगी
कमपम्मा का सपना टूटने की कगार पर पहुंच चुका था. वो मायूस थी. उसके पास कोई काम नहीं था. चिट फंड कंपनी डूब चुकी थी. ना घर था ना कोई ठिकाना. फिर उसने हार नहीं मानी. इसी दौरान कमपम्मा ने अपने रहने की एक जगह तलाश की और इसके बाद उसने लोगों को झांसा देकर पैसा ऐंठने का काम शुरू कर दिया. उसे लोगों को सपने दिखाकर जाल में फंसाने का हुनर पहले से आता था. लिहाजा उसे शिकार पकड़ने में दिक्कत नहीं थी.
शिकार बनाने के लिए बदला रूप
कुछ दिन बाद उसने तय कर लिया कि अब केवल ऐसे लोगों को अपना शिकार बनाएगी, जो अमीर और पैसे वाले होंगे. इसी बात को ध्यान में रखते हुए उसने खुद एक अमीर महिला का रूप धर लिया और निकल पड़ी शिकार की तलाश में. इसी तलाश के बीच उसकी मुलाकात एक अमीर महिला से हुई. कमपम्मा ने उसे महिला को अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में फंसा लिया.
ऐसे किया था पहला कत्ल
इसके बाद कमपम्मा ने उस अमीर महिला को चिट फंड की स्कीम की जानकारी देने के नाम पर बेंगलुरु के बाहरी इलाके में मौजूद एक मंदिर में बुलाया. पहले वो उसे चिट फंड स्कीम के बारे में बताती रही और फिर इधर-उधर की बातों में लगाकर उसे प्रसाद में मिलाकर जहर दे दिया. जहरीला प्रसाद खाने के बाद महिला की वहीं मौत हो गई. इसके कमपम्मा ने उस महिला के सारे गहने उतार लिए और उसके पर्स में रखी सारी नकदी लेकर वहां से फरार हो गई.
साइनाइड देकर किया था कत्ल
कातिल कमपम्मा मौके से निकल चुकी थी. किसी ने वहां महिला की लाश देखकर पुलिस को खबर की. मंदिर में लाश की बात सुनकर आस-पास के लोगों की भीड़ भी वहां जमा हो चुकी थी. पुलिस मौके पर पहुंची और महिला के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए रवाना कर दिया. अब पुलिस रिपोर्ट का इंतजार कर रही थी. करीब 4 दिन बाद जब उस महिला की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को मिली तो अधिकारी हैरान रह गए. असल में उस महिला की मौत का सबब सबसे खतरनाक जहर था यानी साइनाइड. कमपम्मा ने उस महिला को साइनाइड दिया था.
सात साल तक अंडरग्राउंड थी कमपम्मा
इस कत्ल और लूट की संगीन वारवात को अंजाम देकर कमपम्मा अंडरग्राउंड हो चुकी थी. अगले सात सालों तक उसका कुछ अता-पता नहीं था. पुलिस के मुताबिक वो अपना नाम और पहचान बदलकर किसी अज्ञात जगह पर रहने लगी थी. इस दौरान उसने किसी ऐसी वारदात को अंजाम नहीं दिया, जिससे उसका पता चल सके या उसकी मौजूदगी जाहिर हो.
साल 2006 में दूसरी बड़ी वारदात
उस दिन पुलिस को सूचना मिली कि एक होटल के कमरे में किसी महिला की लाश पड़ी है. पुलिस फौरन होटल जा पहुंची. जहां एक कमरे में बेड पर महिला की लाश पड़ी थी. पुलिस को होटल के रजिस्टर से पता चला कि मरने वाली महिला का नाम नागवेणी था. वो एक अमीर महिला था. लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी. होटल के स्टाफ ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि नागवेणी किसी जयअम्मा नाम की अमीर महिला से मिलने के लिए वहां आई थी, जो संतान प्राप्ति के लिए मंदिर में विशेष पूजा पाठ कराने वाली थी. पुलिस ने कमरे की जांच पड़ताल के बाद लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए रवाना कर दिया.
नागवेणी को भी दिया गया था साइनाइड
अब पुलिस बेसब्री से नागवेणी की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही थी. जिससे ये खुलासा होने वाला था कि उसकी मौत कैसे हुई? जब नागवेणी की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई तो पुलिसवाले उसे देखकर दंग रह गए. क्योंकि नागवेणी की मौत भी साइनाइड जहर की वजह से हुई थी. बैंगलुरु पुलिस का ध्यान अब साइनाइड पर फोकस हो गया था. जब पुलिस ने इस मर्डर केस की तफ्तीश को आगे बढ़ाया तो जयअम्मा की हकीकत सामने आने लगी. पुलिस को पता चला कि जयअम्मा कोई और नहीं बल्कि सात साल पहले मंदिर में कत्ल करने वाली कमपम्मा ही थी.
सात महीनों में किए थे 6 मर्डर
लेकिन इस बार कहानी थोड़ी अलग थी. नागवेणी का मर्डर करने के बाद कमपम्मा अंडरग्राउंड नहीं हुई. बल्कि उसने अगले सात महीनों में एक बाद एक कत्ल और लूट की वारदातों को अंजाम देकर पुलिस की नींद उड़ा दी. पुलिस ने जो लाशें बरामद की उन सभी का कत्ल साइनाइड देकर ही किया गया था. इस बात की तस्दीक खुद पुलिस ने अदालत में दाखिल की गई केस डायरी में की. इसके बाद पुलिस इन सभी हत्याओं से जुड़े सबूत इकट्ठा करने में जुट गई थी.
ऐसे मिला कातिल का सुराग
पुलिस सभी हत्याओं की कड़ियों को जोड़ रही थी. कातिल की मॉडस ऑपरेंडी को स्टडी कर रही थी. इसके बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि साइनाइड देकर किए गए सभी कत्ल लूट के इरादे से अंजाम दिए गए थे और कातिल कोई शख्स नहीं बल्कि एक औरत है. अब पुलिस को उस गुमनाम कातिल महिला की तलाश थी, जो पुलिस के लिए चुनौती बन चुकी थी. एक ऐसी सीरियल किलर जिसे पुलिस हर हाल में पकड़ लेना चाहती थी.
मुखबिर की सूचना पर गिरफ्तारी
साल 2012 चल रहा था. पुलिस शिद्दत से कातिल महिला की तलाश में जुटी थी. तभी एक दिन किसी मुखबिर ने पुलिस को खबर दी कि सीरियल किलिंग से जुड़ी संदिग्ध महिला एक गहनों की दुकान पर जेवर बेचने के लिए पहुंची है. पुलिस ने बिना देर किए उस दुकान पर दबिश दी और उस महिला को गिरफ्तार कर लिया. असल में वो उस दुकान पर वो गहने बेचने आई थी, जो उसने पकड़े जाने से पहले बेंगलुरू में एक वारदात को अंजाम देकर लूटे थे.
कमपम्मा ने कबूला अपना जुर्म
पुलिस कमपम्मा की पहचान कर चुकी थी. उसकी करतूतें भी पुलिस अच्छे से जानती थी. लेकिन पुलिस इस बात की तस्दीक कर लेना चाहती थी कि वही सीरियल किलर है. लेकिन शुरु में तो कमपम्मा ने पुलिस को गुमराह करने की नाकाम कोशिश की. मगर जब पुलिस ने सख़्त रवैया अख्तियार किया तो उसने काला सच उगल दिया. अब वो अपने गुनाहों की कहानी सुना रही थी, और पुलिस खामोशी से उसका बयान सुन रही थी. हैरानी की बात ये थी कि उसे खुद नहीं पता था कि उसने कितने कत्ल किए और कितनी लूट.
आधा दर्जन कत्ल के मामलों का खुलासा
कमपम्मा के बयान और उससे मिले सुरागों की छानबीन के दौरान पुलिस ने आधा दर्जन कत्ल के मामलों की कड़ियां तो जोड़ लीं. लेकिन कई मामले ऐसे थे, जिनमें पुलिस लंबे समय तक सबूत और सुराग तलाशती रही. इस मामले का खुलासा होने के बाद कमपम्मा का नाम साइनाइड मलिका पड़ गया. केस डायरी हो या अदालती दस्तावेज सभी जगह उसका ये नाम दर्ज हो चुका था.
कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा
पुलिस ने कोर्ट में इस मामले की चार्जशीट दाखिल की. अदालत ने पूरे मामले को गंभीरता सुना और समझा. फिर अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि ऐसे सीरियल किलर को समाज में खुला छोड़ना बेहद खतरनाक हो सकता है. ऐसे अपराधी के लिए केवल एक ही सजा है, और वो है सजा-ए-मौत. अदालत का कहना था कि ऐसा सीरियल किलर इससे पहले कभी भारत में नहीं देखा गया.
कमपम्मा को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं
सीरियल किलर कमपम्मा ने कोर्ट में अपना गुनाह कबूल करते हुए कहा था कि उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं. हिंदुस्तान की सबसे ख़तरनाक सीरियल किलर कमपम्मा उर्फ साइनायड मलिका की कहानी उन दिन मीडिया की सुर्खियों में छा गई थी. इसके बाद साइनाइड मलिका की जिंदगी पर दो फिल्में बनी और खूब चर्चाओं में रही.