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बुराड़ी हत्याकांडः जानिए सबसे सनसनीखेज मर्डर की इनसाइड स्टोरी

तीन किश्त और छह क़त्ल. हाल के वक्त में दिल्ली की शायद ये सबसे खौफनाक वारदात है. इन छह कत्ल में से पांच को मारने के बाद कातिल उन्हें दो अलग-अलग जगहों पर दफनाता है. दोनों जगहों के बीच का फ़ासला करीब 90 किलोमीटर रखता है. कातिल के नफरत की इंतेहा देखिए कि आखिरी कत्ल करने के लिए पहले वो अपने शिकार को तिहाड़ जेल से बाहर निकालता है. इसके बाद वो छठा और आखिरी कत्ल करता है.

पुलिस ने इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी बंटी को गिरफ्तार कर लिया है पुलिस ने इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी बंटी को गिरफ्तार कर लिया है
परवेज़ सागर/शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2017,
  • अपडेटेड 4:27 PM IST

तीन किश्त और छह क़त्ल. हाल के वक्त में दिल्ली की शायद ये सबसे खौफनाक वारदात है. इन छह कत्ल में से पांच को मारने के बाद कातिल उन्हें दो अलग-अलग जगहों पर दफनाता है. दोनों जगहों के बीच का फ़ासला करीब 90 किलोमीटर रखता है. कातिल के नफरत की इंतेहा देखिए कि आखिरी कत्ल करने के लिए पहले वो अपने शिकार को तिहाड़ जेल से बाहर निकालता है. इसके बाद वो छठा और आखिरी कत्ल करता है.

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मां-बेटियों का कत्ल कर ज़मीन में गाड़ा
घर का मुखिया चौधरी मुनव्वर हसन तिहाड़ जेल के अंदर बंद था और जेल के बाहर दुश्मन की नज़र उसके घर पर थी. साज़िश और नफरत दोनों ही बेहद गहरी थी. जिसके चलते 21 अप्रैल, 2017 को मेरठ के दौराला में तिहाड़ जेल से करीब 90 किलोमीटर दूर दुश्मन ने पहला वार किया. एक ही वार में एक साथ तीन कत्ल किए गए. मां और उसकी दो जवान बेटियों का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया. कत्ल के बाद तीनों लाशें दौराला इलाके में ही गाड़ दी गईं. किसी को इस बात की कानों-कान ख़बर भी नहीं हुई.

बेटों को कत्ल कर घर में ही दफ्न किया
मेरठ में मां और दो बेटियों की मौत बाद दिल्ली के बुराड़ी में अब भी परिवार में तीन और लोग ज़िंदा बचे थे. दो बेटे और घर का मुखिया. मगर घर का मुखिया तिहाड़ जेल में बंद था. जिसे जेल में घुस कर मारा नहीं जा सकता था. लिहाज़ा पहले दोनों बेटों को ठिकाने लगाने की साजिश रची गई. दोनों बेटे कातिल के साथ खुशी-खुशी अपने घर से निकलते हैं और सिर्फ आधा किलोमीटर की दूरी पर जाते ही तभी उन्हें अहसास हो जाता है कि वो फंस चुके हैं. दोनों को एक खाली मकान में करीब 24 घंटे तक बंधक बना कर रखा जता है. इसके बाद उनका भी वही अंजाम होता है जो उनकी मां और बहनों का हुआ था. 22 अप्रैल, 2017 को दोनों बेटों का कत्ल कर उन्हीं के घर में गाड़ दिया जाता है. अब तक पांच कत्ल हो चुके थे. अब बस आखिरी कत्ल होना बाकी था.

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पेरोल पर जेल से बाहर आया परिवार का मुखिया
बात 17 मई, 2017 की है. बुराड़ी के जिस परिवार के पांच लोग मौत की नींद सुला दिए गए, उस परिवार का मुखिया चौधरी मुनव्वर हसन जेल में बंद था. बाहर के दुश्मन के बारे में उसे कुछ पता नहीं था. पर जैसे ही उसे पता चला कि उसकी बीवी, दो बेटे और दो बेटियां यानी पूरा परिवार महीने भर से गायब हैं, तो उसे कुछ शक हुआ. और इसी बिनाह पर अदालत ने उसे पेरोल पर रिहा कर दिया ताकि वो अपने परिवार को ढूंढ सके. इस काम में उसके पार्टनर बंटी ने उसकी मदद की.

घर में घुसकर परिवार के मुखिया की हत्या
20 मई 2017 का दिन था. मुनव्वर अपने परिवार को तलाश रहा था. पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी. थाने से लौटकर वह बुराड़ी में मौजूद अपने घर की पहली मंजिल पर था. उसे जेल से बाहर आए हुए केवल तीन दिन ही हुए थे. तभी अचानक उसके घर में गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी. दरअसल, सुबह-सुबह वही दुश्मन वही सीरियल किलर मुनव्वर के घर में घुस आया और उसने मुनव्वर को गोली मार दी. इस तरह तीन किश्तों में एक परिवार के छह लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता है. पर क्यों? आखिर इस परिवार से उस शख्स की क्या दुश्मनी थी?

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दोस्त ही निकला दुश्मन!
इस क़ातिल की गिरफ्तारी के बाद हाल के दिनों के इस सबसे सनसनीखेज मर्डर मिस्ट्री की परतें जब खुलनी शुरू हुई, तो हर कोई चौंक उठा. दो दोस्तों के बीच दुश्मनी की ये कहानी ऐसा खूनी रंग दिखाएगी सोचना भी मुश्किल है. मुनव्वर का एक दोस्त ही था, जिसने उसकी पीठ में खंजर घोंपा था. आइए अब आपको सिलसिलेवार पूरी वारदात बताते हैं.

राजनीति के अलावा प्रॉपर्टी का काम करता था मुनव्वर
एक-एक कर हुए इन छह क़त्ल का आख़िरी शिकार और तिहाड़ से पेरोल पर बाहर आया शख्स कोई और नहीं, बल्कि दिल्ली का एक बीएसपी नेता चौधरी मुनव्वर हसन था, जो दिल्ली के ही बादली इलाक़े से पार्टी के टिकट पर 2015 का विधान सभा चुनाव लड़ चुका था. हसन राजनीति के अलावा प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता था और इस काम में बंटी नामक एक शख्स उसका पार्टनर था. जब से हसन का परिवार गायब था, खुद जेल में बंद हसन जितना परेशान था, जेल के बाहर उसका दोस्त बंटी भी उतना ही परेशान था. इसी बंटी ने वकील की मदद से हसन को पेरोल पर जेल से बाहर निकलवाया था.

बंटी ही निकला पूरे परिवार का कातिल
हैरानी की बात ये थी कि हसन के क़त्ल के 48 घंटे गुज़रते-गुज़रते दिल्ली पुलिस ने हसन के उसी दोस्त बंटी को गिरफ्तार कर लिया. जी हां, पुलिस की मानें तो ये बंटी ही था, जिसने पहले हसन के परिवार को एक-एक कर मौत के घाट उतारा औऱ फिर आखिर में खुद हसन को पेरोल पर जेल से आजाद करा कर उसे भी मार डाला. इस काम को अंजाम देने के लिए बंटी ने खौफनाक साजिश रची थी.

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हर कत्ल के लिए 50 हजार की सुपारी!
तीन लाख रुपये और छह लोगों के कत्ल की सुपारी. यानी हर कत्ल के लिए 50 हजार रुपये. मुनव्वर के बेटे और बेटियों की उम्र 16 से 20 साल थी. अब सवाल ये है कि अगर बंटी की दुश्मनी मुनव्वर से थी तो उसके बीवी-बच्चों को क्यों मारा? तो पुलिस की मानें तो रंजिश ही ऐसी थी कि बंटी किसी को भी बख्शने को तैयार नहीं था. इसीलिए उसने किश्तों में पूरे परिवार का सफाया कर दिया.

प्रॉपर्टी का विवाद था दुश्मनी की वजह
एक ही परिवार के छह लोगों का कत्ल और कातिल एक. आखिर कातिल की मकतूल या उसके परिवार से ऐसी क्या दुश्मनी थी? शुरूआती जांच नतीजों पर यकीन करें तो इस कत्ल के पीछे 44 प्रॉपर्टी का झगड़ा था. वो 44 जायदाद जो विवादित थीं और जिन पर मुनव्वर हसन और उसके पार्टनर बंटी का बराबर का हिस्सा था. यानी 22-22 प्रॉपर्टी दोनों के हिस्से आनी थीं. मगर मुनव्वर हसन शायद वादे से पलट गया. यहीं से शुरू होती है दो दोस्तों की दुश्मनी.

ऐसे हुए सिलसिलेवार कत्ल!
इस दुश्मनी के तहत पहली किश्त में तीन कत्ल किए गए. 21 अप्रैल की सुबह बंटी, मुनव्वर हसन की बीवी इशरत और दो बेटियों को अपने साथ मेरठ ले जाता है. जहां इशरत की बहन रहती है. मगर अगले रोज मेरठ के नजदीक ही वो इशरत और उसकी दो बेटियों 18 साल की आरज़ू और 17 साल की अर्शी का क़त्ल कर देता है. कत्ल के बाद तीनों लाशें मेरठ के ही दौराला इलाक़े में दफ़ना देता है. इसके बाद मेरठ से लौट कर बंटी दिल्ली आता है और मुनव्वर हसन के दोनों बेटों 20 साल के आकिब 19 साल के साकिब को अपने पास बुलाता है. फिर 22 अप्रैल को बुराड़ी के खाली पड़े मकान में उन दोनों का भी कत्ल कर लाश वहीं दफना देता है.

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जेल से बाहर लाकर मारी गोली
इस वारदात के दौरान खुद मुनव्वर हसन रेप के एक इलजाम में तिहाड़ जेल में बंद था. लिहाजा उसे परिवार की गुमशुदगी की खबर नहीं लगी. बाद में उसे ये खबर किसी और ने नहीं बल्कि खुद बंटी ने ही दी. इसके बाद बंटी ने ही उसके जेल से बाहर आने का इंतजाम कराया. क्य़ोंकि वो चाहता था कि मुनव्वर जेल से बाहर आए. 17 मई को मुनव्वर को जेल से बाहर निकलवाने के बाद अगले दिन बंटी खुद उसके साथ बुराड़ी थाने गया और वहां परिवार की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई. लेकिन फिर दो दिन बाद ही 20 मई को किसी ने मुनव्वर के घर में घुस कर उसे गोली मार दी.

पुलिस के रडार पर था बंटी
इस मामले का शातिर आरोपी बंटी शायद इतनी जल्दी पकड़ा नहीं जाता. लेकिन मुनव्वर के रिश्तेदारों को बंटी की हरकतों पर शक था. फिर क़त्ल से ऐन पहले मुनव्वर के पड़ोसियों ने उसे उसके घर आते हुए देखा था. यहां तक कि 20 मई की सुबह मुनव्वर के क़त्ल के बाद पुलिस को पहला फ़ोन करने वाला भी खुद बंटी ही था. ऐसे में बंटी अब पुलिस की रडार पर आ चुका था. इसी शक की बिनाह पर जब पुलिस ने बंटी को पकड़ा तो उसने सारा सच उगल दिया. पुलिस के मुताबिक बंटी ने मुनव्वर के परिवार के सफाए के लिए किराए के कातिलों को तीन लाख रुपए की सुपारी दी थी. अब पुलिस को शक है कि मुनव्वर को रेप के इलजाम में फंसाने वाला भी शाय़द बंटी ही था.

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बंटी की निशानदेही पर शव बरामद
बंटी के बयान के आधार पर पुलिस की एक टीम मेरठ के लिए रवाना की गई. जहां से उसकी निशानदेही पर पुलिस ने मुनव्वर की पत्नी और दोनों बेटियों की लाशें बरामद कर ली हैं. इसके साथ ही पुलिस ने मुनव्वर के दोनों बेटों के शव भी उसके घर से बरामद कर लिए हैं.

 

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