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नकाबपोश हमलावर, जिस्म में 34 गोलियां, एक चश्मदीद और एक CCTV फुटेज... निज्जर की हत्या के वो सबूत जो कनाडा के पास हैं

Nijjar Murder Case: भूपेंदर सिंह निज्जर की हत्या का पहला चश्मदीद था. वो निज्जर के ट्रक को पहचानता था. उसने ड्राइवर साइड से ट्रक का दरवाजा खोला, तो पाया कि निज्जर लहूलुहान ड्राइवर सीट पर लुढ़का हुआ है. उसने निज्जर के कंधे को झकझोरा. लेकिन तब तक निज्जर मर चुका था.

निज्जर की हत्या के बाद कनाडा और भारत के बीच तनाव बढ़ गया है निज्जर की हत्या के बाद कनाडा और भारत के बीच तनाव बढ़ गया है
सुप्रतिम बनर्जी/परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:56 PM IST

कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर का कत्ल हो जाने के बाद वहां की पुलिस को इस वारदात की इत्तिला दी गई थी. लेकिन बावजूद इसके रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस वहां देरी से पहुंची. इतना ही नहीं मौके पर पहुंचने के बाद रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस और सर्रे पुलिस के बीच अगले एक घंटे तक इस बात पर बहस होती रही कि आखिर इस कत्ल के मामले की जांच कौन करेगा? अमेरिका के प्रख्यात अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने निज्जर मर्डर केस को लेकर कई अहम खुलासे किए हैं. जिसने सभी को हैरान कर दिया है.

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18 जून 2023, रात 8 बजकर 20 मिनट
ठीक उसी वक्त ब्रिटिश कोलंबिया के सर्रे में गुरु नानक देव गुरुद्वारे का प्रेसिडेंट हरदीप सिंह निज्जर अपना काम खत्म करने के बाद गुरुद्वारे की पार्किंग में खड़े ट्रक में बैठता है. इस ट्रक के बराबर में पहले से ही एक सिल्वर कलर की एक सिडान खड़ी थी. निज्जर जैसे ही ट्रक स्टार्ट करता है, सिडान तेजी से ट्रक के ठीक आगे आकर ट्रक का रास्ता रोक लेती है. इससे पहले कि निज्जर कुछ समझ पाता, तभी ट्रक के दांये और बांये से पार्किंग में पहले से मौजूद दो शख्स तेजी से ट्रक की तरफ बढते हैं और बिल्कुल करीब से डाइवर सीट पर बैठे शख्स पर अंधाधुंध गोलियां चलाना शुरू कर देते हैं. दोनों निज्जर पर कुल 90 राउंड फायरिंग करते हैं. जिनमें से 34 गोलियां निज्जर को लगती हैं. 

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निज्जर को लगी थीं 34 गोलियां
गोली मारने के बाद दोनों हमलावर तेजी से पैदल ही गेट की तरफ भागते हैं. अब तक सिल्वर कलर की सिडान कार भी गेट से बाहर निकल चुकी थी. दोनों हमलावर बाहर निकल कर उसी सिडान कार में बैठ जाते हैं, जिनमें पहले से ही तीन और लोग बैठे हुए थे. जिस वक्त ये गोलीबारी हो रही थी, उस वक्त निज्जर के ट्रक से मुश्किल से लगभग सौ मीटर की दूरी पर इसी गुरुद्वारे का एक सेवक भूपेंदर सिंह फुटबॉल खेल रहा था. पहले उसे लगा कि शायद कोई पटाखा छोड़ रहा है. लेकिन फिर उसे अहसास हुआ कि ये गोली की आवाज है. भूपेंदर सिंह निज्जर की हत्या का पहला चश्मदीद था. वो निज्जर के ट्रक को पहचानता था. उसने ड्राइवर साइड से ट्रक का दरवाजा खोला, तो पाया कि निज्जर लहूलुहान ड्राइवर सीट पर लुढ़का हुआ है. उसने निज्जर के कंधे को झकझोरा. लेकिन तब तक निज्जर मर चुका था. 

चश्मदीद के सामने भाग निकले हमलावर
गुरुद्वारा कमेटी का एक और सदस्य मलकीत सिंह भी उस वक्त उसी गुरुद्वारा कैंपस में फुटबॉल खेल रहा था. गोली की आवाज सुन कर भूपेंदर की तरह वो भी पार्किंग में पहुंचा. उसने देखा कि दो लोग जिन्होंने हुडी पहन रखी थी और चेहरे पर मास्क था, वो पार्क की गेट की तरफ दौड़ रहे हैं. दोनों की वेशभूषा सिख वाली थी. मलकीत ने देखा कि दोनों के हाथों में पिस्टल हैं और वो तेजी से बाहर सड़क पर निकल कर वहां खड़ी सिल्वर कलर की एक सिडान कार में बैठ जाते हैं. मलकीत के मुताबिक एक हमलावर कार में बैठने से पहले बाकायदा पिस्टल का मुंह उसकी तरफ कर उसे एक तरह से पीछा ना करने की धमकी देता है. इसके बाद कार वहां से भाग जाती है.

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कत्ल के बाद मौके पर पहुंची RCMP और सर्रे पुलिस 
अब तक इलाके में ख़बर फैल चुकी थी कि किसी ने निज्जर पर जानलेवा हमला किया है. गुरुद्वारे का केयर टेकर चरणजीत सिंह भी अब मौके पर था. अब वही ट्रक में निज्जर की बॉडी के साथ बैठा था. रात के ठीक 8 बजकर 27 मिनट हुए थे. ठीक इसी वक्त रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस को पहली बार फोन पर निज्जर पर हुए हमले की जानकारी दी गई. चश्मदीदों के मुताबिक फोन पर खबर दिए जाने के 12 से 20 मिनट के बाद पहली बार आरसीएमपी यानी रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस की टीम मौका-ए-वारदात पर पहुंची. इसके कुछ देर बाद लोकल सर्रे पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी. 

जांच को लेकर बहस
चश्मदीद भूपेंदरजीत सिंह के मुताबिक वो तब हैरान रह गया, जब उसने देखा कि मौके पर पहुंचने के बावजूद जांच करने की बजाय रॉयल कैनेडियन पुलिस और सर्रे पुलिस अगले एक घंटे तक इसी बात पर बहस करती रही कि इलाके के हिसाब से ये केस किसका है? और कौन इसकी जांच करेगा? घंटे भर की लड़ाई के बाद किसी सीनियर अफसर के बीच में आने के बाद ये तय हुआ कि मामले की जांच रॉयल कैनेडियन पुलिस करेगी. 

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एक महीने बाद भी नहीं मिला कातिलों का सुराग
जांच के दौरान पुलिस को गुरुद्वारा की पार्किंग एरिया से 90 सेकंड का एक सीसीटीवी फुटेज मिला. इस फुटेज में सिल्वर कलर की सिडान कार और वो दोनों हमलावर भी नजर आए, जिन्होंने निज्जर पर हमला किया था. गुरुद्वारे के तमाम सेवक और कर्ता धर्ता के अलावा निज्जर के परिवार वालों को भी दोनों हमलावरों की तस्वीरें दिखाई गईं, लेकिन कोई भी दोनों की शिनाख्त नहीं कर पाया. बाद में निज्जर के ट्रक से एक ट्रैकिंग डिवाइस भी मिला. जो उसके ट्रक के पहिए में लगा था. रॉयल कैनेडियन पुलिस ने अगले एक महीने तक निज्जर के कत्ल की हर पहलू से जांच की. लेकिन कोई सुराग़ नहीं मिला. करीब महीने भर बाद 21 जुलाई को मजबूरन रॉयल कैनेडियन पुलिस को दोनों हमलावरों की पहचान और सिल्वर 2008 टोयरा कैमरी कार और उसके ड्राइवर के बारे में लोगों से मदद मांगने के लिए अपील करनी पड़ी. 

जांच में RCMP की लापरवाही
रॉयल कैनेडियन पुलिस की जांच पर शुरू से ही सवाल उठ रहे थे. जिस गुरुद्वारे की पार्किंग एरिया में निज्जर की हत्या हुई, जिस गेट से हमलावर सिडान कार में भागे, उसके आस-पास बहुत सारे घर, दफ्तर हैं. लेकिन कैनेडियन पुलिस ने उन लोगों से कभी कोई पूछताछ नहीं की. वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्टर ने 39 ऐसे लोगों से बात की, जो जिनके घर या दफ्तर ठीक उस सड़क के आमने-सामने थी, जहां से हमलावर सिडान में भागे थे. इन तमाम लोगों का कहना था कि आज तक रॉयल कैनेडियन पुलिस ने इस हमले को लेकर उनसे कोई पूछताछ नहीं की. 

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बुलेटप्रूफ कार और जैकेट लेना चाहता था निज्जर
गुरुद्वारे और निज्जर के परिवार वालों का कहना है कि निज्जर की सुरक्षा के लिए उन लोगों ने ऑथोरिटी से सुरक्षा की मांग की थी. लेकिन निज्जर को कभी सुरक्षा नहीं दी गई. निज्जर के एक रिश्तेदार के मुताबिक खतरे को देखते हुए निज्जर अपने लिए बुलेटप्रूफ कार लेना चाहता था. लेकिन ब्रिटिश कोलंबिया में आम लोगों के लिए बुलेटप्रूफ कार के इस्तेमाल पर रोक है. निज्जर खुद के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट भी लेना चाहता था. लेकिन ब्रिटिश कोलंबिया में इसकी इजाजत भी नहीं है.

जस्टिन ट्रुडो ने संसद में दिया बयान
अगस्त के आखिरी हफ्ते तक रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस के हाथ निज्जर के कत्ल या कत्ल की साजिश से जुड़ा कोई सबूत नहीं लगा था. लेकिन सितंबर आते ही अचानक कैनेडियन प्राइम मिनिस्टर जस्टिन ट्रुडो 18 सितंबर को पार्लियामेंट में बयान देते हैं कि निज्जर के कत्ल के पीछे भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ का हाथ है. ये बयान तब आता है, जब ट्रुडो जी-20 में हिस्सा लेने के बाद नई दिल्ली से तीन दिन पहले ही कनाडा लौटे थे. कनाडा में जी-20 के दौरान बाकी नेताओं के मुकाबले में ट्रुडो को कम अहमियत दिए जाने का मुद्दा वहां की मीडिया और विपक्षी पार्टियों ने जोर-शोर से उठाया था. 

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फाइव आइज से मिले थे कुछ सुराग!
अब सवाल ये है कि दो महीने तक कैनेडियन पुलिस जब कोई सबूत नहीं जुटा पाई, तो अचानक ट्रुडो ने निज्जर की हत्या के लिए भारतीय एजेंसियों को कैसे जिम्मेदार ठहराया दिया? अमेरिकी मीडिया के मुताबिक निज्जर के कत्ल के बाद फाइव आइज को कुछ सुराग मिले थे. ये सुराग फोन कॉल की शक्ल में थे, जो इंटरसेप्ट किया जा रहा था. और इसी के बाद फाइव आइज में शामिल पांच देशों में से अमेरिका ने ही सबसे पहले कनाडा को भारतीय एजेंसियों के बारे में जानकारी दी. अमेरिका से मिली जानकारी के बाद ट्रुडो ने फाइव आइज में शामिल देशों से कहा कि वो इस मुद्दे को प्रधानमंत्री मोदी के सामने रखने में उनकी मदद करें. 

PM मोदी के सामने उठाया था मुद्दा
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने जी-20 समिट के दौरान पीएम मोदी से द्विपक्षीय मुलाकात में निज्जर की हत्या का मुद्दा उठाया था, खुद जस्टिन ट्रुडो ने भी ये दावा किया कि उन्होंने पीएम मोदी के साथ इस मुद्दे पर बात की थी. हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक जस्टिन ट्रुडो या कनाडा ने अभी तक निज्जर की हत्या से जुड़ा एक भी सबूत भारत से साझा नहीं किया है. 

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NIA ने खोली थी निज्जर की पोल
खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर का क्रिमिनल रिकॉर्ड अपने-आप में काफी कुछ बयान करता है. एनआईए ने निज्जर के कत्ल के महीने भर बाद यानी जुलाई में खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ जो चार्जशीट दाखिल की थी, उसमें उसने निज्जर को ना सिर्फ एक ग्लोबल टेररिस्ट करार दिया था, बल्कि ये भी बताया था कि किस तरह अर्शदीप डल्ला, लखबीर सिंह लांडा और हरिंदर सिंह रिंदा जैसे लोगों के साथ मिलकर ये विदेशी धरती से भारत में खालिस्तान की सोच को हवा देने की कोशिश कर रहा है.

भारतीय गैंगस्टर्स के साथ खालिस्तानियों का कनेक्शन
एनआईए की मानें तो ये लोग मिल कर बाकायदा विदेश से ऐसी टेरर कंपनी चला रहे थे, जिसका काम ही भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देना था और चूंकि इनका कनेक्शन भारतीय गैंगस्टर्स से भी है, तो इस काम के लिए गैंगस्टर्स का इस्तेमाल कर रहे थे. एनआईए ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि निज्जर के साथ अर्श डल्ला और उसके बाकी साथी भारत में टार्गेट किलिंग, टेरर फाइनेंसिंग, ड्रग्स और हथियारों की स्मगलिंग का काम कर रहे थे. ये भारतीय नौजवानों को अच्छी नौकरी, मोटी रकम और विदेश में बसने का मौका दिलाने का झांसा दे कर ऐसे गैर कानूनी कामों के लिए तैयार करते थे. 

पंजाब में दहशत फैलाने की साजिश
एनआईए की चार्जशीट में निज्जर की टेरर कंपनी का पूरा कच्चा-चिट्ठा दर्ज है. इसमें लिखा है कि किस तरह से निज्जर और डल्ला ने लवप्रीत उर्फ रवि, राम सिंह उर्फ सोना, गगनदीप सिंह उर्फ गग्गा और और कमजीत शर्मा उर्फ कमल को कनाडा का वीजा दिलवाया. वहां नौकरी का झांसा दिया और फिर पंजाब में दहशत फैलाने की सुपारी दी. 

आतंकी निज्जर की कुंडली
हरदीप सिंह निज्जर 1997 में फर्जी पहचान के सहारे कनाडा पहुंचा था. उसने खुद को शरणार्थी बताया लेकिन उसका दावा झूठा निकला. उसके दस्तावेज भी फर्जी पाए गए. फिर उसने एक कैनेडियन महिला से शादी कर ली. महिला ने उसके इमीग्रेशन के लिए अर्जी दिलवाई लेकिन कनाडा सरकार ने तब इसे समझौते की शादी कह कर अर्जी रद्द कर दी. उसे कनाडा ने अपनी नो फ्लाई लिस्ट में डाल रखा था. इंटरपोल की ओर से उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था. क्योंकि वो कनिष्क बम कांड के मुख्य दोषी रिपुदम सिंह का करीबी था. भारत में तो खैर उसके खिलाफ अपराध और आतंक के मामले पहले से ही थे.

निज्जर के बाद अर्शदीप डल्ला आतंकी घोषित
एनआईए की चार्जशीट में लिखा है कि निज्जर और डल्ला अपने लोगों को टारगेट की डिटेल्स भेजते थे, उन्हें हथियार मुहैया करवाते थे और हवाला के जरिए उन्हें पैसे भी दिलाते थे. निज्जर का तो खैर पहले से ही एक घोषित आतंकवादी था. जिसका कत्ल हो गया. लेकिन डल्ला की हरकतों को देखते हुए सरकार ने उसे भी आतंकी घोषित कर दिया था. 

कनाडा में राजनीतिक बवाल
उधर, निज्जर की हत्या को लेकर भारत पर लगाए आरोपों के बीच कनाडा में अलग बवाल छिड़ा हुआ है. विपक्षी दलों ने ट्रुडो की खिंचाई शुरू कर ही दी है, ब्रिटिश कोलंबिया के प्रीमियर डेविड एबी ने भी कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो पर जानकारी छिपाने का इल्जाम लगाया है. डेविड एबी ने कहा कि ट्रुडो ने भारत पर जो इल्जाम लगाए, उसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई. ये खबर सार्वजनिक होने से महज एक घंटे पहले उन्हें मिली. एबी ने एक टीवी चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि ट्रुडो को चाहिए था कि वो ऐसे मामलों में राज्यों के साथ भी खुफिया जानकारी साझा करें.

कनाडा और भारत के बीच बढ़ता तनाव
जस्टिन ट्रुडो ने पिछले दिनों निज्जर को कनाडाई नागरिक बताते हुए उसकी हत्या में भारतीय एजेंट्स का हाथ बताया था. इसके बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया था. इसके जवाब में भारत ने भी नई दिल्ली में कनाडा के राजनयिक को निष्कासित कर दिया था. साथ ही भारत ने कनाडा के लोगों के लिए वीजा सर्विस भी सस्पेंड कर दी. इतना ही नहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया था कि कनाडा की ओर से भारत को कोई भी कथित सबूत नहीं सौंपे गए हैं. इसके साथ ही विदेश मंत्रालय ने बताया था कि भारत की ओर से कनाडा में बढ़ रहीं खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर जानकारी दी गई, लेकिन कनाडा की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई.

(मनीषा झा के साथ आजतक ब्यूरो)

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