
एसटीएफ (STF) ने शनिवार को चित्रकूट (Chitrakoot) में, साढ़े 5 लाख के इनामी डकैत गौरी यादव (Dacoit Gauri Yadav) को मार गिराया है. गौरी यादव पर उत्तर प्रदेश से 5 लाख और मध्य प्रदेश से 50 हज़ार का इनाम घोषित था. उसके खिलाफ 60 से ज्यादा मामले दर्ज थे. मारे गए डकैत के पास से एक एके-47, एक 12 बोर की बंदूक और सैकड़ों जिंदा कारतूस बरामद हुए हैं.
उत्तर प्रदेश से डकैतों का पूरी तरह सफाया
करीब 20 सालों की मशक्कत के बाद बुंदेलखंड के पाठा के जंगलों से डकैतों का नामो-निशान मिटा दिया गया है. यूपी एसटीएफ ने अकेले बचे दस्यु सरगना गौरी यादव को चित्रकूट के बहिलपुरवा में हुई मुठभेड़ में मार गिराया. 90 के दशक में गौरी यादव पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने 5 लाख और मध्य प्रदेश पुलिस ने 50,000 का इनाम घोषित कर रखा था. गौरी यादव के मारे जाने के बाद, कहा जा रहा है कि यूपी एसटीएफ ने प्रदेश से आतंक का पर्याय बने डकैतों का पूरी तरह से सफाया कर दिया है.
कभी यूपी पुलिस का मुखबिर हुआ करता था गौरी यादव
1992 में चित्रकूट के बहिलपुरवा में तैनात एक इंस्पेक्टर ने, उस समय के सबसे खूंखार डकैत ददुआ की टोह लेने के लिए गौरी यादव को अपना मुखबिर बनाया था. मुखबिर बनकर डकैतों के संपर्क में आए गौरी यादव को अपराध और बीहड़ ऐसे रास आए कि वह खुद ही डकैत बन गया और पुलिस को चुनौती देने लगा.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुखबिरी के लिए जो गौरी यादव को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी थी. गौरी यादव उसी ट्रेनिंग का फायदा उठाकर खुद को बचाया करता था. यही वजह थी कि गौरी यादव ददुआ निर्भय ठोकिया और बबली कोल के मारे जाने के बाद भी पुलिस के लिए सिरदर्द बना रहा. पप्पू यादव उर्फ़ पप्पू कालिंजर की गैंग से गौरी यादव ने बीहड़ों में अपनी सक्रियता बढ़ाई. पप्पू कालिंजर के गैंगवार में मारे जाने के बाद, गौरी यादव ने ही गिरोह पर कब्जा कर लिया था.
भाग निकलने में माहिर था गौरी
साल 2007 में यूपी एसटीएफ की जंगल टीम ने गौरी यादव को एक एसएलआर के साथ गिरफ्तार भी किया था, लेकिन शातिर दिमाग गौरी पेशी के दौरान फरार हो गया. हाल ही में मारे गए डकैत बबली कोल के बाद से, गौरी यादव ने पाठा के जंगलों का ठिकाना छोड़कर सपना के नया गांव को अपना नया ठिकाना बनाया था.
गौरी यादव ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में काम करने वाले तमाम ठेकेदारों से वसूली और अपहरण जैसी जघन्य घटनाओं को अंजाम दिया. इन इलाकों में गौरी यादव आतंका का अकेला पर्याय बन गया था. बीते एक साल में यूपी एसटीएफ ने गौरी यादव को दबोचने के लिए कई सर्च ऑपरेशन चलाए, लेकिन गौरी यादव हाथ नहीं आया.
मुखबिर की सूचना पर एडीजी ने खुद किया ऑपरेशन लीड
मिली जानकारी के अनुसार यूपी एसटीएफ की टीमें लगातार गौरी यादव की तलाश में चित्रकूट में डेरा डाले थीं. तीन दिन पहले यूपी एसटीएफ को सर्विलांस और मुखबिर से सूचना मिली कि गौरी यादव अपने गांव बहिलपुरवा आने वाला है. इसी सटीक सूचना पर एक ऑपरेशन का प्लान तैयार किया गया. गौरी यादव इस बार भी भाग न पाए, इसके लिए खुद एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश ने इस ऑपरेशन को लीड करने का फैसला किया और चित्रकूट में डेरा जमाया. इसका नतीजा ये था शनिवार तड़के, गौरी शंकर यादव को मार गिराया गया.
गौरी यादव के मारे जाने के बाद से बीते कई दशकों से उत्तर प्रदेश के जिन बीहड़ों में कभी डकैतों की तूती बोलती थी, बीहड़ों से निकला फरमान राजनैतिक ताकत को बढ़ाता और घटाता था, उस बीहड़ को पूरी तरह शांत कर दिया गया है.
इनपुट- संतोष कुमार