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टिल्लू ताजपुरिया की तरह कई गैंगस्टर्स का हुआ खात्मा, लेकिन तिहाड़ से अब भी चलता है क्राइम का साम्राज्य

देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में पहले गैंगस्टर प्रिंस तेवतिया को मौत के घाट उतार दिया गया और अब गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की जेल में हत्या कर दी गई. असल में दिल्ली में कई ऐसे गैंग सक्रिय हैं, जो एक साथ मिलकर काम करते हैं. इनके दो गठजोड़ बन चुके हैं.

तिहाड़ जेल में कई ऐसे गैंगस्टर हैं, जो वहीं से अपना गैंग ऑपरेट करते हैं तिहाड़ जेल में कई ऐसे गैंगस्टर हैं, जो वहीं से अपना गैंग ऑपरेट करते हैं
अरविंद ओझा/तनसीम हैदर/परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2023,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST

दिल्ली में माफिया गैंगस्टर कितने ताकतवर और बेखौफ हैं, इसकी बानगी पिछले 19 दिनों में देखने को मिली. देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में पहले गैंगस्टर प्रिंस तेवतिया को मौत के घाट उतार दिया गया और अब गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की जेल में हत्या कर दी गई. असल में दिल्ली में कई ऐसे गैंग सक्रिय हैं, जो एक साथ मिलकर काम करते हैं. इनके दो गठजोड़ बन चुके हैं, जो दिल्ली और आस-पास के राज्यों में ऑपरेट करते हैं और इनके सरगना जेल में रहते हुए भी अपना क्राइम सिंडिकेट चलाते हैं.

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चलिए पहले आपको बताते हैं, इन शातिर अपराधियों के गठजोड़ के बारे में, दिल्ली पुलिस के रिकॉर्ड में गैंग्स का गठजोड़ कुछ इस तरह से दर्ज है. पहले ग्रुप में ये शातिर गैंगस्टर और इनके गैंग एक साथ हैं-

1- लॉरेंस बिश्नोई गैंग
2- संदीप काला जठेड़ी गैंग
3- जितेंद्र गोगी गैंग
4- राजस्थान का आनंदपाल (लेडी डॉन अनुराधा गैंग)
5- सुब्बे गुर्जर गैंग

इस गठजोड़ के सामने दूसरा गठजोड़ दिल्ली में काम करता है. जिसमें इसी तरह से कई शातिर गैंगस्टर और उनके गैंग शामिल हैं. जिनमें कई कुख्यात बदमशों के नाम सामने आते हैं-

1- बंबिहा गैंग
2- नीरज सेहरावत@नीरज बवानिया गैंग
3- सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया गैंग
4- संदीप ढिल्लू गैंग
5- हरियाणा का कौशल जाट गैंग

ये दिल्ली के वो दस मेन गैंग हैं, जो आमने-सामने हैं. यही वजह है कि पुलिस और एजेंसियां इन्हीं गैंग पर ज्यादा फोकस करती हैं. कई छोटे-बड़े गैंग इन्हीं गैंग से हाथ मिलाकर आपसी दुश्मनी निकालते हैं और अपना क्राइम सिंडिकेट चलाते हैं. खास बात ये है कि इनमें से ज्यादातर गैंगस्टर जेल के अंदर हैं. 

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हालांकि लेडी डॉन अनुराधा जमानत पर बाहर है और वह गैंगस्टर काला जठेड़ी से शादी कर चुकी है. गैंगस्टर देवेंद्र बंबिहा एनकाउंटर में मारा जा चुका है, अब अजरबैजान में बैठा लकी पटियाल उसका गैंग चलाता है. कुख्यात बदमाश लॉरेंस बिश्नोई जेल में है, वो जेल से ऑपरेट करता है. उसका गैंग कनाडा में बैठा गोल्डी बराड़ और अमेरिका में बैठा उसका भाई अनमोल बिश्नोई चलाता है.

गैंगस्टर्स पर NIA का शिकंजा
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कुछ माह पहले दिल्ली के लॉरेंस बिश्नोई और नीरज बवाना समेत दस गैंगस्टर का एक डॉजियर तैयार किया था. साथ ही एनआईए ने इनके खिलाफ केस भी दर्ज किए थे. दरअसल, एजेंसी दिल्ली-एनसीआर में सक्रीय गैंग और सिंडिकेट का सफाया करना चाहती है. ऐसे में हम आपको उन 7 बड़े गैंग और गैंगस्टर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी वजह से राजधानी के लोग त्रस्त रहते हैं.

गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया 
ये गैंगस्टर आउटर दिल्ली और हरियाणा में ऑपरेट करता था. टिल्लू ताजपुरिया का नाम जुर्म की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुका था. दरअसल, ये वही गैंगस्टर था, जिसने मंडोली जेल में रहते हुए, 24 सितंबर 2021 को रोहिणी कोर्ट में अपने दो शूटर भेजकर कुख्यात गैंगस्टर जितेंद्र गोगी को भरी अदालत में हत्या करवा दी थी. उसके शूटर रोहिणी की कोर्ट नंबर 207 में वकील की ड्रेस में पहुंचे थे और मौका देखकर कोर्ट रूम के अंदर ही पेशी पर आए गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने जवाबी कार्रवाई में दोनों शूटरों को एनकाउंटर में मार गिराया था.

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असल में गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी और टिल्लू ताजपुरिया गैंग के बीच गैंगवार जारी थी. इसी के चलते गोगी गैंग के सदस्यों और कुख्यात अपराधी प्रवेश ने मिलकर टिल्लू ताजपुरिया गैंग के बदमाश पवन का मर्डर कर दिया था. इस क़त्ल का बदला लेने के लिए ही टिल्लू ताजपुरिया ने अपने गैंग के सदस्य अक्षय को जिम्मेदारी सौंपी थी. अक्षय ने अपने साथियों के साथ मिलकर टिल्लू के हुक्म को पूरा किया और गैंगस्टर गोगी को भरी अदालत में मार डाला था.

गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी का जानी दुश्मन गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया किसी भी तरह से कम नहीं था. वह तिहाड़ जेल में बन्द रह कर भी कुख्यात बदमाश नवीन बाली, कौशल और गैंगस्टर नीरज बवानिया के साथ मिलकर गैंग ऑपरेट करता था.

गैंगस्टर जितेंद्र गोगी गैंग
पिछले साल तक गैंगस्टर जितेंद्र गोगी का गैंग लोनी, आउटर दिल्ली और हरियाणा में ऑपरेट कर रहा था. लेकिन 24 सितंबर 2021 को रोहिणी कोर्ट में टिल्लू ताजपुरिया के दो शूटरों ने कुख्यात गैंगस्टर जितेंद्र गोगी को भरी अदालत में गोलियों से भून डाला था.  जितेंद्र गोगी दिल्ली के अलीपुर गांव का रहने वाला था. वह 15 से ज्यादा संगीन वारदातों को अंजाम दे चुका था. जितेंद्र गोगी ने साल 2009 में अपराध की दुनिया मे कदम रखा था. क्राइम की दुनिया में कार चोरी से अपना करियर शुरू करने वाले जितेंद्र गोगी ने जल्द ही हथियार थाम लिए और लूट की वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया. 

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साल 2016 में जितेंद्र गोगी हरियाणा के बहादुरगढ़ में पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था और उस पर 2.5 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था. लेकिन बाद में 32 साल के इस मोस्ट वांटेड गैंगस्टर को दिल्ली पुलिस धरदबोचा था. 24 सितंबर की दोपहर रोहिणी की कोर्ट नंबर 207 में वकील की ड्रेस में आए दो शूटरों ने मौका देखकर कोर्ट रूम के अंदर ही पेशी पर आए गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. हालांकि सुरक्षाकर्मियों की जवाबी कार्रवाई में दोनों शूटर भी मौके पर ही मारे गए थे. 

टिल्लू ताजपुरिया ने अपने गैंग के बदमाश पवन की हत्या का बदला लेने के लिए गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी का मर्डर कराया था. पवन की मौत के बाद से ही टिल्लू ताजपुरिया का गैंग जितेंद्र उर्फ गोगी को ठिकाने लगाने की कोशिश करता आ रहा था. लेकिन उसे कामयाबी पिछले साल सितंबर में मिली. कुख्यात गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी अपराध की दुनिया में नाम कमा चुके शातिर अपराधी लॉरेंस बिश्नोई, संपत नेहरा और गैंगस्टर काला जठेड़ी के साथ मिलकर गैंग चला रहा था. 

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई 
इस गैंगस्टर के गुर्गे पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, और राजस्थान में सक्रिय हैं. इसका गैंग कनाडा और दुबई से भी ऑपरेट करता है. सिद्धू मेसूवाला की हत्या में जब से गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का नाम आया है, तब से हर कोई उसके बारे में सबकुछ जानना चाहता है. आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे क़ि लॉरेंस की इस क्राइम कंपनी में सब कुछ डिजिटल है. ये एक वर्चुअल संसार जैसा नज़र आता है. इस गैंग से जुड़े करीब 1000 लोग, जिसमें शार्प शूटर्स, बदमाश, करीयर, सप्लायर, रेकी पर्सन, लॉजिस्टिक स्पॉट बॉय, शेल्टर मेन सोशल मीडिया विग के सदस्य शामिल हैं. इस गैंग के टारगेट वर्चुअल नंबरों से ऑडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए तय किए जाते हैं. 

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लारेंस इस क्राइम कंपनी में मास्टर ब्रेन है तो गोल्डी बरार कंपनी की रीढ़ की हड्डी है. लारेंस का भांजा सचिन बिश्नोई कंपनी का भर्ती सेल और टारगेट प्लान का प्रमुख है, जो इस वक्त फरार है. जबकि ऑस्ट्रिया से अनमोल और कनाडा से विक्रम बराड़ कंपनी की फाइनेंस डील को संभालते हैं. इस क्राइम कंपनी में हर टारगेट से जुड़ा शख्स केवल अपने आगे वाले एक शख्स को जानता है. इसके अलावा एक ऑपरेशन में जितने भी बंदे गैंग से जुड़े होते हैं, उन्हें बाकी गैंग मेम्बर के बारे में कोई भी जानकारी नही रहती. 

बकायदा एक फुलप्रूफ़ प्लानिंग के मुताबिक गैंग के सदस्यों को अलग-अलग काम सौंपे जाते हैं. यानी रेकी कौन करेगा, पनाह कौन देगा? गाड़ियां कौन सप्लाई करेगा? हथियार कौन मुहैया कराएगा? क़त्ल के बाद किस तरफ किधर भागना है, और सबसे बड़ा सवाल कि फंडिंग कैसे होगी, इसे भी क्राइम मास्टर ही तय करते हैं. किलिंग के वक्त मौजूद गैंग मेम्बर भी अक्सर एक दूसरे को नहीं जानते ताकि पकड़े जाने पर गैंग के बाक़ी सदस्यों पर आंच ना आ सके. 

इस पूरी साज़िश का ताना बाना सिंग्नल एए के जरिये होता है जहां बिना सिम के वर्चुअल नंबरों, इंटनरेट के नंबरों से कंपनी की सारी डील्स, सारे प्लान, पूरा ऑपरेशन और टारगेट फिक्स होते हैं. क्राइम मीटिंग में केवल निर्देश अधिकतर गैंगस्टर सचिन देता है जिसे आगे गैंग मेंबर फॉलो करते हैं. अपना हिस्सा लेते हैं औऱ फिर अगले काम मे जुट जाते हैं. लारेंस के गैंग में 1000 के करीब गैंगस्टर बदमाश और सक्रिय शॉर्प शूटर्स देश विदेश में मौजूद हैं. 

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तिहाड़ जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई अपने गैंग को कुछ इस तरह चलाता है जैसे शायद कोई कभी बाहर रह कर न चला पता. सूत्रों की माने तो इस गैंग में करीब 700 से ज़्यादा शूटर्स हैं जो लॉरेंस के एक इशारे पर किसी को भी मारने निकल पड़ते हैं. ये सब शूटर्स दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैले हैं. इस गैंग का हवाला का पैसा ब्रिटेन और दुबई में भी लगा होने की जानकरियां मिली हैं. फिरौती के लिए अपहरण, क़त्ल, जबरन उगाही इस गैंग का पैसे कमाने का मुख्य जरिया है. 31 साल के लॉरेन्स पर 65 से ज़्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. वो एक बार पुलिस हिरासत से फ़रार भी हो चुका है.

गैंगस्टर नीरज बवानिया
ये गैंगस्टर नजफगढ़ यानी आउटर दिल्ली में गैंग चलाता है. करीब 16 साल पहले नीरज बवाना ने अपराध की दुनिया कदम रखा था. इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. दिल्ली एनसीआर में गैंगस्टर नीरज बवाना का नाम किसी खौफ से कम नहीं है. नीरज दिल्ली के बवाना गांव का रहने वाला है. वो अपने सरनेम की जगह अपने गांव का नाम लगाता है. जुर्म की दुनिया में इसी नाम से उसे जाना जाता है. नीरज के खिलाफ हत्या, लूट और जान से मारने की धमकी जैसे कई संगीन मामले दिल्ली और अन्य राज्यों में दर्ज हैं. नीरज बवाना इस वक्त दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. 

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बताया जाता है कि नीरज जेल में रहकर ही अपना गैंग चला रहा है. वहां बैठकर भी वो वारदातों को अंजाम देता है. दिल्ली और आस-पास के इलाकों में नीरज बवाना और दूसरे गैंग आमने-सामने आते रहते हैं. जेल में बंद नीरज के गुर्गे बीच सड़क पर खून बहाने से नहीं डरते. दुश्मन गैंग के लोगों को मारने से भी उन्हें कोई गुरेज नहीं है. दिल्ली के बाहरी इलाके में कई छोटे-मोटे गैंग सक्रिय रहे हैं. लेकिन नीरज बवाना का गैंग इस वक्त दिल्ली का सबसे बड़ा गैंग माना जाता है.

नीरज भले ही तिहाड़ जेल में बंद है, लेकिन नीरज के गुर्गे जेल के बाहर उसके एक इशारे पर कोई भी वारदात को अंजाम दे सकते हैं.जरायम की दुनिया में उसका सिक्का चलता है. नीरज बवाना गैंग के दुश्मनों की भी कमी नहीं है. कभी उसका साथी रह चुका सुरेन्द्र मलिक उर्फ नीतू दाबोदा ही नीरज का सबसे बड़ा दुश्मन था. लेकिन नीरज ने उसके गैंग के खास बदमाशों को मार डाला. 24 अक्टूबर 2013 को दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में नीतू दाबोदा भी स्पेशल सेल के साथ मुठभेड़ में मारा गया. इसके बाद नीरज बवाना और मजबूत होता चला गया. 

हालांकि इनकी दुश्मनी के दौरान दोनों गैंग के करीब एक दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए. नीतू दाबोदा के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उसके गैंग की कमान पारस उर्फ गोल्डी और प्रदीप उर्फ भोला ने संभाली थी. अप्रैल 2014 में रोहिणी कोर्ट परिसर में नीरज ने प्रदीप भोला की पेशी के दौरान हत्या का प्लान भी बनाया था. लेकिन वो नाकाम हो गया था. 25 अगस्त 2015 में पुलिस नीरज बवाना को कोर्ट से जेल वापस लेकर जा रही थी. जेल वैन में नीरज के साथ नीतू गैंग के पारस और प्रदीप भी मौजूद थे. उसी वैन में ही नीरज ने अपने साथियों के साथ मिलकर पारस और प्रदीप को मार डाला था. अप्रैल 2017 में उसने रोहिणी जेल के बाहर नीतू गैंग के बदमाश राजेश धुरमूट को भी मरवा दिया था. अब नीतू गैंग की कमान राजेश बवानिया के पास है, जो खुद भी जेल में बंद है. अब नीरज उसे अपना दुश्मन मानता है.

गैंगस्टर काला जठेड़ी 
यह शातिर गैंगस्टर हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और मुंबई में ऑपरेट करता है. दिल्ली के चर्चित सागर धनखड़ हत्याकांड के बाद कुख्यात गैंगस्टर काला काला जठेड़ी का नाम चर्चाओं में आया था. दरअसल, पहलवान सागर धनखड़ के साथ हमले के वक्त मौजूद सोनू महाल गैंगस्टर काला जठेड़ी का रिश्तेदार है. सात लाख के इनामी बदमाश काला जठेड़ी को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है. ये वही काला जठेड़ी है, जिससे रेसलर सुशील कुमार ने खुद को जान का खतरा बताया था. 

काला जठेड़ी का असली नाम संदीप उर्फ काला है. वह हरियाणा सोनीपत का रहने वाला है. उसके नाम के साथ जठेड़ी कब जुड़ गया ये तो पुलिस भी नहीं जानती. हालांकि पुलिस के पास उसकी और उसके गुर्गों की करतूतों की एक लंबी फेहरिस्त है. बताया जाता है कि काला जठेड़ी कभी दुबई तो कभी मलेशिया में बैठकर हिंदुस्तान में अपना गैंग ऑपरेट कर रहा था. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक कुछ साल पहले काला जठेड़ी की दोस्ती कुछ बदमाशों से हो गई थी. उस दौरान उसके खर्चे भी बढ़ गए थे. अपने खर्चे पूरे करने के लिए उसने अपने मां बाप से पैसों की मांग की, लेकिन फिर भी उसके खर्चे पूरे नहीं हुए. 

इसके बाद उसने झपटमारी का काम शुरू कर दिया. काला जठेड़ी के खिलाफ दिल्ली में पहला मुकदमा 29 सितंबर 2004 को दर्ज हुआ था. उस दिन जठेड़ी अपने साथियों के साथ सिरसपुर इलाके में एक शख्स का मोबाइल छीन कर भाग रहा था लेकिन पुलिस ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले में काला जठेड़ी के खिलाफ दिल्ली के समयपुर बादली में पहली एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन एक बार जेल से छूटने के बाद काला जठेड़ी ने एक के बाद एक कई वारदातों को अंजाम दिया. 

शुरुआत में काला जठेड़ी झपटमारी, लूटपाट और हत्या की कोशिश जैसी वारदातों को अंजाम दिया करता था, लेकिन देखते ही देखते जठेड़ी ने अपनी गैंग बना लिया और जबरन उगाही करने के साथ-साथ, वो विवादित संपत्तियों में दखल देने लगा. काला जठेड़ी पर दिल्ली पुलिस ने एक लाख का इनाम रखा था. लेकिन वो इतना कुख्यात बन गया कि हरियाणा पुलिस ने काला जठेड़ी की गिरफ्तारी पर सात लाख का इनाम घोषित किया हुआ था. सागर हत्याकांड के बाद रेसलर सुशील कुमार ने सोनू महाल के मामा गैंगस्टर जठेड़ी काला को फोन भी किया था.

जानकारी के मुताबिक काला जठेड़ी लॉरेंस बिश्नोई गैंग का भी मुखिया बना हुआ था और दिल्ली के अलावा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने काले कारनामों को अंजाम दे रहा था. काला जठेड़ी और लॉरेंस बिश्नोई की मुलाकात नजफगढ़ के रहने वाले एक शख्स ने कराई थी और उसके बाद से ही काला जठेड़ी लॉरेंस बिश्नोई गैंग का कामकाज संभालने लगा था. काला जठेड़ी की गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता थी. 

गौरतलब है कि गैंगस्टर काला जठेड़ी, फरवरी 2020 में फरीदाबाद से पुलिस हिरासत के दौरान फरार हो गया था. तब पुलिस के हत्थे चढ़े एक बदमाश नितीश कुमार ने पूछताछ में बताया था कि काला जठेड़ी हरियाणा में ही छुपा हुआ है. उसने दूसरे गैंग और पुलिस को गुमराह करने के लिए यह अफवाह खुद फैलाई कि वो विदेश में रहकर अपना गैंग चला रहा है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक कनाडा में लॉरेंस गैंग के गोल्डी बरार और सतिंदर ने ठिकाना बना रखा है. जबकि ऑस्ट्रीया में लॉरेंस का भाई अनमोल बैठा है. टारगेट जेल में बैठकर लॉरेंस तय करता है. फिर वो पहला कमांड संपत नेहरा को देता है. उसके बाद विदेश में बैठे उसके भाई और गैंगस्टर फ़ोन कर लोगों को धमकी देते हैं. 

दविंदर बंबीहा गैंग (गौरव पटियाल उर्फ लकी) 
यह गैंग पंजाब और अरमेनिया में ऑपरेट करता है. जिसका सरगना था दविंदर बंबीहा. उसका असली नाम दविंदर सिंह सिद्धू था. उसका जन्म मोगा जिले के बंबिहा गांव में हुआ था. जुर्म की दुनिया में आने से पहले वह एक लोकप्रिय कबड्डी खिलाड़ी हुआ करता था. साल 2010 में, जब वह कॉलेज में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था, तब उसका नाम एक क़त्ल के मामले में आ गया था. यह वारदात उसके गांव में दो समूहों में हाथापाई के बीच हुई थी. हत्या के उस मामले में उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. वहीं जेल में वह कई गैंगस्टरों के संपर्क में आ गया और फिर एक शार्प शूटर के तौर पर उसने अपनी पहचान बना ली. 

9 सितंबर, 2016 को बठिंडा जिले के रामपुरा के पास गिलकलां में 26 वर्षीय दविंदर बंबीहा को पंजाब पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया था. इसके बाद उसके गैंग की कमान गौरव पटियाल उर्फ लकी ने संभाल ली. लकी धनास चंडीगढ़ का रहने वाला है. वो पंजाब का बड़ा है, जो पहले क़त्ल, क़त्ल की कोशिश और रंगदारी जैसे मामलों के चलते जेल में बंद था. लेकिन जेस से बाहर आने के बाद वो भारत छोड़कर अरमेनिया भाग गया था. जबकि उसका साथी गैंगस्टर सुखप्रीत सिंह बुडाह अभी भी संगरूर जेल में बंद हैं. 

जालंधर में अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी संदीप नांगल अंबिया की हत्या को भी बंबिहा गैंग ने ही अंजाम दिया था. इस गैंग ने दिल्ली हरियाणा के गैंगस्टर और लॉरन्स के धुर विरोधी सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया व नीरज बवाना गिरोह से हाथ मिला कर दिल्ली-एनसीआर में अपना नेटवर्क मजबूत कर लिया. बताया जाता है की लकी पाटियाल गैंग में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 300 से ज़्यादा शूटर शामिल हैं. 

लकी कई सालों से अरमेनिया में बैठकर गिरोह चला रहा है. पंजाब पुलिस चार सालों से उसका प्रत्यर्पण भारत कराने की कोशिश कर रही है. इसी दौरान दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलीजेंस ने कई राज्यों में छापा मारकर कुख्यात गैंगस्टर लकी पटियाल और कौशल गिरोह के 12 कुख्यात बदमाशों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार बदमाशों में आठ पर दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान पुलिस ने इनाम घोषित कर रखा है.

गैंगस्टर हाशिम बाबा
यह गैंगस्टर दिल्ली में ऑपरेट करता है. 12 नवंबर 2020 को लूट, हत्या और रंगदारी के कई मामलों में फरार चल रहे दिल्ली के गैंगस्टर हाशिम बाबा को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार कर लिया था. दिल्ली के इस टॉप मोस्ट गैंगस्टर के जुर्म की दुनिया में आने से लेकर गिरफ्तार होने तक की कहानी भी किसी फिल्म से कम नहीं है. हाशिम बाबा का असली नाम आसिम है. दिल्ली के यमुनापार इलाके में सबसे पहले उसने गैंबलिंग का धंधा शुरू किया था. आसिम संजय दत्त की तरह बड़े-बड़े बाल रखता था. संजय दत्त स्टाइल में फोटो खिंचवाता और धीरे-धीरे आसिम अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम और दाऊद इब्राहिम की तरह बड़ा डॉन बनने का सपना देखने लगा और यमुनापार में फैले नासिर गैंग में शामिल हो गया था. अब वो सलाखों के पीछे है.

इन सात बड़े गैंगस्टरों समेत मंजीत महाल गैंग, सतेंद्र उर्फ भिंडारा गैंग को मिलाकर कुल 30 से ज्यादा खतरनाक गैंग राजधानी दिल्ली में सक्रिय हैं. मंजीत महाल, नीरज बवानिया, संदीप उर्फ टिल्लू, इरफान उर्फ छेनू पहलवान, अब्दुल नासिर, हाशिम बाबा और सत्यप्रकाश उर्फ सत्ते समेत कई बड़े गैंगस्टर तिहाड़ जेल में सलाखों के पीछे बंद हैं.

 

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