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पहले माफिया, फिर बाहुबली और अब रेपिस्ट, पूर्वांचल में साम्राज्य स्थापित करने वाले विजय मिश्रा की कहानी

Former MLA Vijay Mishra: यूपी के भदोही जिले में ज्ञानपुर सीट से चार बार विधायक रहे विजय मिश्रा को एक रेप केस में 15 साल की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही दस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. साल 2020 में विजय मिश्रा के खिलाफ एक महिला गायिका ने रेप का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था.

चार बार विधायक रहे विजय मिश्रा को एक रेप केस में 15 साल की सजा सुनाई गई है. चार बार विधायक रहे विजय मिश्रा को एक रेप केस में 15 साल की सजा सुनाई गई है.
मुकेश कुमार गजेंद्र
  • नई दिल्ली,
  • 05 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:05 PM IST

कहा जाता है कि अपराधियों की कोई जाति या धर्म नहीं होता है. बुरे कर्म ही उनकी पहचान होते हैं. अपने काले कारनामों को छिपाने के लिए वो भले ही सफेदपोश हो जाएं, किसी पार्टी से चुनाव लड़कर सांसद या विधायक बन जाएं, लेकिन उनकी करतूत कम नहीं होती है. एक दिन उनके कुकर्म उनके सामने आ ही जाते हैं. उसके बाद उनकी गर्दन कानून के लंबे हाथों में होती है. प्रयागराज के माफिया अतीक अहमद से लेकर गाजीपुर के बाहुबली मुख्तार अंसारी तक, आज हर गैंगस्टर की दुर्गति उनके कुकर्मों की कहानी बयां करती है. इसी कड़ी में भदोही के माफिया विजय मिश्रा का नाम भी प्रमुख है. ज्ञानपुर सीट से चार बार विधायक रहे विजय मिश्रा को एक रेप केस में दोषी करार देते हुए 15 साल की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही दस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. 

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साल 2020 में पूर्व विधायक विजय मिश्रा के खिलाफ एक महिला गायिका ने रेप का केस दर्ज कराया था. उसने अपनी शिकायत में कहा था कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान विजय मिश्रा ने उसे अपनी बेटी के चुनाव प्रचार के लिए बुलाया था. 1 जनवरी 2014 को वो परफॉर्मेंस के लिए अपने कपड़े बदल रही थी. उसी वक्त पूर्व विधायक उसके कमरे में चले आए. उन्होंने हथियारों के बल पर उसे अपनी हवस का शिकार बनाया. इसके बाद अपने बेटे विष्णु और पोते ज्योति मिश्रा को उसे वाराणसी छोड़ने के लिए भेजा. रास्ते में उन दोनों ने भी उसके साथ रेप किया था. इसके बाद तो एक सिलसिला जैसा शुरू हो गया. विजय मिश्रा उसे अलग-अलग जगहों पर बुलाकर रेप करने लगे. विरोध करने पर ब्लैकमेल किया करते थे. 6 साल बाद तंग होकर उसने केस दर्ज कराया था.

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भदोही के गोपीगंज थाने में विजय मिश्रा के खिलाफ आईपीसी की धारा 376डी, 342 और 506 के तहत केस दर्ज था. इस केस की सुनवाई के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें दोषी करार देते हुए 15 साल की कठोर करावास की सजा सुनाई है. हालांकि, उनके बेटे और पोते को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है. उनके बेटे विष्णु मिश्रा के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत भी केस दर्ज है, ऐसे में उसके जेल से बाहर आने की संभावनाएं कम हैं. पिछले साल ही यूपी पुलिस ने उसके पेट्रोल पंप पर छापा मारा था, जहां से हथियारों का बड़ा जखीरा मिला था. इतना ही नहीं वहां से एक-47 भी बरामद किया गया था. फिलहाल आगरा जेल में बंद विजय मिश्रा के खिलाफ 83 केस दर्ज हैं. इनमें अभी तक केवल तीन मामलों में ही सजा हुई है, जबकि उनके खिलाफ दर्ज 14 केस विचाराधीन हैं. 

अपहरण, रेप, हत्या से लेकर गैंगस्टर, वसूली और धोखाधड़ी का केस

विजय मिश्रा के खिलाफ जो केस दर्ज किए गए हैं, उनमें हत्या के 9, हत्या के प्रयास के 8, रेप के 2, गैंगस्टर के 3, जालसाली के 4, शस्त्र अधिनियम के 7, धमकी के 9, रासुका के 1, खनन के 1, भ्रष्टाचार के 1, अपहरण के 2, जबरन वसूली के 6, एससी/एसटी के 1, गुंडा के 3 और अन्य मामलों में 26 केस हैं. सबसे ज्यादा केस भदोही में 50 दर्ज किए गए हैं. वहीं प्रयागराज में 27, मिर्जापुर में 3, वाराणसी में 1, मेरठ में 1, वेस्ट बंगाल में 1 केस दर्ज है. इन आंकड़ों को देखकर उनकी करतूतों का अंदाजा लगाया जा सकता है. वो यूपी से लेकर वेस्ट बंगाल तक आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया करते थे. उनको आर्म्स एक्ट में भी दो बार सजा हो चुकी है. इसमें पहला बार 2022 में 2 साल की सजा हुई थी, जबकि दूसरी बार इसी साल मार्च में 5 साल की सजा और 10 हजार का जुर्माना हुआ था. 

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भदोही की डी-12 गैंग के बारे में जानिए, जिसके लीडर हैं विजय मिश्रा 

भदोही पुलिस ने विजय मिश्रा के गैंग को 'डी-12' के नाम से दर्ज किया है. पुलिस के मुताबिक, गैंग के सदस्य संगठित होकर अपराध करता है. इसके लीडर पूर्व विधायक विजय मिश्रा हैं. इसमें उनके बेटे विष्णु मिश्रा, भतीजे ब्लाक प्रमुख मनीष मिश्रा, उनके करीबी गिरधारी प्रसाद पाठक, विकास मिश्रा, हनुमान सेवक पांडे, सतीश मिश्रा और सुरेश केसरवानी मौजूद हैं. इन सबके खिलाफ गोपीगंज कोतवाली में गैंगस्टर ऐक्ट के तहत केस दर्ज है. इनके आपराधिक इतिहास, सक्रियता और सतत निगरानी के दृष्टिगत उनके विरुद्ध अंतर्जनपदीय गैंग (डी-12) पंजीकृत किया गया है. पुलिस इस गैंग के सदस्यों के नाम से बैंक में जमा पैसों और अन्य चल-अचल संपत्ति कुर्क कर रही है. जिलाधिकारी के आदेश पर अलग-अलग खातों में जमा इनके 1 करोड़ 28 लाख 88 हजार 900 रुपए हाल ही में जब्त की गई है. 

तेज-तर्रार स्वभाव, मजबूत कदकाठी, शातिर दिमाग ने बनाया दबंग 

विजय मिश्रा का साम्राज्य पूरे पूर्वांचल में फैला हुआ था. इनमें भदोही, मिर्जापुर, प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक में उनके काले कारनामें होते थे. उनके कारनामों का केंद्र भले ही भदोही में था, लेकिन जन्म प्रयागराज जिले के हंडिया थाने में स्थि खपटिया गांव में हुआ था. परिवार की आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी. लेकिन तेज-तर्रार स्वभाव, मजबूत कदकाठी और शातिर दिमाग होने की वजह से लोगों के बीच अच्छी पैठ थी. नौकरी की तलाश में वो भदोही चले आए. यहां एक कालीन व्यापारी के वहां वसूली करने की नौकरी करने लगे. वो लोगों को ऐसे धमकाते थे कि तुरंत पैसा देने वाले चले आते. वसूली का काम करते-करते वो कालीन व्यापारियों के बीच मशहूर हो गए. उस समय पूर्वांचल में ठाकुर बनाम ब्राह्मण की लड़ाई चरम पर थी. दोनों जातियों के अपने-अपने नेता बन गए थे.

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जरायम की दुनिया में स्थापित होकर शुरू किया राजनीतिक सफर 

उस समय पूर्वांचल में गोरखपुर के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी का नाम मशहूर था, लेकिन भदोही और बनारस तक उनकी पहुंच नहीं थी. इसी का फायदा उठाकर विजय मिश्रा ने ब्राह्मणों के बीच अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी. उस समय में भदोही के बाहुबली उदयभान सिंह उर्फ डॉक्टर सिंह से त्रस्त ब्राह्मणों ने विजय को अपना नेता मान लिया. इधर, उन्होंने कांग्रेस नेता कमलापति त्रिपाठी से अपने संबंध मजबूत कर लिए. उनके जरिए राजीव गांधी तक से अपने रिश्ते बना लिए. इस तरह दांव-पेंच खेलकर वो पहली बार ज्ञानपुर के डीघ से ब्लाक प्रमुख चुने लिए गए. इस तरह जरायम की दुनिया में खुद को स्थापित करने के साथ ही उन्होंने अपना राजनीति सफर शुरू कर दिया. साल 2000 में उनकी मुलाकात सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह से हुई थी. मुलायम उनकी ताकत जानते थे.

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1 बार जिला पंचायत अध्यक्ष, 4 बार विधायक रहे हैं विजय मिश्रा

मुलायम सिंह यादव ने विजय मिश्रा को ज्ञानपुर के तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष शिव करण यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कहा, क्योंकि शिव करण ने लोगों के बीच में उनको अपशब्द कह दिया था. तैयार हो जाने पर मुलायम ने उसको जिला पंचायत अध्यक्ष के तीन टिकट दे दिए. मुलायम का भरोसा कायम रखते हुए उसने ज्ञानपुर, भदोही और मिर्जापुर, तीनों सीट जीत लिया. यह से उसका राजनीतिक कद तेजी से बढ़ने लगा. अब उसने समाजवादी पार्टी से विधायक के टिकट की मांग शुरू कर दी. साल 2005 में अपनी पत्नी रामलली मिश्रा को जिला पंचायती सौंप कर साल 2002 में सपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ गया. पहली बार में ही विधायक बन गया. इसके बाद सपा से 2007 और 2012 (जेल में रहते हुए), तो निषाद पार्टी से साल 2017 में विधायक बना था. 

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तेज मेमोरी, अच्छे रिश्ते, पूजा-पाठ के साथ यज्ञ के लिए मशहूर

बाहुबली से रेपिस्ट करार हुए पूर्व विधायक विजय मिश्रा के बारे में कुछ अच्छी बातें भी कही जाती हैं. बताया जाता है कि उनकी मेमोरी बहुत तेज है. उनको एक हजार से ज्यादा लोगों के मोबाइल नंबर याद हैं. वो चेहरा देखकर किसी को बता देते हैं कि वो किसी गांव का है, किसका बेटा है. अपने बाहुबल की वजह से वो लोगों की समस्याएं आसानी से सुलझा देते थे. जमीन, प्रॉपर्टी आदि के झगड़ों में लोग उनको मध्यस्थ बनाया करते थे. लोगों के साथ मीडिया से भी उनके रिश्ते बहुत अच्छे थे. ज्यादातर स्थानीय पत्रकारों की राय उनके बारे में अच्छी है. इसके साथ ही उनको बहुत धार्मिक भी बताया जाता है. नवरात्र में होने वाले उनके कार्यक्रम मशहूर थे. वो नौ दिनों के व्रत के बाद एक बड़ा यज्ञ करते थे. इसके बाद 40 से 50 हजार लोगों को भोजन कराया जाता था. इसमें क्षेत्र के लोग शामिल होते थे. 

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