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EXCLUSIVE: अफीम, असलहे, आतंक और सियासत के कॉकटेल में पिस रहा है मालदा

मालदा के खेतों में अवैध रूप से अफीम की खेती हो रही है. आप को जानकर हैरानी होगी कि अफीम की खेती एक या दो बीघों में नहीं बल्कि अस्सी हजार बीघे में की जा रही है. इससे तीन हजार करोड़ से भी ज्यादा की काली कमाई होती है. जाहिर सी बात है कि करोड़ों की काली कमाई है, तो इसमें अपराधियों की बड़ी जमात भी होगी. इसकी कमाई के लिए लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं.

पश्चिम बंगाल के मालदा में हुई थी हिंसा पश्चिम बंगाल के मालदा में हुई थी हिंसा
मुकेश कुमार
  • मालदा ,
  • 28 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 4:07 PM IST

पश्चिम बंगाल का मालदा कभी आम के लिए मशहूर हुआ करता था. वहां बड़े पैमाने पर चावल की खेती की जाती थी. लेकिन अब इस मालदा की तस्वीर बदल गई है. अब यहां अपराधियों और माफियायाओं का बोलबाला है. अब यहां बात-बात पर हिंसा होती है. मालदा हिंसा पर आज तक ने तहकीकात की कि आखिर आखिर वहां ऐसा क्यों हो रहा है. ऐसा क्या हो रहा है जिस पर सुरक्षा एजेंसियों को ध्यान देना बेहद जरुरी है.

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मालदा के खेतों में अवैध रूप से अफीम की खेती हो रही है. आप को जानकर हैरानी होगी कि अफीम की खेती एक या दो बीघों में नहीं बल्कि अस्सी हजार बीघे में की जा रही है. इससे तीन हजार करोड़ से भी ज्यादा की काली कमाई होती है. जाहिर सी बात है कि करोड़ों की काली कमाई है, तो इसमें अपराधियों की बड़ी जमात भी होगी. इसकी कमाई के लिए लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं.

इसका सबसे बड़ा उदाहरण 3 जनवरी 2016 को कालिया चक में हुई घटना है. इसमें पुलिस की मौजूदगी में थाने को ही फूंक दिया. दंगाईयों ने जो कहर बरपाया उससे पूरे राज्य में सनसनी फैल गई. पुलिस-प्रशासन भी इनके सामने लाचार हो गया. दंगाईयों के सामने जो आया वही उनका शिकार हो गया. इन लोगों ने जमकर उत्पात मचाया. पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो थाने को ही फूंक दिया.

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थाने में मौजूद सारे क्रिमिनल रेकॉर्ड तक जला डाले. पुलिस को अपनी जान बचाकर वहां से भागना पड़ा. 4 घंटे तक दंगाईयों ने जमकर उत्पात मचाया. कई लोग घायल हो गए. इसके बाद दंगाई खुद ही वहां से चले गए. पुलिस मूकदर्शक की तरह सिर्फ उस नजारे को देखती रही. मीठे आमों का शहर मालदा अब दहशत में है. यहां आये दिन हो रहे वारदात की वजह जानने के लिए आजतक की खुफिया टीम मालदा पहुंची.

आजतक की टीम की पड़ताल में जो सच सामने आया वो बेहद चौंकाने वाला है. आज हम आपको ऐसी हकीकत बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. मालदा में हिंसा की आग अभी बुझी भी नहीं थी कि सियासत सुलगने लगी. किसी ने घटना को सांप्रदायिक रंग दिया तो किसी ने कहा कि BSF और लोगों के बीच तनाव ने हिंसा का रुप धारण कर लिया. लेकिन सियासत के बीच कई सवाल सुलग रहे थे.

क्या वाकई मालदा की हिंसा सांप्रदायिक थी? या BSF और स्थानीय लोगों के बीच तनाव की वजह से हिंसा हुई थी? अचानक कहां से आई थी डेढ़ लाख लोगों की भीड़? हथियार लेकर लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन के लिए क्यों उतरे थे? क्या पुलिस को डेढ लाख लोगों के इकट्ठा होने की सूचना थी? यदि, पुलिस को भीड़ की जानकारी थी तो मुक्कमल तैयारी क्यों नहीं की गई? राज्य सरकार पूरे मामले की लीपापोती करने में क्यों जुटी रही?

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इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए खुफिया कैमरे से लैस होकर निकल पड़ी आजतक की टीम और सबसे पहले उसी थाने में पहुंची जिसे भीड़ ने 3 जनवरी को आग के हवाले कर दिया था. जिले के एडिशनल एसपी अभिषेक मोदी थाने में ही मौजूद थे. हमने पूछा कि हिंसा को रोकने में नाकाम क्यों रही पुलिस. हमने पूछा कि क्या पुलिस को भीड़ के बारे में खुफिया जानकारी नहीं थी. पढिए, एएसपी ने क्या जवाब दिया.

एएसपी मालदा अभिषेक मोदी से बातचीत
रिपोर्टर- लोकल इंटेलिजेंस से नहीं पता चला कि भीड़ ज्यादा हो रही है.
एएसपी मालदा- इतनी भीड़ आ जाएगी, तो पता ही नहीं चला. पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था.

रिपोर्टर- तो क्या आप लोकल इंटेलिजेंस में फेल हो गए?
एएसपी मालदा- हां...ये तो हो ही सकता है. आतंकी हमला होता है तो भी ऐसा ही बोलते हैं.

एडिशनल एसपी के मुताबिक यदि वक्त रहते पुलिस को सही खुफिया जानकारी मिल जाती तो शायद इतनी बड़ी हिंसा नहीं होती. लेकिन दूसरी तरफ डीआईबी के मुताबिक घटना के दो दिन पहले ही पुलिस प्रशासन को इस बात की जानकारी दे दी गई थी कि इस इलाके में भारी भीड़ इकट्ठा होने वाली है. यहां बड़ी वारदात हो सकती है. घटना के बाद कालियाचक थाने की सूरत बदल दी गई, लेकिन जो हुआ वो बेहद खौफनाक था.

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डीआईबी मिहिर लाल लस्कर से बातचीत
रिपोर्टर- दो दिन पहले इन लोगों ने बता दिया था कि हम लोग धरना कराने जा रहे हैं. इसकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट पुलिस को दिया गया था?
मिहिर लाल लस्क- हूं...हूं...वो तो देना ही है..बता दिया गया था.

रिपोर्टर- आपने बताया था कि इतनी संख्या में लोग वहां इकट्ठा होंगे.
मिहिर लाल लस्कर- हां...हां...बता दिया था.
रिपोर्टर- अच्छा

एएसआई रामचंद्र साहा से बातचीत
रिपोर्टर- उस दिन जो दंगा हुआ तो उसमें क्या दंगाई हथियार लेकर आये थे?
राम चंद्र साहा- हां...लाए थे और फायर भी कर रहे थे.
रिपोर्टर-
अच्छा
रामचंद्र साहा- वे लोग बम भी फेंक रहे थे.
रिपोर्टर- अरे बाबा.
रामचंद्र साहा- उन लोगों ने हम लोगों पर हमला किया. हमने भी फायर किया, लेकिन सीएमओ ने रोक लगा रखा था.
रिपोर्टर- तो ऊपर से आदेश था कि फायर नहीं करना.?
रामचंद्र साहा- हां, ऐसा ही था. लेकिन हम लोग अनऑफिसियली किया था. वरना बचना मुश्किल था.

मालदा में इतनी बड़ी तादाद में अवैध हथियार मौजूद हैं कि जितने पुलिस के पास भी नहीं. असलहों की बदौलत इस जिले में माफिया और अपराधियों की अपनी सरकार चल रही है. यहां नकली नोट और अवैध हथियारों की फसल लहलहा रही है. यह अब अपराधियों का गढ़ बन चुका है. यहां देश का कानून काम नहीं करता. अपराधियों की अपनी सरकार है. अपराधियों का खौफ इस कदर हो चुका है कि पुलिस भी इनसे डरती है.

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