
11 जुलाई, 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले
में दोषी ठहराए गए लोगों के परिजन हाई कोर्ट में फैसले को चुनौती
देंगे. विशेष मकोका अदालत ने मामले में दोषी ठहराए गए 12 लोगों में पांच को
मौत की सजा सुनाई. शेष को उम्रकैद मिली है. इस सीरियल ब्लास्ट में 189 लोग
मारे गए थे, जबकि 829 अन्य घायल हुए थे.
दोषियों में शामिल फैजल और मुज्जमील के एक रिश्तेदार अताउर रहमान ने कहा कि वे लोग फैसले के खिलाफ उपरी अदालत में अपील करें. उन्होंने कहा, 'इससे पहले भी मामले रहे हैं जहां निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई है और बाद में उच्च न्यायालय ने उसे कायम नहीं रखा है.' मोहम्मद अली शेख के भाई मुख्तार अहमद शेख ने कहा कि उनका परिवार भी उच्च न्यायालय में अपील करेगा.
इस मामले में बरी हुए अब्दुल वाहिद शेख ने कहा, 'मुझे 2006 में गिरफ्तार किया गया और 2015 में बरी किया गया. इन नौ बरसों में मैं पूरी तरह बर्बाद हो गया. मेरी नौकरी चली गई. मेरी पत्नी और बच्चों पर भी असर पड़ा. इस मामले में गिरफ्तार होने से मैं मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित हुआ हूं. बरी होने पर किसी को भी खुश होना चाहिए, लेकिन मेरे 12 बेकसूर भाई जेल में हैं, इसलिए मैं खुश नहीं हूं.'