Advertisement

सीरिया में हुआ करिश्मा, मलबे से निकली चार साल की मासूम

एक बच्ची का इस तरह जीना और ज़िंदा रहना वाकई कमाल है. घर में थी ये. जब आसमान से बरसे बम ने उसी घर को क़ब्र बना दिया. कब्र में तब्दील घर के अंदर अब ये देर तक घुटती रही. घुटता रही और रोती रही. तभी कुछ लोगों के कानों में इस बच्ची के रोने की आवाज़ पड़ी. इसके बाद करिश्मा हुआ और मौत के शिकंजे में ज़िंदगी सलामत बाहर आ गई.

आईएसआईएस की खौफनाक करतूत आईएसआईएस की खौफनाक करतूत
मुकेश कुमार/शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 6:19 AM IST

एक बच्ची का इस तरह जीना और ज़िंदा रहना वाकई कमाल है. घर में थी ये. जब आसमान से बरसे बम ने उसी घर को क़ब्र बना दिया. कब्र में तब्दील घर के अंदर अब ये देर तक घुटती रही. घुटता रही और रोती रही. तभी कुछ लोगों के कानों में इस बच्ची के रोने की आवाज़ पड़ी. इसके बाद करिश्मा हुआ और मौत के शिकंजे में ज़िंदगी सलामत बाहर आ गई.

Advertisement

20 फरवरी, 2017
दमिश्क, सीरिया

आईएसआईएस और विरोधी गुटों को सबक सिखाने के लिए शहर के ऊपर दिन-रात उड़ान भरते फाइटर जेट्स यहां कब, कहां और किसके सिर पर बम बरसा दें ये कोई नहीं जानता. सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि बम बेगुनाह और गुनहगारों का फ़र्क करना नहीं जानते. ऐसे में बमबारी से ज़मींदोज़ एक मकान के मलबे से लोगों को किसी बच्ची के रोने की आवाज़ सुनाई देती है.

ईंट, कंक्रीट और सरियों के सैकड़ों टन मलबे के नीचे से ऐसी किसी आवाज़ का सुनाई देना भी अपने-आप में किसी करिश्मे से कम नहीं. लिहाज़ा, लोग ब़गैर देर किए उस मासूम आवाज़ का पीछा करना शुरू कर देते हैं. ये आवाज़ कभी तेज़ होती है और कभी बिल्कुल बंद हो जाती है. लेकिन यहां सवाल एक ज़िंदगी का है, लिहाज़ा लोग देर नहीं करते और खुदाई करते हैं.

Advertisement

सच्चाई तो ये है कि ऊपर से देख कर सही-सही अंदाज़ा लगाना भी बेहद मुश्किल है कि वो बच्ची मलबे के ढेर में ठीक किस जगह पर हो सकती है. लेकिन फिर कोशिश जारी रहती है. एक साथ कई जोड़े हाथ रेत और मिट्टी के साथ-साथ कंक्रीट के भारी-भरकम टुकड़ों को हटाने लगते हैं. तभी ठीक एक मिनट और चालीस सेकेंड के बाद एक दूसरा करिश्मा होता है.

पहली बार मलबे के नीचे एक बच्ची के नन्हें-नन्हें हाथ-पांव नज़र आते हैं. बच्ची बांई करवट पड़ी है और धूल-मिट्टी के बीच इस कदर फंसी है कि उसके लिए हिलना-डुलना तो दूर सांस भी लेना मुश्किल है. लेकिन ये शायद ऊपरवाले की ही मर्ज़ी है कि इतने मुश्किल हालात में फंसी होने के बावजूद उसके रोने की आवाज़ मलबे से बाहर लोगों को सुनाई दे रही थी.

अब खुदाई और तेज़ हो जाती है और फिर देखते ही देखते बच्ची का पूरा जिस्म नज़र आने लगता है. लेकिन इस हाल में उसे तेज़ी से बाहर खिंचना भी उसे और ज़ख्मी कर सकता है. लिहाज़ा, पहले एक रेस्क्यू वर्कर उसके मुंह में हाथ डाल कर मिट्टी बाहर निकालता है, जिससे वो खुल कर सांस ले सके. फिर पहले धीरे से उसके पांव आज़ाद किए जाते हैं.

Advertisement

तब पूरी की पूरी बच्ची बिल्कुल सही-सलामत निकाल ली जाती है. हालांकि मलबे में फंसी बच्ची के आंख, नाक, मुंह, कान हर जगह धूल ही धूल भर चुका है. मलबे से बाहर निकालते ही राहतकर्मी उसे गोद में उठा लेते हैं. इसी के साथ बच्ची की जान बचाने की खुशी में लोग ऊपरवाले का शुक्रिया अदा करने लगते हैं. इस ऑपरेशन को चंद मिनटों में पूरा कर लिया जाता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement