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22 साल पहले हुई एक हत्या की खौफनाक कहानी, जिसका मास्टरमाइंड है माफिया मुख्तार अंसारी!

Mukhtar Ansari: साल 2001 में गाजीपुर के मोहम्दाबाद कोतवाली के उसरी चट्टी में हुए मनोज राय मर्डर केस में माफिया मुख्‍तार अंसारी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. 22 साल पुराने इस हत्याकांड में मुख्तार और उसके गुर्गे सरफराज उर्फ मुन्नी के खिलाफ कार्यवाही होने जा रही है. मृतक का परिवार मुख्तार के डर से 22 साल तक चुप्पी साधे रखा था.

साल 2001 में गाजीपुर के उसरी चट्टी में मनोज राय की सनसनीखेज हत्या हुई थी. साल 2001 में गाजीपुर के उसरी चट्टी में मनोज राय की सनसनीखेज हत्या हुई थी.
aajtak.in
  • नई दिल्ली/लखनऊ,
  • 09 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:11 AM IST

15 जुलाई 2001 की बात है. गाजीपुर के मोहम्दाबाद कोतवाली के उसरी चट्टी में अचानक गोलीबारी होने लगी. कुछ देर बाद लोगों ने देखा कि सामने पूर्वांचल का सबसे बड़ा माफिया गैंगस्टर मुख्तार अंसारी अपने काफिले के साथ खड़ा है. घटना देखकर ऐसा लग रहा था कि किसी ने मुख्तार के काफिले पर ताबड़तोड़ गोलियां चलवाई हैं. इसमें गोलीबारी के बाद घटनास्थल पर एक शव बरामद हुआ, जिसकी पहचान मनोज राय के रूप में हुई. पुलिस जांच में बाद में पता चला कि मनोज बिहार के बक्सर जिले के सगरांव का रहने वाला है. मुख्तार ने इस हत्या और गोलीबारी का जिम्मेदार अपने प्रतिद्वंदी गैंग के सरगना माफिया बृजेश सिंह को बताते हुए उसके खिलाफ केस दर्ज करा दिया.

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पुलिस ने इस हत्याकांड की जांच करने के बाद केस को ठंडे बस्ते में डाल दिया. इधर बदलते वक्त के साथ बाहुबली मुख्तार अंसारी का रसूख कम होता गया. साल 2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद तो जैसे उसके बुरे दिन शुरू गए. वो किसी तरह जुगाड़ लगाकर पंजाब की रोपड़ जेल में शिफ्ट हो गया. उस जेल से भी अपने गैर-कानूनी धंधों का संचालन करता रहा. लेकिन योगी सरकार उसे पंजाब से वापस ले आई. उसे बांदा जेल में बंद कर दिया गया. इस तरह जब उसका खौफ लगभग खत्म हो गया, तो एक दिन एक बुजुर्ग गाजीपुर के मुहम्मदाबाद कोतवाली पहुंचे. उन्होंने पुलिस को जो कहानी सुनाई उसे सुनकर वहां मौजूद हर व्यक्ति हैरान रह गया.

मनोज राय के पिता ने किया खौफनाक साजिश का खुलासा

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दरअसल, वो बुजुर्ग साल 2001 में हुई गोलीबारी में मृतक दिखाए गए मनोज राय के पिता शैलेंद्र कुमार राय थे. उन्होंने पुलिस को दी तहरीर में खुलासा किया कि उनके बेटे की हत्या उस गोलीबारी में नहीं हुई थी, बल्कि उसे मुख्तार ने सुनियोजित तरीके से मारा था. तहरीर के मुताबिक, मनोज राय की शादी गाजीपुर जिले के भांवरकोल थाना क्षेत्र के अवथहीं में हुई थी. सुसराल आने-जाने के क्रम में उसकी मुलाकात किसी तरह से मुख्तार से हो गई. दोनों की बीच अच्छी दोस्ती हो गई, तो मुख्तार ने उसे अपने ठेके के काम सौंपना शुरू कर दिया. विदित है कि मुख्तार का गैंग सरकारी ठेके लेने का काम करता था. इसमें मनोज बतौर ठेकेदार मुख्तार की तरफ से ठेके भरने का काम किया करता था.

मुख्तार अंसारी ने रची थी हत्याकांड की खौफनाक साजिश

एक बार मनोज राय ने मुख्तार अंसारी की जानकारी के बिना कोई ठेका भर दिया. मुख्तार को जब इसके बारे में पता चला तो वो नाराज हो गया. उसने तुरंत अपने गुर्गों को मनोज के घर भेज दिया. मुख्तार के चार गुर्गे ड्राइवर सुरेंद्र शर्मा, शाहीद, गौसमोइनुदीन और कमाल वारदात से एक दिन पहले मनोज के घर पहुंचकर बोले कि विधायक जी ने जरूरी काम से बुलाया है. मनोज चले गए. उस वक्त उनके पिता घर पर ही मौजूद थे. अगले दिन शाम को खबर आई कि मनोज की एक गोलीबारी में हत्या हो गई है. शैलेंद्र राय ने सच्चाई जानने की कोशिश की तो मुख्तार के गुर्गे घर आकर धमकी दे गए कि उनके बेटे ने विधायक जी को धोखा दिया था, इसलिए उसकी हत्या कर दी गई है.

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मुख्तार से डरा मनोज का परिवार 22 वर्षों तक चुप रहा 

मुख्तार अंसारी के गुर्गों ने कहा मनोज राय को उनके धोखेबाजी की सजा दी गई. अब परिवार के लोग अपनी खैर चाहते हैं तो ये जगह छोड़कर कहीं और चले जाएं. यदि किसी ने इसके बारे किसी से जिक्र किया तो पूरे परिवार को मार दिया जाएगा. उस वक्त मुख्तार की तूती बोलती थी. पुलिस से लेकर प्रशासन तक उसकी जेब में था. मनोज की लाश तक का पता नहीं चला. इधर परिवार के लोग उसकी डर की वजह से 22 साल तक चुप्पी साधे रहे. लेकिन अंदर ही अंदर जलते रहे. परिवार के लोग अपने सबसे अहम सदस्य की न तो लाश देख पाए न ही उसका अंतिम संस्कार कर पाए. जब मुख्तार का खौफ खत्म हुआ तो शैलेंद्र राय को हिम्मत आई. 20 जनवरी 2023 को केस दर्ज कराया.

मनोज राय मर्डर केस में 20 नवंबर को तय होंगे आरोप

यूपी पुलिस ने इस हत्याकांड की जांच कर मुख्तार अंसारी सहित अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिया है. इसमें उसका खास गुर्गा सरफराज उर्फ मुन्नी भी सह आरोपी है. इसी मामले में गाजीपुर के अपर सत्र न्यायालय "एमपी एमएलए कोर्ट" में मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गों पर आरोप तय करने की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें आरोपियों द्वारा अपने को बेगुनाह बताया जा रहा है. इस केस में माना जा रहा है कि आगामी एक या दो तारीखों पर कोर्ट कार्यवाही में आरोप तय हो जाएंगे, जिसके बाद सजा का ऐलान कर दिया जाएगा. इसके बाद मुख्तार और उसके गैंग की मुश्किलें बढ़ जाएंगी. इसकी सुनवाई बुधवार 8 नवंबर को होनी थी, लेकिन सरफराज मुन्नी द्वारा 227 सीआरपीसी के तहत एक स्थगन की एक याचिका दी गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में 20 नवंबर की तारीख नियत कर दी है. 12 दिनों बाद आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हो जाएंगे.

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कृष्णानंद राय केस में मिल चुकी है 10 साल की सजा

माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को कपिल देव सिंह मर्डर केस में एमपी-एमएलए कोर्ट 10 साल जेल की सजा सुना चुकी है. इसके साथ ही उस पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया है. उसके गुर्गे सोनू यादव को 5 साल की सजा और 2 लाख का जुर्माना लगाया गया है. 19 अप्रैल 2009 को हुए कपिल देव सिंह हत्याकांड और 24 नवंबर 2009 को मीर हसन अटैक केस में मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था. पुलिस ने इन दोनों ही मामले में उसको 120 बी यानी साजिश रचने का आरोपी बनाया था, लेकिन साबित नहीं कर पाई थी. इसकी वजह से दोनों ही मूल केस में कोर्ट ने उसे बरी कर दिया था. लेकिन अब गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज केस में कोर्ट ने दोषी करार दिया. इसके साथ ही कोर्ट उसे कृष्णानंद राय मर्डर केस में भी 10 साल की सजा सुनाई जा चुकी है. कोर्ट ने उस पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था.

इनपुट- गाजीपुर से विनय कुमार सिंह

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