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हाई सिक्योरिटी सेल की रेकी, डार्क स्पॉट और टिल्लू ताजपुरिया का मर्डर... खूनी साजिश पर उठ रहे हैं कई सवाल

टिल्लू ताजपुरिया की जान बेशक मंगलवार को गई, लेकिन उसकी मौत के परवाने पर दस्तखत तभी हो चुका था, जब रोहिणी कोर्ट में भरी अदालत के अंदर जज के सामने टिल्लू के गुर्गों ने उसके जानी दुश्मन जितेंद्र गोगी को गोलियों से छलनी कर दिया था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक टिल्लू ताजपुरिया के जिस्म को 94 पार गोदा गया पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक टिल्लू ताजपुरिया के जिस्म को 94 पार गोदा गया

करीब 19 माह पहले दिल्ली की एक अदालत में एक शख्स को गोलियों से भून डाला जाता है. ठीक 19 महीने बाद देश की सबसे सुरक्षित कही जाने वाली तिहाड़ जेल में एक गैंगस्टर को मार दिया जाता है. जिसे 19 माह पहले मारे गए शख्स का बदला बताया जाता है. ये कोई फिल्मी सीन या किसी फिल्मी की कहानी नहीं है, बल्कि ये दिल्ली में गैंगवार का सबसे ताजा और खौफनाक सच है. इस दौरान तिहाड़ जेल प्रशासन और टिल्लू की हत्या को लेकर कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं.

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टिल्लू ताजपुरिया की हत्या का प्लान यूं ही नहीं बना था. बल्कि इसके पीछे महीनों की तैयारी थी. हाई प्रोफाइल गैंगस्टर टिल्लू को मारना आसान नहीं था. क्योंकि वो एक सिक्योरिटी सेल में बंद था. उसे जेल परिसर में ग्राउंड फ्लोर पर रखा गया था. इसी दौरान कुछ बाते हैं, जो सवाल बनकर सामने आती हैं. मसलन..

- तिहाड़ जेल में हजारों की तादाद में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन जहां टिल्लू का कत्ल हुआ, वहां एक डार्क स्पॉट भी था. जो सीसीटीवी कैमरे की नजर से बचा हुआ था. तो ऐसा लगता है कि डार्क स्पॉट का फायदा उठाकर ये मर्डर की साजिश रची गई. 

- दूसरी बात ये है कि जहां ग्राउंड फ्लोर पर टिल्लू ताजपुरिया को रखा गया था. ठीक उसी के ऊपर वाले कमरे में योगेश टुंडा, दीपक तीतर और राजेश बवानिया को क्यों और कैसे रखा गया था? 

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- टिल्लू का मर्डर करने के लिए जेल की ग्रिल काटी गई और उससे हथियार बनाए गए, तो क्या सच में जेलकर्मियों को इस बात की भनक बिल्कुल नहीं लगी थी? टिल्लू ताजपुरिया को 5 दिन बाद रोहिणी जेल में शिफ्ट किया जाना था, तो क्या ये खबर लीक हो गई थी?  

- वारदात के दिन यानी 2 मई की सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर चादर के सहारे चार कैदी पहली मंजिल से ग्राउंड फ्लोर पर उतरे और टिल्लू ताजपुरिया को घेर कर ग्रिल काटकर बनाए गए हथियार से गोद डालते हैं. उस वक्त वहां मौजूद जेलकर्मी मूकदर्शक क्यों बने हुए थे?  

गोल्डी बराड़ ने ली जिम्मेदारी
19 दिन के भीतर पहले प्रिंस तेवतिया और अब टिल्लू ताजपुरिया का कत्ल जेल के भीतर एक बड़ी गैंगवार को जन्म दे सकता है. इसी दौरान सोशल मीडिया पर गैंगस्टर गोल्डी बराड़ का एक पोस्ट वायरल हो रहा है. जिसमें लिखा है "हां जी, सत श्री अकाल जी... राम राम सारे भाइयों को. आज जो टिल्लू ताजपुरिया का मर्डर हुआ है तिहाड़ जेल दिल्ली में, वो हमारे भाई योगेश टुंडा और दीपक तीतर ने किया है. गोगी मान भाई के नुकसान में टिल्लू ने जिम्मेदारी ली थी और ये शुरू से हमारे भाइयों का दुश्मन था. आज गोगी मान ग्रुप वाले भाइयों ने सारे भाइयों का सिर ऊंचा कर दिया बड़े भाई गोगी का बदला लेके. और भी जो कुत्ते जिंदा रह गए हैं, उनका भी नंबर जल्दी आएगा. जिस किसी का भी हाथ है हमारे किसी भाई के नुकसान में उसे कुत्ते की मौत मारेंगे." 

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खत्म हो गया 10 साल पुरानी दुश्मनी का चैप्टर
इधर, मंगलवार की सुबह देश की सबसे सुरक्षित मानी जानेवाली तिहाड़ जेल के अंदर गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया का कत्ल हुआ और उधर कानाडा में बैठे नॉर्थ इंडिया के सबसे खूंखार गैंगस्टरों में से एक और सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस के मास्टरमाइंड गोल्डी बराड़ का ये पोस्ट सामने आ गया. जाहिर है इस के कत्ल के साथ ही टिल्लू और गोगी के बीच पिछले 10 सालों से चली आ रही दुश्मनी का एक चैप्टर हमेशा-हमेशा के लिए क्लोज हो गया हो गया, लेकिन गोल्डी बराड़ का ये पोस्ट ये बताने के लिए काफी है कि गैंगवार का ये सिलसिला अभी आगे भी जारी रहेगा. क्योंकि इसमें एक तरफ जहां गोगी के गुर्गों के साथ गोल्डी बराड़ और लॉरेंस बिश्नोई जैसे गैंगस्टरों का हाथ है, वहीं नीरज बवानिया और सुनील राठी जैसे गैंगस्टर टिल्लू गैंग को सपोर्ट करते हैं.

24 सितंबर 2021, रोहिणी कोर्ट, दिल्ली
वैसे टिल्लू की जान बेशक मंगलवार को गई, लेकिन उसकी मौत के परवाने पर दस्तखत तभी हो चुका था, जब रोहिणी कोर्ट में भरी अदालत के अंदर जज के सामने टिल्लू के गुर्गों ने उसके जानी दुश्मन जितेंद्र गोगी को गोलियों से छलनी कर दिया था. उस दिन टिल्लू के तीन शूटर वकील के भेष में रोहिणी कोर्ट पहुंचे थे, जहां दिल्ली पुलिस जितेंद्र गोगी को पेशी के लिए लेकर आई थी, लेकिन पहले से घात लगाए गोगी का इंतजार कर रहे शूटरों ने अचानक ही अदालत के अंदर बिल्कुल क्लोज रेंज से गोगी को गोलियों का निशाना बना लिया. इस शूटआउट के फौरन बाद बेशक दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने टिल्लू गैंग के तीनों शूटरों को मौका ए वारदात पर ढेर कर दिया था, लेकिन इस शूटआउट ने दोनों गैंग के बीच चली आ रही दुश्मनी की आग को मानों और भड़का दिया और गोगी के दोस्तों ने उसी रोज़ टिल्लू की जान लेने की कसम खा ली थी. 

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2 मई 2023, सुबह 6.15 बजे
ये कसम पूरी हुई पूरे 19 महीने और 7 दिन बाद, जब गोगी के गुर्गों ने मंगलवार को तिहाड़ जेल में टिल्लू की जान ले ली. टिल्लू को मंगलवार को गोगी गैंग के चार गुर्गों ने तब निशाना बनाया, जब वो जेल नंबर नौ के अपने हाई रिस्क वार्ड में बंद था. टिल्लू का वार्ड ग्राउंड फ्लोर पर था, जबकि उस पर हमला करनेवाले गोगी गैंग के गुर्गे फर्स्ट फ्लोर पर कैद थे. लेकिन मौका देख कर चार बदमाशों ने पहले अपने बैरक की लोहे ही ग्रिल काटी, फिर चादर की मदद से फर्स्ट फ्लोर से नीचे कूदे और तब हाई सिक्योटिरी सेल में बंद टिल्लू पर ताबड़तोड़ वार करके उसे मौत के घाट उतार दिया.

गोगी और टिल्लू की दुश्मनी का आगाज
गोगी और टिल्लू के दुश्मनी का ये चैप्टर साल 2013 में तब खुला था, जब दोनों दिल्ली के श्रद्धानंद कॉलेज में पढ़ा करते थे. और दोनों कॉलेज में हो रहे छात्र संघ चुनावों को लेकर एक दूसरे के आमने-सामने आ गए. बस उसी दिन से दोनों के बीच दुश्मनी की ऐसी शुरुआत हुई कि दस सालों के अंदर पहले गोगी की जान गई और फिर टिल्लू का नंबर आ गया. जबकि इन दोनों की दुश्मनी में पिछले छह सालों में दोनों के 12 गुर्गे मारे गए. 

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एक का कत्ल कोर्ट में, दूसरे का जेल में.
वैसे टिल्लू और गोगी की दुश्मनी जितनी खतरनाक थी, उनके कत्ल और कत्ल की जगह भी उतनी ही अजीब. एक तरफ जितेंद्र गोगी का कत्ल जहां भरी अदालत के अंदर हुआ, वहीं टिल्लू का कत्ल जेल के अंदर. अदालत और जेल का एक दूसरे से करीबी रिश्ता है. किसी भी जुर्म में गुनहगारों को सज़ा सुनाए जाने के लिए पहले अदालत में ही लाया जाता है और फिर सज़ा के बाद जेल ही उनका ठिकाना होता है. यानी अदालत गुनहगारों को जेल की सलाखों के पीछे भेज कर उनके जुर्म का हिसाब-किताब करती है. लेकिन यहां पहला जुर्म अदालत के अंदर हुआ, दूसरा तिहाड़ जेल के अंदर, जहां जुर्म को अंजाम देनेवालों का हिसाब किताब होता है. 

जेल प्रशासन पर सवाल
लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिस तिहाड़ जेल की गिनती देश की सबसे सुरक्षित जेल के तौर पर होती है, आखिर उसी जेल में गैंगस्टर कर एक दूसरे पर हमला कैसे कर डालते हैं? कैसे पलक झपकते वो एक दूसरे की जान ले लेते हैं? आखिर जेल की सुरक्षा व्यवस्था में कहां कमी रह जाती है? क्यों साल दर साल तिहाड़ में गैंगवार का सिलसिला चलता ही रहता है? तो इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको तिहाड़ जेल को करीब से देखने और समझने की जरूरत है. तिहाड़ को बेशक हाई सिक्योरिटी जेलों में गिना जाता हो, लेकिन इसके अंदर होनेवाली गैंगवार की वारदात यहां के सुरक्षा इंतजामों की पोल खोलती है. 

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9 साल, 12 वारदात, 9 मर्डर
पिछले 9 सालों में तिहाड़ जेल में गैंगवार की कुल 12 बड़ी वारदात हो चुकी हैं, जिनमें 9 कैदियों की मौत हुई है. जबकि इन गैंगवार में कुछ जेल कर्मियों समेत कुल 47 लोग घायल हुए हैं. अब सवाल ये है कि हाई सिक्योरिटी जेल होने के बावजूद आखिर गैंगवार का ये सिलसिला बंद क्यों नहीं होता है? तो जवाब है जेल में क्षमता से दो गुने से भी ज्यादा कैदियों का बंद होना और जेल में व्याप्त भ्रष्टाचार. 

तिहाड़ जेल की क्षमता 5 हजार, कैदी 13 हजार 
20 फरवरी 2023 के आंकड़ों के मुताबिक इस वक्त तिहाड़ में कुल 13 हजार कैदी बंद हैं. जबकि तिहाड़ में कैदियों की क्षमता कुल 5 हजार 200 कैदियों की हैं. यानी जेल में क्षमता से करीब 8 हज़ार ज्यादा कैदी ठूंसे पडे हैं. ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लग जाना कोई हैरानी की बात नहीं है. रही-सही कमी जेलकर्मियों की रिश्वतखोरी पूरी कर देती है. तिहाड़ पहले से ही घूस महल के नाम से बदनाम है. जहां पैसे और पहुंच के बल पर कोई भी कैदी अपने लिए हर वो सुविधा हासिल कर सकता है, जो किसी इंसान को बाहर मिलते हैं. फिर चाहे वो मोबाइल फोन हो, नशे का सामान, फाइव स्टार होटल का खाना, शराब, हथियार या फिर कुछ. 

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तिहाड़ जेल में लगे हैं 7500 सीसीटीवी कैमरे
सुकेश चंद्रशेखर से लेकर वक्त-वक्त पर तमाम तरह की चीज़ों के साथ पकड़े जाते कैदी इस बात का सबूत हैं. सुरक्षा के लिहाज से ही तिहाड़ जेल के तमाम हाई सिक्योरिटी वार्ड समेत अलग-अलग इलाकों में 7500 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, जबकि 1248 कैमरे और लगाए जाने की तैयारी है. लेकिन सच्चाई यही है कि गुनहगार कई बार इन कैमरों को भी गच्चा देने में कामयाब हो जाते हैं और कभी मिलीभगत से कैमरे खराब कर दिए जाते हैं.

गले तक भ्रष्टाचार में डूबे हैं जेल कर्मचारी-अधिकारी
अब जिस जेल में ऊपर से लेकर नीचे तक मुलाजिम गले तक भ्रष्टाचार में डूबे हों, कानून तोड़ने की सजा के लिए बनाई गई जगह पर खुद हर तरह  से कानून तोडे जाते हों, वहां गैंगवार-खून खराबा और कत्ल का होना कोई हैरानी की बात नहीं है. तिहाड़ जेल में पिछले 19 दिनों में हुआ ये दूसरा गैंगवार और गैंगवार में एक-एक कर दो गैंगस्टरों की मौत इस बात का सबूत है.

तिहाड़ जेल में गैंगवार की आहट
एक-दूसरे की जान ले लिवा कर बेशक जितेंद्र गोगी और टिल्लू ताजपुरिया की आपसी दुश्मनी हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो गई हो, लेकिन तिहाड़ जेल में सालों से चले आ रहे गैंगवार का सिलसिला इतनी आसानी से खत्म होता नहीं दिख रहा. कहने की जरूरत नहीं है कि मंगलवार को तिहाड़ में टिल्लू ताजपुरिया के कत्ल के बाद एक बार फिर जेल प्रशासन हाई अलर्ट पर है और जेल में फिर से गैंगवार की आहट सुनाई दे रही है.

गठजोड़ बना कर काम कर रहे हैं गैंगस्टर्स
फिलहाल दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के अलग-अलग गैंग एक-दूसरे के साथ गठजोड़ बना कर क्राइम सिंडिकेट की तरह काम कर रहे हैं और अपनी-अपनी सुविधा के हिसाब से ये सारे के सारे गैंग एक-दूसरे से दुश्मनी रखते हैं. और इनमें से ज्यादातर गैंग्स के या तो गुर्गे या फिर सरगना अब भी तिहाड़ जेल में बंद हैं. ऐसे में जेल के अंदर कभी भी फिर से गैंगवार हो सकती है.

गैंगस्टर्स का गठजोड़ और दुश्मनी
दिल्ली पुलिस कि रिकॉर्ड के मुताबिक इनमें जहां एक तरफ लॉरेंस बिश्नोई गैंग, काला जठेड़ी गैंग, जितेंद्र गोगी गैंग, राजस्थान का आनंदपाल गैंग और सुब्बे गुर्जर गैंग का एक सिंडिकेट है. वहीं दूसरी ओर देवेंद्र बंबीहा गैंग. नीरज बवानिया गैंग, टिल्लू ताजपुरिया गैंग, संदीप ढिल्लू गैंग और हरियाणा का कौशल जाट गैंग शामिल है.

एक दूसरे को चुनौती देते गैंग
ये सारे के सारे गैंग अक्सर एक दूसरे को चुनौती देते रहते हैं और एक दूसरे से खून के प्यासे हैं. इन्हीं गैंग्स के गुर्गे दशकों से तिहाड़ जेल में एक दूसरे से टकराते और उनकी जान लेते रहे हैं. जेल के बाहर और जेल के अंदर शह मात का सिलसिला जारी है. खास बात ये है कि इन गैंग के ज्यादातर सरगना अभी जेल में बंद हैं. हालांकि आनंदपाल गैंग की कमान संभालनेवाली लेडी डॉन अनुराधा जमानत पर बाहर है और वो गैंगस्टर काला जठेड़ी से शादी कर चुकी है. 

एनआईए के रडार पर हैं कई गैंग और गैंगस्टर
उधर, गैंगस्टर देवेंद्र बंबिहा एनकाउंटर में मारा जा चुका है. लेकिन अजरबैजान में बैठा लकी पटियाल वहीं से बैठे-बैठे उसका गैंग चलाता है. कुख्यात बदमाश लॉरेंस बिश्नोई भी जेल में है, वो जेल से ही ऑपरेट करता है. उसका गैंग कनाडा में बैठा गोल्डी बराड़ और अमेरिका में बैठा उसका भाई अनमोल बिश्नोई चलाता है. नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA ने कुछ महीने पहले दिल्ली के गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और नीरज बवाना समेत दस गैंगस्टरों का एक डॉजियर तैयार किया था. साथ ही एनआईए ने इनके खिलाफ केस भी दर्ज किए थे. क्योंकि इन गैंग्स ने अब आम लोगों के लिए खतरा बनने के साथ-साथ देश के दुश्मनों यानी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और आतंकी संगठनों से भी हाथ मिलाना शुरू कर दिया है, जिसके बाद एनआईए इन्हें लेकर सख्त हो गई है.

 

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