
गुजरात पुलिस को एक रेलवे स्टेशन के पास एक लड़की की लाश मिलती है. लाश के करीब एक स्वेटशर्ट और एक बैग पैक भी मिलता है. अब इन्हीं दो सुरागों के सहारे पुलिस को कातिल की तलाश करनी थी. लेकिन ये काम इतना आसान नहीं था. इसके लिए पुलिस गुजरात से लेकर मुंबई तक सभी रेलवे स्टेशनों पर लगे करीब पांच हजार सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालती है. और आखिरकार कातिल पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है. लेकिन जब कातिल की करतूतों का पुलिंदा पुलिस के सामने खुलता है, तो हर कोई सन्न रह जाता है क्योंकि वो एक मामूली कातिल नहीं बल्कि एक सीरियल किलर निकला. एक अजीब सीरियल किलर.
रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर लंगड़ा कर चलते उस शख्स को ढूंढने के लिए गुजरात को करीब पांच हजार सीसीटीवी कैमरे की तस्वीरें, दस अलग-अलग पुलिस की टीमें, चार-चार राज्य की पुलिस और देश भर की जेलों में बंद कैदियों की लंबी-चौड़ी लिस्ट खंगालनी पड़ी थी. दरअसल ,यो कोई मामूली शख्स नहीं है. ये वो कातिल है जो अलग-अलग ट्रेनों के सिर्फ उन्हीं कोच या डिब्बों में बैठी महिलाओं को अपना शिकार बनाता था जो कोच या डिब्बे दिव्यांगों के लिए रिजर्व होते थे.
ये शायद देश का इकलौता ऐसा सीरियल किलर है जिसने चलती ट्रेन में खुद के लंगड़ा कर चलने की वजह से ऐसा चार महिलाओं के साथ जबरदस्ती कर फिर उनका कत्ल किया जो इसके जैसी थीं. सिवाए एक कत्ल के. गुजरात के वलसाड जिले का उदवाड़ा रेलवे स्टेशन से करीब सौ मीटर दूर पुलिस की भारी-भरकम टीम उसी कातिल को लेकर मौका-ए-वारदात का मुआयना करती है.
दरअसल, कहानी की शुरूआत होती है 14 नवंबर को. इसी उदवाड़ा रेलवे स्टेशन के करीब कालेज में सेकंड ईयर की एक स्टूडेंट का घर था. रोजाना कालेज आने-जाने का उसका रूट यही था. कयोंकि घर रेलवे फाटक से करीब था तो वो स्टेशन के किनारे-किनारे रेलवे ट्रैक से होकर ही घर आती-जााती थी. लेकिन 14 नवंबर को रोजाना की तरह तय वक्त पर जो वो घर नहीं पहुंची तो घर वालों की फिक्र हुई. चूंकि कालेज से घर तक के रूट से घर वाले वाकिफ थे इसीलिए परेशान घर वालों ने उसी रूट पर उसकी तलाश शुरू कर दी.
तलाश-तलाश करते जैसे ही वो प्लेटफार्म से करीब सौ मीटर दूर पहंचे उन्हें वहां एक लड़की की लाश नजर आई. वो वही थी. फौरन पलिस को खबर दी गई. पुपलिस मौके पर पहुंचती है और तफतीश शुरू कर देती है. मौके पर लड़की की लाश की हालत देखते ही ये अंदाजा हो जाता है कि कत्ल से पहले उसके साथ जबरदस्ती की गई थी. मौके पर लड़की की लाश और उसके बैग के अलावा पुलिस को दो अजीब चीज मिलती है. एक सफेद स्वेटशर्ट और दूसरा एक बैकपैक. बैकपैक के अंदर तीन जर्सी और दो हाफ पैंट के अलावा मोबाइल चार्जर था. बैकपैक और उसमें रखे सामान को देखते हुए ये अंदाजा हो चुका था कि कातिल जो भी है वो लोकल नहीं है. बल्कि वो नया-नया शहर में आया था और फिर वारदात के बाद उदवाड़ा रेलवे स्टेशन से ही ट्रेन पकड़ कर भाग गया होगा.
पुलिस की जांच के सेंटर में अब यही उदवाड़ा रेलवे स्टेशन था. लेकिन पुलिस को पहला धक्का तब लगा जब पता चलाा कि इस स्टेशन पर एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है. अब ऐसे में कैसे पता किया जाए कि कातिल य़हां से कब और किस ट्रेन से किधर गया होगा? बिना किसी क्लू के कातिल को ढूंढना मुश्किल था. पर गुजरात पुलिस को इतना यकीन तो था कि वारदात के बाद वो शर्तिया ट्रेन से ही यहां से भागा है और वारदात से पहले वो किसी ट्रेन से ही उदवाड़ा रेलवे स्टेशन पहुंचा था.
बस इसी यकीन के चलते अब पुलिस ने उदवाड़ा रेलवे स्टेशन से पीछे और आगे के हरेक रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी कैमरों को खंगालना फैसला किय़.। आनन-फानन में इसके लिए दस टीमें बनाई गईं. हर टीम को उदवाड़ा के आगे और पहले के तमाम स्टेशनों पर लगे कैमरों को खंगालने की जिम्मेदारी दी गई. कोशिश रंग लाई. उदवाड़ा के एक स्टेशन पहले एक सीसीटीवी कैमरा मिला. जिसमें एक तस्वीर मिली. जिसमें एक शख्स लंगड़ाता हुआ चल रहा है. खास बात ये थी कि उसने ठीक वही सफेद स्वेटशर्ट पहन रखी थी जो मौका-ए-वारदात पर मिली थी और वही काला बैग उसकी पीठ पर था.
सीसीटीवी कैमरे से ही पता चला कि वो वहां से बांद्रा, मुंबई जाने वाली एक ट्रेन में सवार हुआ. अब यहां तक तो कामयाबी मिल चुकी थी लेकिन इसके आगे उसे कैसे ढूंढा जाए? तो अब पुलिस ने मुंबई तक के रूट पर जितने भी रेलवे स्टेशन थे उन सबके सीसीटीवी को खंगालने का फैसला किया. इसी दौरान वो वापी स्टेशन पर नजर आया. अब वापी से मुंबई सेटल स्टेशन तक के हर स्टेशन की सीसीटीवी तस्वीरें बारीकी से खंगाली गईं. और आखिरकार वही शख्स मुंबई में दादर रेलवे स्टेशन पर दिखाई दिया. लेकिन इसके बाद वो कहीं नजर नहीं आया.
अब एक बार फिर पुलिस के हाथ खाली थे. इस दौरान पुलिस की एक टीम ने गुजरात की अलग-अलग तमाम जेलों में बंद या हाल में रिहा हुए कैदियों की तस्वीरों के रिकार्ड के साथ उसकी तस्वीरों का मिलान करने की कोशिश की. लेकिन किसी अपराधी से उसकी तस्वीर मैच नहीं हुई. अब गुजरात पुलिस ने गुजरात के बाहर अलवग-अलग राज्यों की जेलों में बंद कैदियों के नेशनल डेटाबेस से उलसकी तस्वीरों का मिलान करना शुरू किया और आखिरकार एक बड़ी कामयाबी मिली.
राजस्थान के जोधपुर जेल से इसी साल मई में जमानत पर रिहा हुए एक कैदी से सीसीटीवी कैमरे में कैद इस शख्स का हुलिया हू-ब-हू मिल जाता है. तब पहली बार पता चलता है कि इसका नाम राहुल करमवीर जट है. हरियाणा के रोहतक जिले जिले के रहना वाले राहुल पर 11 मुकदमे दर्ज थे. मगर ये जानकारी मिलने के बावजूद पुलिस के हाथ अब भी खाली थे क्य़ोंकि रोहतक जिले के जिस घर में राहुल रकहा करता था, उसकी मां और भाई ने उसे बहुत पहले ही घर से बेदखल कर रखा था.
अब पुलिस की जांच का सिरा फिर से मुंबई पर आकर रुक गया था. क्योंकि आखिरी बार उसे वही देखा गया था. फिर आखिरकार वारदात के ठीक दस दिन बाद 24 नवंबर को वलसाड के पुलिस चीफ को उनके एक मुखबिर का फोन आता है. ये मुखबिर बांद्रा रेलवे स्टेशन पर काम करने वाला एक हॉकर था. चूंकि हर स्टेशन पर तैनात रेलवे पलिस और हॉकरों को राहुल की तस्वीर दी जा चुकी थी, लिहाजा उसने उसी तरह लंगड़ा कर चलते एक शख्स को बांद्रा-भुज ट्रेन में सवार होते देखा. उसी ने पुलिस को खबर दी. पर तब तक ट्रेन चल चुकी थी. रेलवे पलिस ने गुजरात पुलिस से फौरन संपर्क साधा.
इधर, इस बीच पुलिस की एक टीम वापी रेलवे स्टेशन पर अलर्ट थी. जैसे ही ट्रेन वापी स्टेशन पर पहुंचती है आखिरकार पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है. अब राहुल गुजरात पुलिस के सामने था. उसने कहानी सुनानी शुरू की. अब तक गुजरात पुलिस को यही लग रहा था कि उसने राहुल की शक्ल में एक कातिल को गिरफ्तार किया है. लेकिन जब उसने अपनी जिंदगी और अपने गुनाहों की कहानी सुनाई तो पता चला कि वो कातिल नहीं बल्कि एक सीरियल किलर है. जिसने कुल पांच कत्ल किए थे. दो कत्ल उदवाड़ा रेलवे स्टेशन के करीब 14 नवंबर को कालेज छात्रा के कत्ल से पहले और दो कत्ल कालेज छात्रा के कत्ल के बाद. इनमें से कालेज छात्रा के कत्ल के अलावा बाकी चार कत्ल ट्रेन में किए वो भी दिव्यांगों के लिए रिजर्वड डब्बे में.
अब सवाल था कि उसने ऐसा क्यों किया? क्या थी उसलकी पूरी कहानी? राहुल ने सबसे पहले 14 नवंबर को उदवाड़ा रेलवे स्टेशन के करीब हुए कत्ल की कहानी बताई. राहुल के मुताबिक उस दिन शाम को वो रेलवे स्टेशन के करीब ट्रेन का इंतजार कर रहा था. तभी उसे वो लड़की दिखाई दी. वो कालेज से घऱ लौट रही थी. लड़की को अकेला देश राहुल ने करीब सौ मीटर तक उसका पीछा किया. फिर जैसे ही वो सुनसान जगह पर पहंची राहुल ने उसे दबोच लिया और फिर उसके साथ जबरदस्ती करने के बाद गला घोंट कर उसे मार डाला. रेप और कत्ल के बाद राहुल को प्यास लगी तो वो अपना स्वेटशर्ट और बैकपैक मौके पर ही छोड़ कर वापस स्टेश पहुंचा. प्लेटफार्म पर दुकान से उसने जूस और दूध का पैकेट लिया फिर पीने के बाद दोबारा उस जगह पहुंचा जहां उसने रेप और कत्ल किया था. वो एक बार फिर से उस मुर्दा लड़की के साथ जबरदस्ती करने के इरादे से जा रहा था.
इततेफाक से उसी वक्त लड़की को ढूंढते उसके घर वाले मौके पर पहुंच चुके थे. उन्हें देखते ही डर कर वो वहां से निकल गया. इस तरह उसका स्वेटशर्ट और बैकपैक मौके पर ही रह गया और उसी वजह से पुलिस उस तक पहुंच पाई. पुलिस के मुताबिक राहुल ने कुछ वक्त वलसाड में एक होटल में काम किया था. वहीं अपना बकाया सैलरी लेने वो शहर आया था. वलसाड में रेप और मर्डर के बाद राहुल पहले मुंबई पहंचा और फिर वहां से हावड़ा चला गया.
वलसाड केस के ठीक पांच दिन बाद 19 नवंबर को उसने कटिहार से हावड़ा आने वाली डाउन कटिहार एक्सपेस के दिव्यांग के लिए रिजर्वड कोच में फिर एक महिला का कत्ल किय़ा. मरने वाली महिला का नाम सौमित्र चटर्जी था. सौमित्र की लाश एक ऊपरी बर्थ पर कंबल से ढका मिला. कत्ल तेज धार हथियार से किया गया. राहुल ने सौमित्र का कत्ल करने के बाद उनके गहने और करीब दस हजार कैश लूट लिए थे. हावड़ा में कत्ल करने के पांच दिन बाद राहुल वहां से कर्नाटक पहुंचा. कर्नाटक में सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर फिर उसने एक महिला का कत्ल किया. इस बार भी कत्ल दिव्यांग के लिए रिजर्व्ड डब्बे में किया गया था. वहां से कत्ल करने के बाद राहुल फिर वापस मुंबई आया था, जहां से आखिरकार वो पकड़ा गया.
पुलिस के मुताबिक राहुल ने सीरियल किलिंग की शुरूआत 20 अक्तूबर को की थी. उसने आंध्रा प्रदेश के गुंटकल गुट्टी रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन के डब्बे से एक महिला की लाश मिली थी. महिला के लाश पहले रेप हुआ फिर उसका कत्ल. ये महिला पुणे से कन्याकुमारी जाने वाली ट्रेन में बैठी थी. इत्तेफाक से इस बार भी कत्ल और रेप दिव्यांग के लिए रिजर्व्ड डब्बे में ही हुआ था. इस पहले कत्ल और रेप के ठीक पांच दिन बाद राहुल ने 25 अक्तूबर को अपना दूसरा शिकार एक और महिला को बनाया. ये महिला बैंगलूरू से मुरदेश्वर जाने वाली ट्रेन में बैठी थी. इस बार भी डब्बा दिव्य़ांगों के लिए रिजर्व्ड वाली ही था.
पुलिस के सामने अब सवाल था कि राहुल ने पांच में से चार कत्ल दिव्यांग वाले रेलवे के डब्बे में ही क्यों किए? और उसे दिव्यांगों से ऐसी क्या दुश्मनी थी? तो इसके लिए पुलिस ने राहुल की खुद अपनी जिंदगी की कहानी जानी. दरअसल, बचपन में राहुल को पोलियो हो गया था. जिसकी वजह से उसका बायां पैर पूरी तरह से ठीक नहीं था. स्कूल में इसी वजह से बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे. स्कूल के ही वक्त से राहुल का सपना था कि ट्रक चलाएगा. उसे ट्रक पसंद था. लेकिन दिव्य़ांग होने की वजह से उसे ट्रक ड्राइवर बनने का जब मौका नहीं मिला तो उसने गुस्से में ट्रक चुराना शुरू कर दिया. इसी वजह से वो कई बार पकड़े जाने पर जेल गया. जेल जाना और ज़मानत पर बाहर आना उसकी जिंदगी का हिस्सा बन गया था. पुलिस के मुतााबिक बचपन में मजाक उड़ाए जाने और फिर जेल आने-जाने की वजह से अब वो पक्का अपराधी बन गया था. लेकिन ट्रक चोरी से दिव्यांग महिलाओं का रेप और कत्ल करने की उसकी असली वजह अब भी पुलिस के लिए एक पहेली बनी है.
(हावड़ा से बैधनाथ झा और वलसाड से कौशिक जोसी के साथ बृजेश दोषी का इनपुट)