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Himani Narwal Murder: दोस्ती या रिलेशन? क्या है पैसों का मामला, सचिन से झगड़े का कारण क्या? हिमानी का मोबाइल खोलेगा कत्ल का राज

हिमानी नरवाल मर्डर केस से जुड़े इन तीन सबसे अहम किरदारों में एक है हिमानी का भाई, दूसरी उसकी मां और तीसरे इस केस की जांच करने वाले टीम के बॉस यानि हरियाणा पुलिस के एडीजी (ADG) कृष्ण कुमार राव. हिमानी के भाई के हिसाब से उसके परिवार में ये कोई पहला कत्ल नहीं है.

पुलिस ने हिमानी के कातिल सचिन के खिलाफ सबूत जुटा लिए हैं पुलिस ने हिमानी के कातिल सचिन के खिलाफ सबूत जुटा लिए हैं
aajtak.in
  • रोहतक,
  • 04 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 3:11 PM IST

Himani Narwal Murder Case: रोहतक में कांग्रेस नेत्री हिमानी नरवाल की हत्या के मामले में नए नए खुलासे हो रहे हैं. दरअसल, हिमानी के परिवार में ये कत्ल का कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले उसके परिवार में मर्डर हो चुका है. लेकिन आरोपियों को कभी सजा नहीं मिल पाई. अब हिमानी मर्डर केस की जांच में तीन ऐसे किरदार हैं, जो इस पूरे मामले का खुलासा करने में अहम भूमिका निभाएंगे. साथ ही इस केस की गुत्थी को सुलझाने में हिमानी का मोबाइल भी एक अहम सबूत हो सकता है. 

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हिमानी नरवाल मर्डर केस से जुड़े इन तीन सबसे अहम किरदारों में एक है हिमानी का भाई, दूसरी उसकी मां और तीसरे इस केस की जांच करने वाले टीम के बॉस यानि हरियाणा पुलिस के एडीजी (ADG) कृष्ण कुमार राव. हिमानी के भाई के हिसाब से उसके परिवार में ये कोई पहला कत्ल नहीं है. इससे पहले उसके भाई का भी कत्ल हो चुका है. हिमानी के बड़े भाई का कत्ल साल 2012 में उसी रोहतक में हुआ था. तब हिमानी का पूरा परिवार वहीं रहता था. पुलिस के मुताबिक, हिमानी के बड़े भाई कत्ल मोबाइल के झगड़े में हुआ था. हालााकि उसके कातिल को कभी सजा नहीं मिली. 

कहानी यहीं खत्म नहीं होती. बड़े बेटे के कत्ल के बाद हिमानी के पिता ने भी खुदकुशी कर ली थी. पुलिस जांच के मुताबिक, खुदकुशी की वजह डिप्रेशन थी. हिमानी के पिता बीएसएफ (BSF) में थे. इसीलिए अब हिमानी के कत्ल के बाद उसका भाई इंसाफ की मांग कर रहा है. उसका कहना है कि उसके भाई और पापा दोनों की मौत हो गई. इस मामले में पॉलिटिकल पार्टी की साजिश हो सकती है. पुलिस कर रही है कि झगड़ा हुआ था. बस यही मोटिव था.

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पहले बेटा और फिर पति की मौत के बाद हिमानी की मां सविता हिमानी और उसके भाई जतिन को लेकर रोहतक से दिल्ली आ गई. ये परिवार दिल्ली में ही रहता था. लेकिन हिमानी की पढ़ाई रोहतक के कॉलेज में हो रही थी. हिमानी रोहतक के वैश्य कॉलेज से लॉ की पढ़ाई कर रही थी. उसका सपना वकील बनने का था. इसी पढ़ाई के दौरान कुछ साल पहले उसकी दिलचस्पी राजनीति में हुई. इसी के बाद उसने रोहतक में कांग्रेस ज्वॉइन कर ली. सोशल मीडिया पर एक्टिव हिमानी बहुत कम वक्त में रोहतक कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा बन चुकी थी.

हिमानी नरवाल सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा सुर्खियों में तब आई थी, जब 2023 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वो राहुल गांधी के साथ जुड़ी. इस दौरान इस यात्रा की तस्वीरें खुद राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया पर शेयर की थीं. हिमानी की बाकी नेताओं के साथ भी बहुत सारी तस्वीरें सोशल मीडिया पर मौजूद हैं. हिमानी की मां को लगता है कि बेहद कम वक्त में बड़े नेताओं तक पहुंच के चलते बहुत सारे नेता हिमानी से जलने लगे थे. यही वजह है कि हिमानी की मां ने भी हिमानी के कत्ल को लेकर नेताओं की तरफ उंगलियां उठाई थीं.

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लेकिन तीसरी तरफ रोहतक पुलिस है. जो ना सिर्फ 36 घंटे के अंदर हिमानी मर्डर केस को सुलझाने का दावा कर रही है, बल्कि आरोपी कातिल सचिन को कैमरे के सामने पेश भी कर दिया है. पुलिस ने ये भी बता दिया कि उसने कब, कैसे, कहां हिमानी का कत्ल किया था. लेकिन कत्ल की वजह साफ साफ बताने की बजाय फिलहाल पुलिस गोलमोल जवाब दे रही है.

अब सवाल आता है सचिन पर. आखिर सचिन कौन है? हिमानी से उसका क्या रिश्ता है? तो बकौल पुलिस दोनों पिछले डेढ़ साल से दोस्त थे. दोस्ती में झगड़ा आम बात है. लेकिन दोस्ती के झगड़े में कत्ल आम बात तो कतई नहीं है. तो आखिर वो ऐसी कौन सी बात थी? जिस पर सचिन को इतना गुस्सा आया कि उसने हिमानी को मार डाला. इस वजह को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया पर बहुत सारी बातें चल रही हैं. लेकिन जाहिर है जब तक उससे जुड़ा कोई पुख्ता सबूत सामने नहीं आ जाता वो वजह आम करना भी शायद सही नहीं होगा.

1 मार्च 2025, सुबह 11 बजे, सांपला बस स्टैंड
रोहतक दिल्ली हाईवे के करीब चौधरी छोटूराम चौक है. फ्लाईओवर के ठीक नीचे आसपास कुछ खुला इलाका और झाड़ियां हैं. सुबह एक राहगीर जब वहां से गुजरा तो उसकी नजरें झाड़ी के पीछे लावारिश पड़ी काले रंग के एक बड़े से बैग पर पड़ी. वैसे भी आजकल लावारिस बैग जो अच्छा खासा बड़ा हो, उसे देखकर लोगों को फौरन शक होने लगता है. वजह ये है कि इधर कुछ वक्त से बैग में लाश को ठिकाने लगाने का सिलसिला पूरे देश में एक जैसा हो चला है. लिहाजा, उस राहगीर ने भी फौरन पुलिस कंट्रोल रूम को इस बैग की खबर दी.

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बैग में मिली लड़की की लाश
खबर मिलते ही मौका-ए-वारदात से कुछ ही दूरी पर मौजदू सांपला पुलिस स्टेशन की एक टीम फौरन मौके पर पहुंची. साथ में फॉरेंसिक टीम भी थी. मौके पर सचमुच एक काला बैग पड़ा था. बैग और बैग के वजन को देख कर पुलिस को भी अंदाजा हो चुका था कि अंदर क्या हो सकता है. लिहाजा, पुलिस की टीम ने मौके पर ही बैग को खोला. बैग में सबसे ऊपर रजाई का एक कवर था. कवर बाहर निकाला जाता है और उसे वही जमीन पर बिछा दिया जाता है. रजाई के कवर के नीचे बैग में ठूंसी हुई एक लाश थी. एक लड़की की लाश. 

विधायक ने की थी लाश की शिनाख्त
पुलिस बैग और मौका-ए-वारदात पर बाकी चीजों को खंगालती है, लेकिन ऐसा एक भी कोई सबूत नहीं मिलता जिससे लाश की शिनाख्त हो सके. लिहाजा, पंचनामा कर पुलिस लाश को सरकारी के अस्पताल के मुर्दाघर में भेज देती है. कई घंटे बीत जाते हैं लेकिन मरने वाली की शिनाख्त नहीं होती. दोपहर से अब शाम हो चुकी थी. इलाके की विधायक तक भी बैग में बंद इस लाश की बरमादगी की खबर पहुंची. जब उन्होंने लाश की तस्वीर देखी तो वो फौरन पहचान गईं. उन्होंने बताया कि मरने वाली हरियाणा के रोहतक कांग्रेस की एक कार्यकर्ता हिमानी नरवाल है. 

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ऐसे मिली थी परिवार को खबर
इतना पता चलते ही पुलिस अब रोहतक के उस विजय नगर कॉलोनी में मौजूद हिमानी के घर का पता निकाल लेती है, जहां वो पिछले कुछ वक्त से किराए के घर में अकेली रहती थी. पुलिस की एक टीम फौरन उस पते पर पहुंचती है. लेकिन घर के बाहर ताला लगा था. अब हिमानी के जानकारों की मदद से दिल्ली में रहने वाली हिमानी की मां को खबर दी जाती है. खबर मिलते ही रविवार सुबह सुबह हिमानी की मां उस अस्पताल के मुर्दा घर में पहुंच जाती है, जहां हिमानी की लाश रखी थी.

मां से हुई थी हिमानी की आखिरी बातबीत
हिमानी की मां के पहुंचते ही पुलिस उनसे हिमानी के बारे में पूछताछ करती है. इस पूछताछ के बाद हिमानी की मां ने ये बताया कि वो 27 फरवरी की शाम तक हिमानी के साथ रोहतक में ही थी. फिर वापस दिल्ली लौट गई जहां वो अपने बेटे जतिन के साथ रहती हैं. दिल्ली लौटने के बाद 27 फऱवरी की रात भी हिमानी से उनकी बात हुई थी. तब उसने अपनी मां को बताया था कि 28 फरवरी को पार्टी के एक रोडशो में जाएगी, जहां वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी मौजूद होंगे. हिमानी से ये उनकी आखिरी बातचीत थी. इसके बाद हिमानी का मोबाइल बंद हो गया, जो कि अमूमन कभी होता नहीं था.

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नहीं मिला हिमानी का मोबाइल
हालाकि बाद में पता चला कि 28 फरवरी को ऐसा कोई रोड शो नहीं था, जिसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा शामिल होने वाले थे. तो फिर क्या हिमानी ने अपनी मां से झूठ बोला था? अगर हां, तो क्यों? खैर, लाश की शिनाख्त होते ही अब पुलिस मामले की जांच शुरु कर देती है. सबसे पहले पुलिस की टीम हिमानी के विजय नगर कॉलोनी के इस घर में पहुंचती है. हिमानी का मोबाइल कहीं नहीं मिलता. 

सीसीटीवी और कॉल डिटेल से मिला सुराग
अब पुलिस सीसीटीवी कैमरों की मदद से कातिल तक पहुंचने की कोशिश शुरु करती है. इसी कड़ी में पुलिस को पहली कामयाबी मिलती है. हिमानी के घर और रोहतक दिल्ली हाईवे के करीब जहां से बैग बरामद हुआ वहां के कैमरों में पुलिस को कातिल की झलक नजर आ चुकी थी. हिमानी की मां सविता की मदद से हिमानी का मोबाइल नंबर भी अब पुलिस के पास था. हिमानी के मोबाइल के कॉल डीटेल में उस कातिल का नंबर भी था. और इत्तेफाक से वो नंबर 27 फरवरी की रात से लेकर 1 मार्च की सुबह तक हिमानी के घर का ही लोकेशन बता रहा था.

दिल्ली से आरोपी सचिन की गिरफ्तारी
36 घंटे बीतते बीतते रोहतक पुलिस इस लड़के तक पहुंच चुकी थी. जिसका नाम सचिन है. वो हरियाणा के ही झज्जर का ही रहने वाला है. झज्जर में इसकी मोबाइल की एक दुकान है. लेकिन इसकी गिरफ्तारी झज्जर नहीं बल्कि दिल्ली से हुई. रोहतक पुलिस के मुताबिक, जब सचिन से पूछताछ हुई तो 27 फरवरी की शाम से लेकर 1 मार्च की सुबह तक की पूरी कहानी कुछ यूं सामने आई.

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हिमानी के घर पर रुका था सचिन
27 फरवरी को हिमानी की मां सविता अपनी बेटी से मिलकर दिल्ली लौट चुकी थी. असल में हिमानी की मां अपने बेटे जतिन के साथ दिल्ली में ही रहती है. हिमानी भी पहले दिल्ली में ही रहती थी. लेकिन करीब डेढ़ साल पहले उसने रोहतक के विजयनगर कॉलोनी में किराए पर एक घर लिया था. जहां वो अकेली रहा करती थी. चूंकि वो रोहतक कांग्रेस की कार्यकर्ता थी, इसीलिए उसका ज्यादातर वक्त रोहतक में ही बीतता था. 27 फरवरी की शाम 4 बजे सविता हिमानी के घर से निकल चुकी थी, उनके जाने के ठीक एक घंटे बाद सचिन हिमानी के घर पहुंचा. असल में सचिन और हिमानी लगभग डेढ़ साल पुराने दोस्त हैं. सचिन अक्सर हिमानी के घर भी रुकता था. 27 फरवरी की रात भी वो हिमानी के साथ ही था.

मोबाइल चार्जर की तार से किया मर्डर
27 फरवरी की रात तक सब कुछ ठीक था. अगले दिन यानि 28 फरवरी को भी सचिन हिमानी के साथ इसी घर में था. लेकिन शाम 5 बजे के आसपास किसी बात को लेकर उसका हिमानी से झगड़ा हो गया. इसी झगड़े के दौरान गुस्से में उसने मोबाइल के चार्जर से हिमानी का गला घोंट दिया. इस झगड़े के दौरान दोनों के बीच हाथापाई भी हुई थी. इसमें सचिन के हाथ भी जख्मी हुए थे. कुछ खून के छींटे रजाई पर भी पड़े थे. चूंकि कत्ल अचानक हुआ था, लिहाजा सचिन को समझ नहीं आया कि अब वो क्या करे? 

सचिन ने ऐसे ठिकाने लगाई थी हिमानी की लाश 
कुछ वक्त कमरे में गुजारने के बाद उसने हिमानी के हाथों की अंगूठी और बाकी के जवर उतारे, उसका फोन और लैपटॉप लिया और हिमानी की स्कूटी से ही 34 किलोमीटर दूर झज्जर में अपनी मोबाइल शॉप पर पहुंच गया. रात को सचिन वापस हिमानी के घर लौटा, लाश अब भी कमरे में पड़ी थी. इत्तेफाक से हिमानी के कमरे में ही एक बड़ा से बैग भी पड़ा था, जिसे खुद हिमानी ने खरीदा था. सचिन ने उसी बैग में किसी तरह हिमानी की लाश ठूंस दी. इसके बाद खून लगे रजाई के कवर को भी उतार कर उसी बैग में डाल दिया. इसके बाद उसने एक ऑटो किया. उस ऑटो में बैग रखा और रोहतक दिल्ली हाईवे के करीब बस स्टॉप पर उतर गया. उसे पता था कि हाईवे के करीब अमूमन लोग बैग लेकर सफर करते हैं. इसीलिए कोई शक भी नहीं करेगा. फिर ऑटो वाले के जाने के बाद वो पैदल ही हाईवे के करीब, फ्लाईओवर के नीचे एक सुनसान जगह पर पहुंचा और वहां झाड़ियों में बैग रखकर निकल गया.

कत्ल के मोटिव पर पुलिस की खामोशी 
अब यहां तक की कहानी तो पुलिस ने बता दी. पर एक सवाल अब भी रह गया था और वो ये कि आखिर हिमानी और सचिन के बीच किस बात पर ऐसा झगड़ा हुआ कि डेढ़ साल की दोस्ती को भुलाकर उसने हिमानी का खून कर दिया. सोमवार को रोहतक रेंज के एडीजी कृष्ण कुमार राव इसी मर्डर केस को लेकर प्रेस कॉंफ्रेस की. इस दौरान अलग अलग तरीके से कई बार घुमा फिरा कर रिपोर्टर ने उनसे कत्ल के मकसद यानि मोटिव को लेकर सवाल पूछा. लेकिन उन्होंने हर ऐसे सवाल को अपने हिसाब से घुमा दिया.

क्या था कत्ल का मोटिव?
हिमानी नरवाल एक पॉलिटिकल पार्टी से जुड़ी थी. तो क्या इस कत्ल के पीछे कोई राजनीति वजह थी? क्या पॉलिटिकल राइवलरी ने हिमानी की जान ली? या फिर इस कत्ल की वजह कुछ और ही है? एक ऐसी वजह जिसे खुद हरियाणा पुलिस भी बिना पुख्ता किए, बिना किसी सबूत के इस वक्त आम करना नहीं चाहती.

(रोहतक से सुरेंद्र सिंह के साथ अरविंद ओझा का इनपुट)

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