
हाथरस गैंगरेप केस के मद्देनजर कानून (लॉ) के 510 छात्रों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे को चिट्ठी लिखी है, जिसमें शीर्ष अदालत से मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. साथ ही कोर्ट प्रोटोकॉल तैयार करे जिसका पालन अस्पतालों और पुलिस द्वारा किया जाना चाहिए.
चिट्ठी के जरिए यह भी गुजारिश की गई है कि मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बोबडे उत्तर प्रदेश पुलिस, हाथरस पुलिस और हाथरस जिला प्रशासन की जांच के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन करने का निर्देश भी जारी करे.
इसके अलावा, कानून के छात्रों ने मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि वह सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली नीतियों के प्रति DEA द्वारा 2013 में गठित निर्भया फंड में मौजूद अप्रयुक्त धन का उपयोग करने का निर्देश दें.
कोर्ट में कई याचिका
हाथरस केस को लेकर पहले भी कई याचिका लगाई जा चुकी है. सुप्रीम कोर्ट में सुषमा मौर्या की ओर से दाखिल याचिका में दोषी पुलिस वालों और मेडिकल ऑफिसर्स के खिलाफ तत्काल सस्पेंड कर करवाई की भी मांग की गई. याचिका में दिशा-निर्देश बनाने की भी मांग की गई ताकि भविष्य में किसी भी पीड़ित परिवार का कानून से भरोसा न उठे जैसा हाथरस के इस परिवार का उठा है.
हाथरस केस में ही साकेत गोखले ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में पीड़िता के परिजनों का नारको टेस्ट कराने के खिलाफ याचिका लगाई गई है.
द बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया ने भी पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल की. याचिका में आरोप लगाया गया कि पीड़ित परिवार को प्रशासन ने हाउस अरेस्ट कर रखा है. ऐसे में प्रशासन के हाउस अरेस्ट से पीड़ित परिवार को मुक्त कराया जाए. साथ ही परिवार को सुरक्षा भी मुहैया कराई जाए.